ब्रेकिंग न्यूज: मालथौन के एक गांव में कच्ची शराब पीकर दो साल में 20 से ज्यादा युवा- अधेड़ लोग !
कलेक्टोरेट आए गांव के लोगों ने शिकायती आवेदन में किया दावा, सरपंच ने भी कुबूली मौतें, कहा कच्ची शराब के कारण गई जानें

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सागर। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे हुए मालथौन के सीपुर खास गांव में बीते दो साल में दर्जन भर आदिवासी युवक-अधेड़ समेत 20 से ज्यादा लोग कच्ची शराब पीकर मर गए हैं ! यह दावा मंगलवार को कलेक्टोरेट शिकायत करने आए महिला-पुरुषों ने किया। उन्होंने बताया कि सीपुर खास मालथौन थाना क्षेत्र में आता है और यूपी बार्डर से महज 4-5 किमी दूर है। गांव के युवक सुरेंद्रकुमार आदिवासी ने बताया कि गांव में बंजारा समुदाय के लोग भी रहते हैं। जिनके द्वारा करीब 15 जगह पर कच्ची शराब बनाई जा रही है। जिसका सेवन करने से गांव के 20 से अधिक युवा व अधेड़ लोग मर चुके हैं। गांव में हुई इन मौतों की पुष्टि यहां की युवा सरपंच आकांक्षा बुंदेला के पिता नन्हे राजा बुंदेला ने भी की है। हालांकि उन्होंने ये भी दावा किया है कि सात दिन पहले गांव के लोगों ने सामूहिक निर्णय कर कच्ची शराब की भट्टियां बंद करा दीं। गांव की आबादी तकरीबन 1000 है।
शराब पीकर बीमार हो जाते हैं इसलिए पोस्टमार्टम भी नहीं होता
युवक सुरेंद्र आदिवासी ने बताया कि गांव में महुए के नाम पर अज्ञात वस्तु से कच्ची शराब बन रही है। जिसके सेवन से लोगों के कुछ ही महीने-साल में फेफड़े, लीवर समेत अन्य अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इसके बाद उन्हें बीमारी जकड़ लेती है और मौत हो जाती है। चूंकि यह मौतें बीमारी के कारण होती हैं, इसलिए कभी पोस्टमार्टम की नौबत भी नहीं आती। सुरेंद्र आदिवासी के अनुसार गांव में अब तक अच्छेलाल आदिवासी, किशन आदिवासी, राजू आदिवासी, कल्याण आदिवासी, देवचरण आदिवासी, मुलायम आदिवासी, सरमन अहिरवार, मथुरा अहिरवार, कल्याण अहिरवार समेत डेढ़ दर्जन से अधिक लोग मर चुके हैं। इन सभी की उम्र 25-45साल थी। इनमें से दो लोग ऐसे भी हैं, जिनके सगे भाई भी इसी शराब के चलते मरे।
पुलिस-आबकारी की सुस्ती के चलते यूपी तक बिकती है
सीपुर खास गांव मालथौन थाना से 10 किमी दूर है। यहां की पुलिस ने कभी भी गांव में बन रही अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। आबकारी विभाग के स्टाफ ने तो यहां कदम तक नहीं रखा। यह कहना है सरपंच प्रतिनिधि नन्हे राजा का। उनके मुताबिक मात्र 80 रु. लीटर में यह शराब गांव में आसानी से मिलती रही है। जिसका सेवन किशोरवय से ही लड़के करने लगते हैं। नन्हे राजा के अनुसार सीपुर खास में बनने वाली यह अवैध शराब, यूपी के गांवों तक में बिकती है। जानकारों का कहना है कि अगर पुलिस, प्रशासन और आबकारी समेत स्वास्थ्य विभाग का अमला आसपास के गांवों में हुई मौतों की केस स्टडी करे तो आंकड़ा कहीं ज्यादा भयावह निकल सकता है।
पूर्व मंत्री ने फोन किया तो पुलिस ने कह दिया नहीं बन रही शराब
कलेक्टोरेट आए सुरेंद्र आदिवासी ने बताया कि हम लोगों ने करीब साल भर पहले स्थानीय विधायक एवं पूर्व मंत्री भूपेंद्रसिंह को गांव में बन रही कच्ची शराब के बारे में बताया था। उन्होंने तत्काल मालथौन थाना प्रभारी को कार्रवाई के लिए कहा था। लेकिन तत्कालीन टीआई ने जवाब दिया कि गांव में कहीं भी शराब नहीं बन रही। कुछ दिन यह स्थिति रही भी, लेकिन फिर बनने लगी और मौतों का सिलसिला शुरु हो गया। सुरेंद्र के अनुसार कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जो यहां की शराब पीने के बाद बीमार हुए और देश-परदेश में मेहनत मजदूरी करने गए और वहीं मर गए। सुरेंद्र के अनुसार बीमार होने के बाद यहां के अधिकांश लोग झांसी और नौगांव में इलाज कराने जाते हैं। इसलिए भी जिला मुख्यालय के अस्पतालों में इन मौतों का ब्योरा नहीं पहुंच पा रहा।
14/10/2025



