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बड़ी खबर: चीता की बाट जोह रहे वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व को मिले फील्ड डायरेक्टर समेत से अधिक पद

राज्य शासन ने लिया निर्णय, दो वर्ष के भीतर भरे जाएंगे समस्त पद

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सागर। सागर, दमोह एवं नरसिंहपुर जिलों में फैले वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (वीआरडीटीआर) के लिए एक बड़ी है। राज्य सरकार ने प्रदेश के इस सातवें टाइगर रिजर्व के बेहतर प्रबंधन के लिए यहां फील्ड डायरेक्टर समेत 300 से अधिक नए पद मंजूर किए हैं। जानकारों के अनुसार चीता के लिए बाट जोह रहे इस रिजर्व के लिए यह बहुत आवश्यक था। अमला बढ़ने से न केवल वन्यजीव संरक्षण को मजबूती मिलेगी। बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में भी मदद मिलेगी। जानकारी के अनुसार प्रदेश के तीन नए टाइगर रिजर्व में 1000 नए पदों का सृजन किया जा रहा है। जिनमें वीआरडीटीआर के अलावा डॉ. विष्णु वाकणकर टाइगर रिजर्व और माधव टाइगर रिजर्व शामिल हैं। चूंकि वीरांगना दुर्गावती प्रदेश में अब सबसे बड़ा टाईगर रिजर्व है, इसलिए यहां अन्य दो रिजर्व के मुकाबले अधिक पद दिए जा सकते हैं।

प्रबंधन और संरक्षण को मिलेगी नई ताकत

टाइगर रिजर्व की स्थापना के बाद, इसके प्रभावी संचालन के लिए वनकर्मियों, अधिकारियों और विशेष स्टाफ की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। 300 से अधिक नए पदों का सृजन इस कमी को पूरा करेगा। फील्ड डायरेक्टर की पदस्थापना से लेकर रेंजर्स, डिप्टी रेंजर्स और वनरक्षकों तक की भर्ती से रिजर्व के कोर और बफर क्षेत्रों की निगरानी, गश्त, वन्यजीवों की सुरक्षा और मानव-वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करने में गुणात्मक सुधार आएगा। खबर के अनुसार, पुराने पदों को नए सिरे से गठित कर बीट का निर्धारण किया जाएगा, जिससे वनकर्मियों की तैनाती अधिक वैज्ञानिक और प्रभावी हो सकेगी।

रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व जहां चीते की तीसरी बसाहट की तैयारी

वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व प्रदेश का सातवां और देश का 54 वां टाइगर रिजर्व है, जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 2,339 वर्ग किलोमीटर है (जिसमें कोर क्षेत्र लगभग 1,414 वर्ग किमी और बफर जोन लगभग 925 वर्ग किमी है)। यह रिजर्व मुख्य रूप से नौरादेही और रानी दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्यों के क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया है। राज्य सरकार के हालिया निर्णय के अनुसार अगले साल की शुरुआत तक यहां चीतों की बसाहट की जा सकती है। इस तरह से यह देश का पहला ऐसा टाईगर रिजर्व हो जाएगा। जहां बिग केट फेमिली के सबसे बड़े तीन सदस्यों में से बाघ, तेंदुआ और चीते की बसाहट देखने मिलेगी।

टाईगर रिजर्व में दो दर्जन बाघों का परिवार

इस टाईगर रिजर्व की रीढ़ यहां बाघों की सुरक्षित बसाहट है। जो बीते कुछ वर्ष के भीतर ही दो दर्जन के करीब पहुंच चुकी है। इसके अलावा यहां तेंदुओं, नीलगाय, चिंकारा, हिरण, सांभर, चीतल, सियार, भेड़िया, मगर और अन्य कई वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास है। बता दें कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वन विभाग ने हाल ही में जंगल सफारी शुल्क में 50′ तक की छूट देने का फैसला लिया है। पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से, रिजर्व के छिरारी क्षेत्र (सागर) में इंटरप्रिटेशन सेंटर, टिकट घर, पार्किंग स्थल और बच्चों के लिए प्ले-जोन जैसी सुविधाओं के विस्तार की योजना है। इस संबंध में डीपीआर तैयार कर शासन को भेजा गया है। इसके अलावा यह रिजर्व पन्ना टाइगर रिजर्व से जुड़ने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रीन कॉरिडोर बनाता है, जिससे बाघों की आवाजाही प्राकृतिक रूप से बनी रहती है।

28/10/2025

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