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भाजपा संगठन : चूक हो जाए तो 48 घंटे में नोटिस, महिला के सम्मान पर आंच आए तो 10 दिन भी कम

भाजपा संगठन की चुप्पी के बाद अब प्रभावित खेमे की आयोग से आस

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सागर। भारतीय जनता पार्टी के संगठन में दलगत रीति-नीति सर्वोपरि है। महिलाओं का सम्मान दूसरे-तीसरे या जाने किस नंबर पर आता है! यह हम नहीं कह रहे। यह तो बीते 10 दिन के भीतर हुए एक राजनैतिक या कहें कि गुटबाजी से जुड़े मामले में भाजपा संगठन की कार्यप्रणाली से जाहिर हुआ है। मामला सागर नगर निगम की भाजपाई महापौर संगीता तिवारी का है। जिनके बारे में जिलाध्यक्ष श्याम तिवारी ने संगठन को लिखा था कि वे वरिष्ठ नेताओं को अपमानित करने का ‘कुकृत्य’ कर रही हैं। अध्यक्ष तिवारी के महिला नेत्री को लेकर लिखे गए इस आपत्तिजनक शब्द पर भाजपा संगठन ने 10 दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की है। चर्चाओं के अनुसार महापौर को आश्वासन दिया जा रहा है कि ऐसे मामलों में कार्रवाई में वक्त लगता है। ऐसे में माना जा सकता है भाजपा संगठन के जवाबदारों को इस शब्द का अर्थ और उसका संदर्भ समझाने के लिए हिंदी भाषा का कोई विद्वान नहीं मिल रहा है ?

अब इसी मामले से जुड़ी उस शिकायत की बात। जिसमें अध्यक्ष तिवारी ने यह शब्द उपयोग किया था। यह पत्र तिवारी ने संगठन के सर्वेसर्वाओं को  24 अप्रैल को भेजा था। महज 48 घंटे के भीतर इस पत्र के आधार पर महापौर संगीता तिवारी को समन जारी हो गया। उन्हें भोपाल स्थित पार्टी मुख्यालय पर हाजिर होने का समन जारी हो गया। महापौर भागी-भागी भोपाल पहुंची और सफाई दी। माफी भी मांगी। इसके बाद एक दूसरा एपिसोड महापौर तिवारी के संदर्भ में जिलाध्यक्ष श्याम तिवारी की उस 24 अप्रैल वाली चिट्ठी की इबारत व शब्द को लेकर शुरु हो गया है।

 भाजपाई सूत्रों का कहना है कि महापौर के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर एमआईसी के दो-एक सदस्यों को  छोड़कर सभी आक्रोशित हैं। लेकिन ये लोग संगठन के डंडे के डर कर खुलकर नहीं बोल रहे हैं। यही हाल अन्य भाजपाइयों का भी है। बावजूद इनमें से अधिकांश वे लोग हैं जो महापौर और विधायक के गुटों से बैर नहीं लेना चाहते हैं। इसलिए भी चुप्पी साधे हैं। बता दें प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पहले ही इस मामले में टीका-टिप्पणी कर चुके हैं। इसलिए चर्चा है कि भाजपा में महिलाओं के अस्मिता- सम्मान को लेकर कांग्रेस बड़ा मुद्दा बना सकती है। आखिर में ये कि अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि अगर संगठन ने महापौर तिवारी के साथ इंसाफ नहीं किया तो वे महिला आयोग की शरण ले सकती हैं!

04/05/2025

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