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भोपाल। पुलिस विभाग में एक ही स्थान पर जमे रहने की लालसा के चलते एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पीएचक्यू भोपाल रडार पर आ गए हैं। जानकारी के अनुसार अनूपपुर के एडि.एसपी मोहम्मद इसरार मंसूरी को अधिकारियों के संदेह के बाद, मातहत पुलिसकर्मियों की निगरानी में मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होना पड़ा। दरअसल एडि. एसपी मंसूरी का तबादला 2 सितंबर को हुआ था। हैरान करने वाली बात यह है कि ट्रांसफर आदेश के अगले ही दिन 3 सितंबर को उन्होंने अपने ट्रांसफर के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जहां 12 सितंबर को तबादले पर स्टे मिल गया। 14 सितंबर को मंसूरी ज्वाइन करने आ गए। मंसूरी अप्रैल 2024 में अनूपपुर के एडि. एसपी नियुक्त हुए थे। इसके पहले वे जीआरपी जबलपुर में सेवाएं दे रहे थे।
बीमार रहते कोर्ट चले गए इसलिए शक हुआ
एडिशनल एसपी मंसूरी 18 अगस्त से 14 सितंबर तक ‘सिक लीव’ (चिकित्सीय अवकाश) पर थे। चर्चा है कि पीएचक्यू के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे केवल बीमारी नहीं, बल्कि ट्रांसफर से बचने और एक ही स्थान पर बने रहने की सुनियोजित रणनीति माना। अपने संदेह की पुष्टि के लिए पीएचक्यू ने उनकी मेडिकल लीव की सत्यता जांचने उन्हें दो दिन पहले मेडिकल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया। जानकारों का कहना है कि कोर्ट में जाने और उसी दौरान मेडिकल लीव पर रहने के विरोधाभास ने मंसूरी की मंशा पर गहरे सवाल खड़े किए हैं। जिले के एसपी ने कोर्ट के आदेश के पालन में मंसूरी को पुलिस लाइन का प्रभार दिया है। इधर मंसूरी ने 28 दिन की छुट्टी को अर्जित अवकाश’ और ‘लघुकृत चिकित्सीय अवकाश’ में समायोजित करने के लिए आवेदन दिया है। यह पूरा प्रकरण विभागीय ट्रांसफर नीति को दरकिनार कर ‘बीमारी’ और ‘कोर्ट’ का सहारा लेने का प्रयास प्रतीत होता है।
16/11/2025



