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जिस समिति प्रबंधक के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट पेश की गई थी, वह भ्रष्ट साबित, 5 साल की सजा और 70 लाख रु. का जुर्माना

बेरखेड़ी सडक़ के सहायक समिति प्रबंधक अशोक दुबे के खिलाफ लोकायुक्त संगठन ने सात साल पहले की थी कार्रवाई

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सागर। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के एक मामले में विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ने सागर के बेरखेड़ी सडक़ गांव के तत्कालीन सहायक समिति प्रबंधक अशोक दुबे को 5 साल के कारावास और 70 लाख रु. के जुर्माना से दंडित किया है। जुर्माना जमा नहीं करने पर दुबे को 1 साल का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा। विशेष न्यायाधीश शहाबुद्दीन हाश्मी का यह 136 पेज का फैसला इसलिए भी खास है, क्योंकि एक समय इस मामले में लोकायुक्त पुलिस के तत्कालीन विवेचनाधिकारी ने न्यायालय में खात्मा रिपोर्ट पेश कर दी थी। जिसे तत्कालीन डीजी लोकायुक्त के संज्ञान में लाया गया। इसके बाद फिर से पूरे मामले की विवेचना कर चालान पेश किया गया। नतीजतन कार्रवाई के 4 साल बाद पेश चालान के आधार पर आरोपी सहायक समिति प्रबंधक को उपरोक्त सजा सुनाई गई। लोकायुक्त पुलिस ने 16 अप्रैल 2018 में अशोक दुबे के मोतीनगर चौराहा, रहली समेत अलग-अलग ठिकानों पर सर्च कर आय से अधिक संपत्ति का मामला कायम किया था। प्रारंभिक जांच के अनुसार लोकायुक्त पुलिस ने पाया था कि दुबे ने अपनी 30 वर्षीय सेवाकाल में आय से करीब 70 प्रतिशत यानी करीब 70 लाख रु. अधिक संपत्ति अर्जित की। मामले में शासन की ओर से पैरवी विशेष अभियोजक एलपी कुर्मी ने की।

धनोरा गांव से अज्ञात व्यक्ति की शिकायत पर लिया गया था संज्ञान

एक अज्ञात शिकायतकर्ता अशोक दुबे के खिलाफ पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय सागर को की गई थी।जिसमें आरोप लगाया गया था कि 28 साल पहले नौकरी में आए दुबे के पास कोई संपत्ति नहीं थी और उनका शुरुआती वेतन 2,000/- प्रतिमाह था, लेकिनउसने बाद में करोड़ों की चल-अचल संपत्ति अर्जित कर ली। शिकायत के सत्यापन के बाद दुबे के राजीव नगर, सागर स्थित उनके तीन मंजिला रहवासी मकान पर छापा मारा। इसके अलावा, ग्राम बसारी स्थित मकान और दुकान पर भी तलाशी ली गई। तब लोकायुक्त पुलिस को मौके से कृषि भूमि, प्लाट और मकान की कुल 24 रजिस्ट्रियां पत्नी, ऊषा दुबे, पुत्री प्रीति दुबे, प्रियंका दुबे, पुत्र आशुतोष दुबे के नाम की मिली थी। जिन्हें अशोक दुबे ने 1. 111 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर खरीदा था। इसके अलावा दो ट्रैक्टर और सोना-चांदी के जेवरात भी मिले थे।

दोबारा मूल्यांकन किया तो अनुपातहीन संपत्ति 71 प्रतिशत मिली

इस मामले की शुरुआती चार वर्ष तक लोकायुक्त कार्यालय मंथर गति से जांच करता रहा। फिर वर्ष 2021 में जांच अधिकारी कमलेंद्र सिंह कर्चुली ने खात्मा रिपोर्ट पेश कर दी। जिसको लेकर कतिपय शिकायतकर्ता लोकायुक्त डीजी के पास पहुंचे। संज्ञान लेने पर इस केस की पुन: विवेचना की गई तो जांच अधिकारी को दुबे की संपत्ति उसकी आय से 71 प्रतिशत अधिक मिली। जांच में पाया गया कि अभियुक्त अशोक दुबे ने वर्ष 1988 से 2018 तक अपनी वैध आय 97,60,092/- की तुलना में 1,66,66,026/- का व्यय किया। इधर अपने फैसले से पूर्व बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट से कहा, आरोपी की उम्र अधिक है। वह बीमार है। उपचार की आवश्यकता है। अतएव सजा व जुर्माना कम से कम किया जाए। जवाब में विद्वान न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी, का अपराध नरमी बरतने योग्य नहीं है। उसने गरीब, अनपढ़ व साधनहीन किसानों से यह अवैध कमाई की। अगर नरमी बरती जाती है तो इससे समाज में भ्रष्टाचार करने वालों को बढ़ावा मिलेगा। 

31/10/2025

 

 

 

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