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यादें: जब सागर की बिटिया का ब्याह “धर्मेन्द्र” की मंजूरी के बाद हुआ

बिना पूछे चुकाया बाइपास सर्जरी का बिल

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सागर। फ़िल्मी दुनिया के महान सितारे, स्वर्गीय धर्मेंद्र जी के निधन से न केवल सिनेमा जगत, बल्कि देश भर में उनके चाहने वालों के दिल टूट गए हैं। रुपहले परदे के उस सुनहरे दौर का एक अज़ीम सितारा जब आसमां में गुम हुआ, तो सागर के तीन बत्ती स्थित ‘टोपेक्स टेलर्स’ के प्रोप्राइटर मास्टर अकबर भाई की दुनिया मानो थम सी गई। उनकी आँखें नम हैं, और ज़हन में हैं उस ‘धरम जी’ की अनमोल यादें, जिन्होंने एक टेलर और ग्राहक के रिश्ते को निजी, पारिवारिक आत्मीयता के शिखर पर पहुँचा दिया था। ​अकबर भाई, जो धर्मेन्द्र जी के इतने करीब थे कि कुछ महीने पहले ही लोनावाला स्थित उनके फार्म हाउस पर उनसे मिलकर आए थे, आज गहरे सदमे में हैं। वह कहते हैं कि धरम जी सरीखे व्यक्तित्व का दूसरा आदमी न तो फ़िल्म इंडस्ट्री में, न ही दुनिया में हो सकता है।

बेटी की शादी पर ‘धर्मेन्द्र जी’ का पिता समान आशीर्वाद

​अकबर भाई के अनुसार, उनके और धरम जी के रिश्ते की सबसे भावुक कर देने वाली मिसाल वर्ष 2000 में सामने आई, जब अकबर भाई सागर में अपनी टेलर्स शॉप चला रहे थे और अपनी बेटी शाहीन की शादी की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने जब फ़ोन पर यह खबर धरम जी को दी, तो उस महान कलाकार का जवाब किसी अभिभावक से कम नहीं था। धरम जी ने तुरंत कहा, ​”नहीं, मेरी मंजूरी के बगैर शादी नहीं होगी। होने वाले दामाद और बेटी को मुंबई को लेकर आओ। मैं लड़के से बातचीत करूंगा।” अकबर भाई ने तुरंत उनकी बात मानी और चंद रोज़ बाद भावी दामाद आरिफ रिजवान और बेटी शाहीन को लेकर जुहू स्थित धरम जी के बंगले पर पहुँचे। वहाँ, धरम जी ने एक पिता की तरह दोनों से बात की और फिर संतुष्ट होकर अपना हाथ उनके सिर पर रखकर कहा, “हाँ अकबर…. अब रिश्ता डन कर दो।”यह रिश्ता सिर्फ़ दो परिवारों का नहीं, बल्कि एक सितारे के बड़े दिल की मुहर था, जिसने एक ग्राहक को परिवार का सदस्य बना लिया था।

 माप लेते-लेते बन गए “पा” जी के परमानेंट टेलर

​अकबर भाई की कहानी 1980 के दशक से शुरू होती है, जब वह घर से भागकर मुुंबई पहुँचे और मशहूर टेलर्स फर्म ‘कचिन्स’ से जुड़े। 1987-88 में, उन्हें उनके उस्ताद ने धरम जी के कपड़ों का माप लेने के लिए भेजना शुरू किया। उनकी कारीगरी की नफ़ासत धरम जी को इतनी पसंद आई कि एक दिन उन्होंने अकबर से कहा: “अकबर तू अच्छा बच्चा है। तेरे हाथों में बड़ी नफासत है। अब से मेरे सारे कपड़े, चोले, बाना, एक्स..वाय..जेड सब तू ही सिला करना।” इस तरह अकबर भाई माप लेते-लेते धरम जी के परमानेंट टेलर बन गए। अकबर उन्हें प्यार से”पा” जी कहते थे

वे बोले  ‘पुत्तर, अपने मुल्क लौट जा’ तेरा ही भला है

​यह रिश्ता कितना गहरा था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ साल बाद धरम जी ने ही अकबर भाई को सलाह दी कि उन्हें सागर लौट जाना चाहिए। उन्होंने कहा: “देख पुत्तर तेरे हाथों में रब की बड़़ी मेहर है। फिर क्यों तू अपना घर-द्वार छोड़ यहां पड़ा है। मेरी मान तू अपने मुल्क (पैतृक स्थान) लौट जा। वहां से मेरे कपड़े-सपड़े सिलकर भेज दिया कर। देख फायदे में रहेगा।” इस गुरुमंत्र को मानकर अकबर भाई सागर लौट आए, लेकिन उनका काम रुका नहीं। धरम जी जिस भी फ़िल्म को साइन करते, प्रोड्यूसर को पहले ही अकबर भाई का नाम, दाम और धाम बता देते थे, जिसके बाद प्रोड्यूसर के असिस्टेंट उन्हें सागर से मुंबई बुलाते और कपड़े सिलवाते।

बिना पूछे चुकाया बाइपास सर्जरी का बिल

​अकबर भाई कुछ संजीदा हो जाते हैं जब वह धरम जी की इंसानियत का ज़िक्र करते हैं।वर्ष 2000 के आसपास जब उन्हें हार्ट संबंधी दिक्कत आई, तो वह अपनी रिपोर्ट लेकर मुंबई धरम जी के पास पहुँचे। धरम जी ने तुरंत उन्हें बॉम्बे हॉस्पिटल जाने को कहा। अकबर भाई बताते हैं, उन्हें भर्ती करने के बाद उनकी बाइपास सर्जरी कर दी गई, जिसका बिल धरम जी ने मुझसे चर्चा किए बगैर ही चुकता कर दिया। वह सागर से खरीदे गए पेंट-शर्ट के कपड़े भी उनके लिए सिलकर ले जाते थे, और धरम जी बस इतना कहते, “इस बार क्या लाया है….” और चंद मिनट में ही उन्हें पहनकर खड़े हो जाते थे।आज, जब रुपहले परदे का वह अज़ीम सितारा हमेशा के लिए ओझल हो गया है, अकबर भाई के लिए यह केवल एक सुपरस्टार का निधन नहीं है, बल्कि उस पिता समान स्नेह, उदारता और आत्मीय रिश्ते का अंत है, जिसे धर्मेंद्र जी ने अपने बड़े दिल से पाला था।

24/11/2025

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