भ्रष्टाचार के मामले में पांच महीने पहले चालान पेश, राहतगढ़ सीईओ-एसडीओ नहीं हुए निलंबित
मैनवारा कला के पंचायत घोटाले में आरोपी बनाए गए हैं सीईओ प्रजापति और एसडीओ सूर्यवंशी

सागर। राहतगढ़ ब्लॉक के मैनवारां कलां के बहुचर्चित ग्राम पंचायत घोटाला कांड ने सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जिस मामले में तत्कालीन सरपंच और सचिव को लंबे समय तक जेल की हवा खानी पड़ी। उसी मामले में बाद में आरोपी बनाए गए राहतगढ़ जनपद पंचायत सीईओ सुरेश प्रजापति और एसडीओ राजेश्वर सूर्यवंशी अदालत में चालान पेश होने के बावजूद अब तक अपनी कुर्सियों पर बरकरार हैं। यानी इन दोनों को अभी तक सस्पेंड नहीं किया गया है।
चालान पेश, आरोप तय… फिर भी निलंबन क्यों नहीं?
राहतगढ़ पुलिस ने सीईओ प्रजापति और एसडीओ सूर्यवंशी के खिलाफ करीब पांच महीने पहले, 28 जून को, विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के न्यायालय में चालान पेश किया था। इसके बाद, न्यायालय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 4 जुलाई को इन पर विधिवत आरोप भी तय कर दिए गए। सरकारी सेवा के नियमों के अनुसार, किसी भी कर्मचारी या अधिकारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार के गंभीर मामले में चालान पेश होते ही उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया जाता है, ताकि वह जांच या न्याय प्रक्रिया को प्रभावित न कर सके। लेकिन, इस मामले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग समेत जिले के आला-अफसरों ने एक अजीब चुप्पी साध रखी है। स्थिति यह है कि आरोपी बनाए गए दोनों अधिकारी बेखटके अपनी सरकारी नौकरी कर रहे हैं, मानो कुछ हुआ ही न हो। दोनों अधिकारियों के विरुद्ध निर्माण कार्यों को प्रमाणित करने के लिए कूट रचित दस्तावेज तैयार करने, शासकीय धन का दुरुपयोग करने और अन्य संबंधित आरोपों के तहत चालान पेश किया गया है।
व्यस्तता बताकर कोर्ट में भी हाजिर नहीं हो रहे
एक ओर जहां उच्च अधिकारी निलंबन की कार्रवाई से बच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आरोपी अधिकारी न्याय प्रक्रिया से भी बचने की कोशिश में लगे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, न्यायालय की ओर से सीईओ प्रजापति और एसडीओ सूर्यवंशी को कोर्ट में हाजिर होने के लिए समन भेजे गए, लेकिन ये दोनों ही अधिकारी पेशी पर आने से बच रहे हैं! वे सरकारी काम में व्यस्तता बताकर अपनी पेशी को आगे बढ़वा लेते हैं। इस संबंध में जब एसपी लोकायुक्त पुलिस योगेश्वर सिंह का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उनका कॉल रिसीव नहीं हुआ।
जो शिकायतकर्ता थे, बाद में आरोपी बन गए
मैनवारां कलां घोटाले का एक दिलचस्प पहलू भी है। दरअसल भ्रष्टाचार और गबन की यह मूल शिकायत वर्ष 2016-2022 के दौरान रहे सरपंच राजकुमार सिंह धनौरा और पंचायत सचिव कमलेश साहू के विरुद्ध थी। जिसके शिकायतकर्ता के रूप में खुद सीईओ सुरेश प्रजापति ने ही राहतगढ़ पुलिस थाने एफआईआर कराई थी। मगर, जब मामले की गहराई से पड़ताल हुई, तो जांच की आंच सीईओ प्रजापति तक भी पहुंची। पड़ताल में न केवल उनकी, बल्कि एसडीओ राजेश्वर सूर्यवंशी और सब-इंजीनियर नरवरिया की भूमिका भी संदिग्ध मिली। परिणाम यह हुआ कि मूल आरोपी सरपंच राजकुमार सिंह व सचिव कमलेश साहू लंबे समय तक जेल में रहे। वहीं सब-इंजीनियर नरवरिया को निलंबित कर दिया गया।
29/11/2025



