
सागर। पड़ोसी राष्ट्र नेपाल की राजनीति में नेपोटिज्म (भाई-भतीजावाद) के परिणाम पूरी दुनिया देख रही है। इसी माहौल में बुंदेलखंड के दो नेतापुत्र अभिषेक दीपू भार्गव और अविराज भूपेंद्र सिंह चर्चा में हैं। उमर के लिहाज ये सीनियर- जूनियर हैं। पहले अभिषेक की बात। इन्होंने हाल ही में एक राष्ट्रीय समाचार पत्र के डिजिटल चैनल को इंटरव्यू दिया है। जिसमें उन्होंने कई ऐसी बातें कही। जो उनके राजनीतिक व्यक्तित्व के गांभीर्य को दर्शाती हैं। वह बिरले ही नेता पुत्र हैं। जो नेपोटिज्म के लगभग खिलाफ ही हैं। इस मामले में वे केवल इतनी गुंजाइश देते हैं कि अगर नेताओं के पुत्र,भाई या अन्य परिजन कम से कम 10-15 साल मैदान में, पार्टी संगठन में काम कर लें तो उन्हें अवसर देने में कोई गुरेज नहीं। लेकिन वह नेता पुत्र या परिजन स्वीकार नहीं किया जा सकता जो देश- विदेश में पढ़ाई लिखाई कर सीधे राजनीतिक पदों पर काबिज (पैराशूट लैंडिंग) हो जाए। आगे दीपू बोलते हैं कि मैं पार्टी में करीब 20- 22 वर्ष से काम कर रहा हूं। ऐसे में मेरे साथ किसी ऐसे युवा का नाम, संगठन में पद या टिकट के लिए चलाया दिया जाए जो बरसों से राजनीति से दूर रहा है तो यह मेरे साथ नाइंसाफी होगी। दीपू ने कहा कि पिता श्री गोपाल भार्गव को मंत्री पद से वंचित रखा गया तो यह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का निर्णय था। वैैैसे भी जब पार्टी की स्थिति मजबूत ( 163 विधायक) हो तो इस तरह के प्रयोग किए जाते हैं। नए लोगों को समय रहते अवसर देने से वे ज्यादा बेहतर ढंग से काम सीखते हैं। यह बुरा नहीं है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी के एक सवाल पर वे बड़ी ही सधी हुई जुबान में जवाब दे चुके हैं कि समय से पहले और भाग्य से अधिक कुछ नहीं मिलता। बोले थे कि मैं पूरे संतोष के साथ अपने पारिवारिक-सामाजिक और राजनीतिक दायित्व निभा रहा हूं। जीतू पटवारी ने दीपू से पूछा था कि आप अभी तक विधायक या सांसद नहीं हो पाए, क्या कारण रहे?
बुंदेलखंड की यूथ पॉलिटिक्स में तेजी से चमकते तारे अविराज भूपेंद्र सिंह की वॉक शैली एवं गहन चिंतनयुक्त संबोधनों को काफी सराहा जा रहा है। कुछेक मंचों पर तो वे अपने पिता से काफी आगे दिखाई देते हैं। एक दिन पहले ही उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के शिकागो सम्मेलन की 132वीं वर्षगांठ पर युवा संवाद कार्यक्रम सागर में किया। जिसमें वह सबसे कम उम्र के वक्ता थे। उन्हें सुनने के बाद वैचारिक चिंतन-शिविर, संवाद, व्याख्यान माला सरीखे के कार्यक्रमों में अक्सर शामिल होने वाले लोगों का कहना था कि अविराज सिंह ने राष्ट्र और राष्ट्रीय समस्याओं को लेकर जो तथ्य व विचार रखे। वह अन्य वक्ताओं से कहीं भी कमतर नहीं थे। जबकि उनके साथ समर्थ पूज्य श्री दादा गुरु, यूथ थिंकर्स फोरम मप्र के डायरेक्टर आशुतोष सिंह और रानी अवंती बाई राजकीय विवि के कुलपति डॉ. विनोद मिश्र जैसे मूर्धन्य वक्ता थे। आयोजन में अविराज ने अपने बड़े ही सधे व्याख्यान में राज्य से लेकर राष्ट्र और पूरी दुनिया की प्रमुख समस्याओं को युवाओं के नजरिए से रेखांकित किया। उनका संबोधन इतना सरलतम था कि मंच के सामने मौजूद हजार से अधिक युवाओं को देश में आतंकवाद, लव-जेहाद व मिशनरीज गतिविधियों से धर्म परिवर्तन, ड्रग्स व शराब जैसी समस्याओं को समझने में समय नहीं लगा। इससे पहले उन्होंने बड़े विश्वसनीय तरीके से धर्मांतरण के कारण देश के 200 जिलों की डेमोग्राफी में आए परिवर्तन से लेकर अमेरिका के टैरिफ और टेररिज्म के खिलाफ हुए खर्च पर बात रखी।
11/09/2025



