आखिरी दिन दिखे 1563 गिद्ध, एक साल में 300 बढ़े
वीरांगना दुर्गावती टाईगर रिजर्व में सबसे ज्यादा 936 गिद्धों की मौजूदगी का अनुमान

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सागर। गिद्धों की तीन दिवसीय प्रादेशिक गणना बुधवार को पूरी हो गई है। वीरांगना दुर्गावती टाईगर रिजर्व समेत सागर, दमोह, और नरसिंहपुर में हुई गिनती के तीसरे दिन के आंकड़ेे भी काफी सकारात्मक रहे। रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी के अनुसार तीसरे दिन कुल 1563 गिद्ध गिने गए। जिससे फिलहाल यह तय हो गया है कि यहां वर्तमान में प्रवासी नस्ल समेत बड़ी संख्या में गिद्धों की बसाहट है। बता दें कि बीते साल हुई गिनती में यहां 1266 गिद्ध मिले थे। बीते एक साल में यहां 300 गिद्ध बढ़े हैं। डॉ. अंसारी के अनुसार ताजा गणना में 1381 वयस्क और 282अव्यस्क गिद्ध मिले। वन विभाग की टीम ने आखिरी दिन 272 स्थानों पर गिद्धों की खोजबीन की। जिसमें से 185 में उन्हें इस पक्षी की मौजूदगी मिली। आखिरी दिन के आंकड़ों के अनुसार रिजर्व में 936, उत्तर वन मंडल में 377, दक्षिण वन मंडल में 68और दमोह रेंज में 182 गिद्ध देखे गए। इसके अलावा गणना करने वाली टीमों ने गिद्धों के घोंसले व खोह को भी काउंट किया है। जिसके आंकड़े अलग से जारी किए जाएंगे। गिद्धों की गणना का अगला चरण अप्रैल में होगा।
शिकार का संकेत देते थे इसलिए मारे जाते रहे
गिद्ध एक ऐसा बदसूरत पक्षी है जिसकी खानपान की आदतें पारिस्थितिकी तंत्र या ईको सिस्टम के लिए ज़रूरी हैं। हालांकि इसके लिए उसे श्रेय शायद ही दिया जाता है। दरअसल ये पक्षी जिन शवों को खाते हैं, उससे उनके शरीर में ज़हर पहुंच रहा है। विभिन्न शोधों से साबित हुआ है कि जानवरों को दी जाने वाली दवाओं के कारण ऐसा हो रहा है। एक अनुमान ये भी है कि जंगली जानवरों के अवैध शिकार के कारण इनकी संख्या घटी। दरअसल ये पक्षी शिकार के बाद पड़े शव पर मंडराते हैं। जिससे सुरक्षा एजेंसियों को शिकार का संकेत मिल जाता है।
हवाई जहाज के बराबर ऊंचा उड़ते हैं
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गिद्ध की सर्वाधिक ऊंची उड़ान को 1973 में आइवरी कोस्ट में 37,000 फीट की ऊंचाई पर रिकॉर्ड किया था, जब एक गिद्ध ने एक हवाई जहाज को प्रभावित किया था। ये ऊंचाई एवरेस्ट (29,029 फीट) से काफ़ी अधिक है और इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी से ज़्यादातर दूसरे पक्षी मर जाते हैं। गिद्ध को लेकर हुए अध्ययनों से उनके हीमोग्लोबिन और ह्दय की संरचना से संबंधित कई ऐसी विशेषताओं के बारे में पता चला, जिनके चलते वो असाधारण वातावरण में भी सांस ले सकते हैं” गिद्ध भोजन की तलाश में एक बड़े इलाक़े पर नज़र डालने के लिए अक्सर ऊंची उड़ान भरते हैं।
शेर- तेंदुए से ज्यादा मांस खा जाते है
लोगों को लगता है कि जंगली जानवरों को खाने वालों में सबसे आगे शेर, हाइना, तेंदुए, चीते, जंगली कुत्ते और गीदड़ हैं, लेकिन ऐसा है नहीं। एक उदाहरण अफ्रीकी क्षेत्र सेरेंगेती का उदाहरण का है, जहां एक अनुमान के मुताबिक़ हर साल मृत पशुओं का सड़ा माँस और कंकाल कुल चार करोड़ टन से अधिक होते हैं। गिद्ध बीमारियों को फैलने से रोकने के साथ ही जंगली कुत्तों जैसे अन्य मुर्दाख़ोरों की संख्या को सीमित रखने में भी मददगार साबित होते हैं। सीमाओं को पार करने की इस आदत के कारण इन पक्षियों को परेशानी भी उठानी पड़ती है। एक बार तो सऊदी अरब में स्थानीय मीडिया ने इन पक्षियों पर इसराइली जासूस होने का आरोप भी लगा दिया।
तुर्की के गिद्ध अपने पैरों पर इसलिए करते हैं पेशाब
तुर्की के गिद्ध अपने पैरों पर पेशाब करते हैं और उनकी ये आदत आपको भले ही अच्छी न लगे, लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि उनकी इस आदत से उन्हें बीमारियों से बचने में मदद मिलती है। सड़े हुए मांस पर खड़े होने के कारण गिद्धों के पैरों में गंदगी लग जाती है और ऐसा अनुमान है कि गिद्धों के पेशाब में मौजूद अम्ल उनके पैरों को कीटाणुओं से मुक्त बनाने में मदद करता है। बिर्डड वल्चर दुनिया का एक मात्र ऐसा पक्षी है जो अपने भोजन में 70 से 90 प्रतिशत तक हड्डियों को शामिल कर सकता है और उनके पेट का अम्ल उन चीजों से भी पोषक तत्व ले सकते हैं, जिसे दूसरे जानवर छोड़ देते हैं।
हैजा- एंथ्रेक्स के जीवाणु को भी हजम कर लेते हैं
गिद्धों के पेट का अम्ल इतना शक्तिशाली होता है कि वो हैजे और एंथ्रेक्स के जीवाणुओं को भी नष्ट कर सकता है जबकि दूसरी कई प्रजातियां इन जीवाणुओं के प्रहार से मर सकती हैं।
19/02/2025



