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सागर में पांच रु. के नोट के बाद अब सिक्के को चलन से बाहर करने का षडयंत्र, प्रशासन बेखबर!

सिक्के किसने गायब किए, बाजार पर क्या असर पड़ रहा, इसकी नहीं है किसी को चिंता

सागर में पांच रु. के नोट के बाद अब सिक्के को चलन से बाहर करने का षडयंत्र, प्रशासन बेखबर!

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सागर। सागर जिले से बीते दो-तीन महीनों के भीतर 5 रु. का सिक्का तेज़ी से गायब हो रहा है। जो कतिपय व्यापारियों की संगठित साजि़श और आर्थिक अपराध का गंभीर संकेत है। सूत्रों का कहना है कि इन सिक्कों को गलाकर धातु निकालने का काला खेल चल रहा है, जिसका सीधा असर शहर के आम जनजीवन और बाज़ार की लेन-देन प्रणाली दिखने लगा है। हैरानी की बात यह है कि इस गंभीर मुद्रा संकट पर न तो जनप्रतिनिधियों का ध्यान है और न ही जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई ठोस कदम उठाया है। बहरहाल, देश में शायद सागर  इकलौता जिला है जहां मुद्रा का प्रचलन, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार नहीं होता। उदाहरण के लिए 10 साल पहले 50 पैसे का सिक्का चलन से बाहर कर दिया। कुछ ही वर्षों के भीतर 1 रु. और 2 रु. मूल्य के सिक्कों में लेन-देन बंद कर दिया गया। लगभग 5-6 वर्ष पहले 5 रु. के नोट में भी लेन-देन बंद कर दिया गया था। ये कौन लोग या व्यापारी समूह हैं जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी वैध मुद्रा को इस तरह प्रचलन से बाहर कर देते हैं, इसके बारे में न तो जन प्रतिनिधियों और न ही शासन के जिम्मेदार नुमांइदों ने कभी पड़ताल करने की कोशिश की।

चांदी की बढ़ी कीमत और सिक्कों के गायब होने का लिंक!

बाज़ार से 5 रु.के सिक्के गायब होने के पीछे सबसे मुख्य वजह है धातु का मूल्य लालच। दो तरह के सिक्कों को निशाना बनाया जा रहा है।

1. गिलट-तांबा मिक्स सिक्का (वजन 6.74ग्राम)

इस समय चांदी का भाव काफी तेज है। सूत्रों का कहना है कि इन सिक्कों को गलाकर चांदी में मिक्स किया जा रहा है, जिससे सिक्का बेचने वालों को उसकी अच्छी कीमत मिल रही है। वर्तमान में गिलट का भाव लगभग 800रु. प्रति किलोग्राम है। इतनी ही गिलट 750 रु. मूल्य के करीब 148 सिक्कों से प्राप्त हो जाती है। यानी मुद्रा को गलाकर बाज़ार में अधिक मूल्य पर बेचना, सीधा मुनाफा दे रहा है। इसके अलावा, इन सिक्कों की धातु को गलाकर सेफ्टी रेजर बनाने के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

2. पीतल का सिक्का (वजन 6.80ग्राम)

गिलट की तरह, पीतल के सिक्कों को भी गायब किया जा रहा है, क्योंकि पीतल से बने बर्तन, इलेक्ट्रिक उपकरण और सजावटी सामान बाज़ार में 800 रु. से 1,750 रु. प्रति किलोग्राम तक के ऊंचे भाव पर बिक रहे हैं।1 किलोग्राम पीतल प्राप्त करने के लिए 147 सिक्कों की आवश्यकता होती है, जिसका कुल मूल्य 735 रु. होता है। 735रु. की मुद्रा को गलाकर बाज़ार में दोगुने तक की कीमत पर बेचे जाने की आशंका है।

बाजार में जबरन हो रही सामान की बिक्री

5 रु. के सिक्के के गायब होने का असर अब बाज़ार में साफ तौर पर दिखने लगा है, जिससे सबसे ज़्यादा समस्या फल-सब्जी की खरीदी में आ रही है। उदाहरण के लिए, यदि आलू का भाव 15 रु.किग्रा है, तो ग्राहक को मजबूरी में या तो 20रु. देने पड़ रहे हैं या फिर 10 रु. में कम मात्रा (जैसे 700 ग्राम) लेनी पड़ रही है। धनिया, नीबू, मिर्च जैसी कम मात्रा में खरीदी जाने वाली सब्जि़यों के लिए ग्राहकों को जबरन 10 रु देकर आवश्यकता से अधिक खरीदना पड़ रहा है। किराना व्यवसायी भी 5 रु.वापस करने के बजाय ग्राहकों को उतने मूल्य की माचिस, शैम्पू पाउच, टॉफी या बिस्किट जबरन थमा रहे हैं, जिससे ग्राहकों को अपनी ज़रूरत के बजाय दुकानदार की इच्छा का सामान खरीदना पड़ रहा है। इस संबंध में जिले के कलेक्टर संदीप जी आर से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका कॉल रिसीव नहीं हुआ और वाट्स एप मैसेज का भी कोई जवाब नहीं आया।

01/12/2025

 

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