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विठ्ठलनगर वार्ड के मंदिर ट्रस्ट की बेशकीमती भूमि बिक्री में मोहत्तमकार की भूमिका संदिग्ध!

शिकायत में पार्षद और पटवारी की भूमिका बताई संदिग्ध

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सागर। शहर के विट्ठलनगर स्थित देव श्री जानकी रमण मंदिर ट्रस्ट की बेशकीमती 3 एकड़ भूमि की बिक्री सवालों के घेरे में है। आरोप लग रहे हैं कि इस बिक्री में मंदिर के मोहत्तमकार सारस गोस्वामी से लेकर स्थानीय पार्षद की भूमिका संदिग्ध है। जो प्रशासन को गलत जानकारी देकर जमीन बेच रहे हैं। गुरुवार को इस संबंध में आम आदमी पार्टी के नेता लक्ष्मीकांत राज ने जिला प्रशासन से एक शिकायत की। जिसमेें उन्होंने दावा किया कि मोहत्तमकार गोस्वामी, इस जमीन को भू-माफिया के हाथों बेच रहे हैं। वहीं पार्षद देवेंद्र अहिरवार भूमि के सिंचित-असिंचित होने को लेकर गलत प्रपत्र जारी कर रहे हैं।

करोड़ों रुपए की जमीन बेचकर लाखों की खरीदने की तैयारी!

ट्रस्ट की इस दो एकड़ से अधिक जमीन की बिक्री को इसलिए भी संदिग्ध बताया जा रहा है क्योंकि मोहत्तमकार गोस्वामी ने कलेक्टर से जमीन बेचने की अनुमति इस आधार पर ली है कि वह प्राप्त राशि से दो गुना खेतिहर जमीन खरीदेंगे। जबकि इस तथ्य को आसानी से समझा जा सकता है कि मोहत्तमकार ट्रस्ट की जिस जमीन को बेच रहे हैं। उसका बाजार मूल्य करीब 10 करोड़ रुपए है। वहीं शहर के बाहर खेतिहर भूमि का रेट 15-25 लाख रु. एकड़ से अधिक नहीं है। अगर मोहत्तमकार दोगुना खरीदी के इरादे के अनुसार 6 एकड़ भूमि खरीदेंगे भी तो वह 80लाख रु. से 01 करोड़ में आसानी से आ जाएगी। ऐसे में बाजार भाव से बिकने वाली शेष राशि का क्या होगा। इसके बारे में कोई स्पष्टïता नहीं है।

जमीन कैसे और किसे बेच रहे हैं, यह भी सार्वजनिक नहीं

लक्ष्मीकांत राज का कहना है कि ट्रस्ट प्रबंधन यह जमीन कैसे और किसे बेच रहा है। इसके बारे में भी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं जा रही है। चूंकि वर्ष 2022 में भी इसी तरह से ट्रस्ट के मोहत्तमकार ने जमीन बेचकर प्राप्त राशि का कोई लेखा-जोखा सार्वजनिक नहीं किया था। इसलिए मुमकिन है कि इस दफा भी यही हो। इसके अलावा मोहत्तमकार यह नहीं बता रहे कि वह इस भूमि को क्या सार्वजनिक नीलामी या प्रेस माध्यम से विज्ञापन देकर बेच रहे हैं। वे यह भी नहीं बता रहे कि अगर किसी व्यक्ति या व्यक्ति समूह से भूमि बिक्री का अनुबंध हुआ है तो वह कौन और उसे किस भाव से जमीन बेची जा रही है। 

हिंदू मंदिर की बेशकीमती ज़मीन पर भू-माफिया की नज़र! जिला प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में

सागर। शहर के विट्ठलनगर स्थित देव श्री जानकी रमण मंदिर ट्रस्ट की बेशकीमती 3 एकड़ जमीन की बिक्री सवालों के घेरे में है, जिसमें न केवल मंदिर के मोहत्तमकार और एक स्थानीय पार्षद की संदिग्ध भूमिका है, बल्कि जिला प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है। आम आदमी पार्टी के नेता लक्ष्मीकांत राज ने गुरुवार को जिला प्रशासन से शिकायत करते हुए आरोप लगाया कि सनातन धर्म का राग अलापने वाली राज्य सरकार की नाक के नीचे ही हिंदू मंदिर की संपत्ति को औने-पौने दाम पर भू-माफिया के हाथों बेचा जा रहा है।

​करोड़ों की जमीन बेचकर लाखों की खरीद! क्या है ‘ट्रस्ट’ के पीछे का खेल?

​ट्रस्ट की दो एकड़ से अधिक जमीन की बिक्री को इसलिए संदिग्ध बताया जा रहा है क्योंकि मोहत्तमकार सारस गोस्वामी ने कलेक्टर से अनुमति यह कहकर ली है कि वह बेची गई राशि से दोगुनी खेतिहर जमीन खरीदेंगे।

  • बाज़ार मूल्य: ट्रस्ट की जिस जमीन को बेचा जा रहा है, उसका बाज़ार मूल्य करीब 10 करोड़ रुपए है।
  • खरीद का मूल्य: जबकि शहर के बाहर दोगुनी (6 एकड़) खेतिहर भूमि का अधिकतम मूल्य 80 लाख से 1 करोड़ रुपए होगा।

