खबरों की खबर
Trending

विवि: मनोविज्ञान विभाग में ‘गुस्सा’ आउट ऑफ कंट्रोल! साथी टीचर को धुन डाला, नियुक्ति और व्यवस्था पर सवाल

विवि प्रशासन पर सवालिया निशान, रजिस्ट्रार की संवेदनहीनता !

sagarvani.com9425171714

सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में क्लास लेने के मामूली विवाद ने ऐसा विकराल रूप लिया कि एक महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने अपनी सहकर्मी असिस्टेंट प्रोफेसर के साथ बर्बरतापूर्ण मारपीट की। यह घटना विश्वविद्यालय की लचर प्रशासनिक व्यवस्था और विवादास्पद नियुक्तियों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। घटना के बाद, आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दिव्या भणोत के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में मारपीट और एससी-एसटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

 मनोविज्ञानी का ऐसा गुस्सा! क्लास विवाद पर हुई मारपीट

घटनाक्रम मनोविज्ञान विभाग का है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संचिता मीणा (जो विभागाध्यक्ष की अनुपस्थिति में विभाग का प्रभार भी संभाल रही थीं) अपनी क्लास लेने पहुंचीं, लेकिन असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दिव्या भणोत उस समय भी क्लास ले रही थीं, जबकि उनका समय समाप्त हो चुका था। डॉ. मीणा ने जब इसकी जानकारी दी, तो डॉ. भणोत भड़क उठीं।डॉ. मीणा सुरक्षा की दृष्टि से अपने चैंबर में जाकर दरवाजा बंद कर लिया। गुस्से पर काबू न रख पाईं डॉ. दिव्या भणोत ने चैंबर का दरवाजा लात मारकर खोल लिया और डॉ. संचिता मीणा को थप्पड़, लातें और घूसों से बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने अमर्यादित शब्दों का प्रयोग भी किया। मौके पर मौजूद एमए-एमएससी के छात्र-छात्राओं और अतिथि शिक्षक शारदा ने बीच-बचाव कर डॉ. मीणा को बचाया, अन्यथा उन्हें गंभीर चोटें आ सकती थीं।

  प्रशासन पर सवालिया निशान, रजिस्ट्रार की संवेदनहीनता !

घटना देखने वाले स्तब्ध थे कि “भावना, गुस्सा जैसे मानवीय गुण-विकारों का प्रबंधन सिखाने वाले” विभाग की एक शिक्षिका इस तरह का हिंसक व्यवहार कैसे कर सकती है, और वह अपने छात्रों को क्या शिक्षा दे रही होंगी।मारपीट से पीड़ित डॉ. संचिता मीणा, कुछ अन्य शिक्षकों के साथ घटना की शिकायत लेकर रजिस्ट्रार डॉ. एसपी उपाध्याय के कार्यालय पहुंचीं, लेकिन उन्हें प्रशासनिक संवेदनहीनता का सामना करना पड़ा।

 पिटाई के बाद दो घंटे तक इंतजार, बैरंग वापसी

 रजिस्ट्रार डॉ. उपाध्याय परीक्षा संबंधी एक मीटिंग में व्यस्त रहे और करीब दो घंटे तक पीड़ित शिक्षक को इंतजार करना पड़ा। रजिस्ट्रार ने कुल-सचिव की अपनी मुख्य जवाबदेही को दरकिनार करते हुए, उस कार्य में दिलचस्पी दिखाई, जिसे अन्य प्रशासकीय अधिकारी भी देख सकते थे। आखिरकार डॉ. मीणा को रजिस्ट्रार से मिले बगैर बैरंग लौटना पड़ा।

 प्रभारी कुलपति और डोफा की अनुपस्थिति

विवाद को सुलझाने वाली मुख्य समिति डोफा (डीन, फैकल्टी अफेयर्स) के चेयरमैन समेत प्रभारी कुलपति प्रो. वायएस चौहान दोनों ही गैर-शैक्षणिक राजनीतिक कार्यों से शहर से बाहर थे। इस तरह विश्वविद्यालय का शीर्ष प्रशासन संकट के समय अनुपस्थित रहा, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से लचर दिखी।

विवादित नियुक्तियाँ और पूर्व कुलपति पर सवाल

इस पूरे घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय में पूर्व में हुई नियुक्तियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, मारपीट करने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दिव्या भणोत और पीड़ित असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संचिता मीणा दोनों की नियुक्ति तत्कालीन कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के कार्यकाल में हुई थी।डॉ. दिव्या भणोत  की नियुक्ति किस आधार पर की गई, जब पूर्व में उनके द्वारा अन्य शिक्षकों के साथ अभद्रता करने की चर्चाएं भी रही हैं? 

 पूर्व कुलपति का रिकॉर्ड Vs  विवि की गरिमा!

डॉ.नीलिमा गुप्ता के कार्यकाल में हुई कई अन्य भर्तियों और फैसलों को लेकर भी पहले विवाद रहे हैं। इस ताजा घटना ने उन विवादों को एक बार फिर हवा दे दी है, और यह साबित करता है कि गलत नियुक्तियों का खामियाजा विश्वविद्यालय की शैक्षणिक शांति और माहौल को भुगतना पड़ रहा है।कुल मिलाकर, डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि में यह घटना केवल दो शिक्षकों के बीच की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही, संवेदनहीनता और विवादास्पद नियुक्तियों के कारण पैदा हुई एक गंभीर समस्या का प्रतीक है, जो विश्वविद्यालय के माहौल और गरिमा को धूमिल कर रही है।

30/10/2025

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!