सागर में चीतों की आमद के लिए बाड़े बनाने का प्रस्ताव भेजा
वीरांगना रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व में बोत्सवाना सेे भी आ सकते हैं चीते ! भारत सरकार की नामीबिया के अलावा बोत्सवाना से भी चल रही है बातचीत

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चीता विस्थापन के लिए टाईगर रिजर्व को पहले ही चिन्हित कर चुका है एनटीसीए
सागर। वीरांगना रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व में चीतों की आमद के लिए तैयारियां जारी हैं। चर्चाओं के अनुसार सबकुछ ठीक रहा तो अगले साल के मानसून के पहले रिजर्व में चीते की रफ्तार देखने मिल सकती है। जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की नामीबिया के अलावा एक अन्य दक्षिण अफ्रीकी देश बोत्सवाना से भी बातचीत चल रही है। मुमकिन है कि इस दफा 8 से 10 चीतों की खेप इसी देश से आए। इधर मप्र के इस सबसे बड़े टाईगर रिजर्व में चीतों की आमद के लिए ऑन पेपर तैयारियां चल रही हैं। रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी के अनुसार फिलहाल पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ के माध्यम से एनटीसीए को रिजर्व में क्रमश: कोरन्टीन और सॉफ्ट रिलीज बाड़ा बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। डॉ. अंसारी का कहना है कि दक्षिण अफ्रीकी देशों से आने के बाद चीतों को एक महीने तक कोरंटीन बाड़े में रखा जाएगा। ताकि वह रिजर्व की जलवायु में स्वयं को ढाल पाएं। साथ ही उनका आवश्यक वैक्सीनेशन भी किया जाएगा। यह बाड़ा औसतन 01 एकड़ का रहेगा। रिजर्व में इस तरह के तीन-चार बाड़े बनाए जाएंगे। यहां से चीतों को करीब 50 हैक्टेयर भू-भाग में बने सॉफ्ट रिलीज बाड़े में शिफ्ट किया जाएगा। ताकि वह शिकार करना शुरु करेंगे। फिर बाद में उन्हें खुले जंगल वन में छोड़ा जाएगा। बता दें कि सागर, नरसिंहपुर, दमोह जिले में फैले रिजर्व में से सागर जिले में स्थित सिंहपुर, मुहली रेंज और दमोह की झापन रेंज को चीता विस्थापन के लिए वन्य प्राणी विशेषज्ञों ने उपयुक्त माना है।
पहले राज्य के उत्तर-पश्चिम और अब मध्य में बसाहट
भारत में चीतों की कुल संख्या 27 है। जो मप्र के उत्तर-पश्चिम में स्थित दो अभयारण्य कूनो-पालनपुर (श्योपुर-मुरैना) और गांधी सागर अभयारण्य (मंदसौर-नीमच) में विस्थापित किए गए हैं। इन दो दर्जन चीतों में से फिलहाल 15 ही खुले वन में विचरण-शिकार कर कर रहे हैं। कूनो में दो दर्जन चीते हैं जबकि गांधीसागर में तीन चीते छोड़े गए हैं। इस कड़ी में अब राज्य के बीचों-बीच विकसित किए गए वीरांगना रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व में चीतों की बसाहट को हरी झंडी मिली है।
वन्य प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार चीतों के लिए यह सबसे बेहतर बसाहट क्षेत्र साबित हो सकता है, क्योंकि यहां चीतों के विचरण के लिए पर्याप्त क्षेत्रफल वाले मैदान हैं। शिकार के लिए छोटे जीव जैसे खरगोश, हिरण के शावक, जंगली सुअर आदि मौजूद हैं। मप्र में चीतों के जीवित रहने की दर उनकी आमद के पहले वर्ष 2022 में 70 प्रतिशत थी। जो अब बढ़कर 85 हो गई है। दक्षिण अफ्रीकी देशों से कुल 20 चीते लाए गए थे। जिनमें से 11 जीवित हैं। जबकि अब तक कूनो में 26 चीता शावकों का जन्म हुआ। जिनमें से 16 जीवित हैं।
12/10/2025



