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स्मृतियों में: उमाशंकर दाऊ, तेल और शक्कर के साथ खुशियों के भी बिचौलिए थे।

शहर के पहले और आखिरी व्यापार संवाददाता उमाशंकर यादव का निधन

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सागर। शहर के बड़ा बाजार में रहने वाले 83 वर्षीय उमाशंकर यादव ”दाऊ ” का सोमवार दोपहर निधन हो गया। वे शहर के पहले और आखिरी व्यापार संवाददाता थे, जिन्होंने अपनी योग्यता के बलबूते दैनिक भास्कर जैसे प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में करीब दो दशक तक सेवाएं दीं। 90  के शुुरुआती दशक में जब दैनिक भास्कर यहां शुरु हुआ तब यहां के व्यापार जगत में नईदुनिया इंदौर, अखबार का बोलबाला था। उस समय भोपाल से  ब्यूरोचीफ नियुक्त प्रह्लाद एस नायक ने मैनेजमेंट को सुझाव दिया कि अगर सागर से व्यापार जगत की खबरें दी जाएं तो व्यवसायियों में पैठ बनाई जा सकती है। यहां-वहां से दाऊ का नाम नायकजी के पास पहुंचा और दाऊ व्यापार संवाददाता बन गए। मेरी उनसे मुलाकात करीब 15  साल पहले हुई। उसी के आधार पर यह स्मृति वृत्तांत लिख रहा हूं। दाऊ का मूल काम बिचौलिए का था। वह खाद्य तेल और शकर की थोकबंद खरीद-बिक्री कराने में सिद्धहस्त थे। मौखिक, अफवाह, टेलीफोन और एक दिन पुराने व्यापारिक आकलनों के बीच दाऊ की टिप्स बड़ी कारगर रहती थीं। उनका मुख्य काम जिले भर के छोटे-मंझोले व बड़े फुटकर किराना और  थोक किराना व्यापारियों के बीच सौदा कराने का होता था। ईमानदार और जुबान के धनी होने के कारण दोनों ही पक्ष उन पर आंख मूंदकर भरोसा कर हजारों-लाखों रु.के माल का लेन-देन कर लेते थे। स्वभाव से हंसमुख और पत्नी के अनन्य प्रेमी उमाशंकर दाऊ व्यापारियों के बीच तेल, शकर के साथ-साथ मुस्कराहट के बिचौलिए की भी छवि रखते थे। वे अक्सर शंख तेल के निर्माता व पैकेजर्स रमेश नायक, हनी मोदी, नारियल के थोक व्यवसायी सुनील भड्डर के पास बैठक लगाते थे। पत्नी प्रेमी इसलिए क्योंकि मैंने उन्हें 70-80वर्ष की आयु में अक्सर छलछलाती आंखों से हर साल पत्नी की बरसी मनाते देखा। उस दिन वह अपने हर जानने-पहचानने वाले को घर बुलाकर भोजन कराते थे। समय-असमय पत्नी से जुड़ी यादों को साझा करते और बताते कि मैं जो कुछ भी हूं, उन्हीं के भाग्य से हूं। यहां बता दें कि दाऊ, ”जो कुछ” नहीं ”बहुत कुछ “थे। वे अपनी अद्भुत आकलन क्षमता के चलते कई किराना व्यवसायियों को खरीद या वायदा आधार पर उस समय के हजारों रु. बैठे-बैठे कमवा देते थे। दुर्भाग्यवश वे अपने बेटों के बारे में यह आकलन करने में चूक गए। वे खुद बताते थे कि बेटे ट्रेक से उतर गए। लेकिन वह इसके लिए उनसे ज्यादा स्वयं को दोष देते। बोलते थे कि बाजार में ज्यादा समय देने के साथ-साथ जवान बेटों का छोटे बच्चों की तरह पालन करने से यह हालात बने। दाऊ के बिचौलिए वाले गुण पर वापस लौटते हैं। मैंने स्वयं उन्हें दैनिक भास्कर के ऑफिस में व्यापारिक उतार-चढ़ाव का ब्योरा लिखवाते देखा है। फेवरिट साथी संजय दुबे की चुहलबाजी के बीच बाजार की बड़ी गंभीर भविष्यवाणियां करते जाते थे। एकदफा मैंने उनसे पूछा कि आप यह जानकारी कहां से लाते हैं। यह उस समय की बात है। जब मोबाइल सेट तो आ गए थे लेकिन डाटा सस्ता नहीं हुआ था। उन्होंने बताया कि मैं, जिन व्यापारियों के पास उठता-बैठता हूं। उन्हीं के जरिए देश-दुनिया में खाद्य तेल की स्थिति की जानकारी ले लेता हूं। दो-एक दफा मैंने उन्हें किसी व्यापारी को शिकागो समेत अन्य देशों में खाद्य तेल की स्थिति के आधार पर भावी बाजार के बारे में बताते सुना था। जो आने वाले समय बिल्कुल सटीक निकला। दाऊ, 83 साल की आयु में से 82 साल तक सक्रिय रहे। हालांकि ऑनलाइन रेट्स व कम्युनिकेशन सुविधाएं बढ़ने से उनका काम काफी कम हो गया था। फिर भी कई व्यापारी उनसे भविष्य की तेजी-मंदी का आकलन लेते रहते थे। उनके बड़े करीबी व पड़ोसी, जिला कांग्रेस सेवादल के अध्यक्ष सिंटू कटारे के अनुसार कुछ माह पहले उन्हें किसी गोवंश ने सींग मार दिए थे। जिसके चलते बिस्तर पर पहुंच गए। लाख चाहने पर भी वह उठ नहीं पाए और सोमवार दोपहर 03 बजे उन्होंने बाजार बनती जा रही इस दुनिया को छोड़ दिया।
07/05/2024
समय- सुबह 8.30 बजे

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