विवि के अधिकारियों ने आरटीआई एक्ट को मजाक समझ रखा है: केंद्रीय सूचना आयोग
प्रभारी कुलसचिव, कुलपति के पीए समेत चार पर किया 10-10 हजार रु. जुर्माना

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि के कतिपय लोक सूचना अधिकारी, सूचना का अधिकार अधिनियम को मजाक समझ रहे हैं। वे आयोग के आदेशों को भी गंभीरता से नहीं ले रहे। उनके जवाब बेहद ही सतही व गैर-जिम्मेदाराना है। इसलिए इन सभी पर 10-10 हजार रुपए का जुर्माना किया जाता है। विवि, यह जुर्माना राशि अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन से काटकर आयोग के पक्ष में जमा करे।
उक्त टिप्पणी व आदेश केंद्रीय सूचना आयोग, नई दिल्ली के आयुक्त आनंदी रामलिंगम ने की है। यह पूरा मामला विवि की पूर्व आउट सोर्सकर्मी फरहत सिद्दीकी द्वारा लगाए गए सूचना के अधिकार अधिनियम के मांगी गई जानकारी को नहीं देने से संबंधित है। जानकारी के अनुसार सिद्दीकी की वर्ष 2023 में आउसटसोर्स संबंधी सेवाएं समाप्त कर दी गईं थी। जिसके बाद उन्होंने करीब 20 अलग-अलग आवेदन कर विभिन्न जानकारियां मांगी।
लेकिन विवि प्रशासन ने उनके जवाब नहीं दिए। जिन अधिकारी-कर्मचारियों पर जुर्माना किया गया है, उनमें विवि के प्रभारी कुलसचिव डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय, कुलपति के निज सचिव प्रवीण राठौर, सहायक लोक सूचना अधिकारी प्रेम सागर गुजरे और उदय श्रीवास्तव शामिल हैं।
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स्वयं के वेतन पत्रक से लेकर निदेशक की शिकायतों की जानकारी मांगी थी
सेवाएं खत्म किए जाने के बाद फरहत ने अलग-अलग आवेदनों के जरिए स्वयं के वेतन पत्रक से लेेकर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रभारी निदेशक डा. आशीष वर्मा की नियुक्ति दिनांक से लेकर उनके प्रभार व उनके संबंध में आई शिकायतों का ब्योरा मांगा था।
इसके अलावा फरहत ने शनीचरी स्थित गौर स्मारक के कर्मचारियों के वेतन के बारे में, विवि के नियमित, दैनिक वेतन भोगी, कन्टिनजेंसी व अन्य कर्मचारियों के वेतन, कुल-सचिव के कार्यालय के पत्रों की आवक-जावक आदि के बारे में जानकारी मांगी थी।
10/05/2025