​शिकायतकर्ता लक्ष्मीकांत राज का दावा है कि इस हिसाब से बाज़ार भाव से बिकने वाली करोड़ों की शेष राशि का क्या होगा, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। यह सीधे तौर पर प्रशासन को गलत जानकारी देकर मंदिर की संपत्ति को बेचने की सोची-समझी साज़िश मालूम होती है, जिसमें स्थानीय पार्षद देवेंद्र अहिरवार भी कथित तौर पर गलत दस्तावेज़ जारी कर रहे हैं।

​2022 में भी हुआ था खेल: प्लाटिंग में गैर-हिंदुओं ने खरीदे थे प्लाट

​सबसे गंभीर आरोप यह है कि जब वर्ष 2022 में भी इसी तरह से ट्रस्ट की जमीन बेची गई थी, तो प्राप्त राशि का कोई लेखा-जोखा सार्वजनिक नहीं किया गया था। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उस बेची गई जमीन पर जो अवैध कॉलोनी/प्लाटिंग की गई थी, उसमें गैर-हिंदुओं ने भी प्लाट खरीदे थे। यह तब हो रहा है जब राज्य की बीजेपी सरकार लगातार ‘सनातन’ और ‘हिंदुत्व’ के संरक्षण की बात करती है।

​ज़मीन बिक्री में पारदर्शिता क्यों नहीं, प्रशासन मौन क्यों?

​लक्ष्मीकांत राज ने सवाल उठाया है कि ट्रस्ट प्रबंधन यह बेशकीमती जमीन कैसे और किसे बेच रहा है, यह भी सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है।

  • ​क्या सार्वजनिक नीलामी या विज्ञापन के माध्यम से बिक्री हो रही है?
  • ​किस व्यक्ति/समूह से भूमि बिक्री का अनुबंध हुआ है?
  • ​उसे किस भाव से जमीन बेची जा रही है?

​इन सवालों पर मोहत्तमकार मौन हैं और जिला प्रशासन की चुप्पी भी उसकी भूमिका को संदिग्ध बना रही है। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि अगर भूमि की बिक्री अति आवश्यक है, तो जिला प्रशासन को तुरंत दखल देकर पूरी बिक्री अपनी निगरानी और ट्रस्ट के नियमों के अनुसार सार्वजनिक नीलामी के माध्यम से करानी चाहिए।

सागर में जिस मंदिर ट्रस्ट की संपत्ति बिक्री का मामला है, वह मध्य प्रदेश लोक न्यास अधिनियम, 1951 (The Madhya Pradesh Public Trusts Act, 1951) के तहत नियंत्रित होने की संभावना है।

​मंदिर की संपत्ति की बिक्री (alienation) के संबंध में सामान्य कानूनी सिद्धांत और नियम निम्नलिखित हैं:

​ मंदिर ट्रस्ट की संपत्ति बिक्री के कानूनी प्रावधान

​1. बिक्री के लिए अनिवार्य अनुमोदन 

  • मूल सिद्धांत: किसी भी सार्वजनिक ट्रस्ट (जिसमें मंदिर ट्रस्ट शामिल है) की अचल संपत्ति  को बेचना, पट्टे पर देना, या बंधक रखना रजिस्ट्रार या आयुक्त  (धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग) के अनुमोदन के बिना नहीं किया जा सकता है।
    • ​मध्य प्रदेश विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक, 2019 और मध्य प्रदेश लोक न्यास अधिनियम, 1951 की धाराएँ ऐसे अनुमोदन को अनिवार्य बनाती हैं।
  • उद्देश्य: यह अनुमोदन यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि संपत्ति का हस्तांतरण  ट्रस्ट और उसके लाभार्थियों के सर्वोत्तम हित में हो।

​2. बिक्री की आवश्यकता

  • ​सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के निर्णयों के अनुसार, ट्रस्ट की संपत्ति को केवल तभी बेचा या हस्तांतरित किया जा सकता है जब यह अत्यावश्यक हो  और ट्रस्ट या देवता के हित में हो।
  • ​विक्रय केवल इसलिए नहीं किया जा सकता कि तीसरी पार्टी को लाभ हो, बल्कि इसलिए किया जाना चाहिए ताकि मंदिर के अनुष्ठानों के निर्बाध प्रदर्शन या मंदिर के विकास के लिए आय सुनिश्चित हो सके।

​3. बिक्री की प्रक्रिया में पारदर्शिता 

  • ​न्यायिक मिसालों और अच्छी प्रथाओं के अनुसार, मंदिर की बहुमूल्य संपत्ति को बेचने के लिए सार्वजनिक नीलाम या प्रेस के माध्यम से विज्ञापन देना सबसे पारदर्शी तरीका माना जाता है।
  • ​यह सुनिश्चित करता है कि ट्रस्ट को संपत्ति का अधिकतम बाज़ार मूल्य मिले। निजी तौर पर बिक्री करने से पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं और कम मूल्य पर बिक्री की आशंका बढ़ जाती है।

​4. पुजारी का अधिकार 

  • ​हाल ही में, मध्य प्रदेश में पुजारियों को 10 एकड़ तक की मंदिर की कृषि भूमि को नीलाम या लीज पर देने का अधिकार देने की घोषणा की गई है, जिससे होने वाली आय को पुजारी रख सकेंगे।
  • ​हालांकि, संपत्ति का वास्तविक स्वामी अभी भी देवता ही होता है। पुजारी केवल संरक्षक या प्रबंधक के रूप में कार्य करते हैं।

​ सागर मामले में सवालिया निशान 

​सागर के देव श्री जानकी रमण मंदिर ट्रस्ट मामले में निम्नलिखित पहलुओं पर कानूनी/प्रशासनिक जांच की आवश्यकता है:

  1. अनुमोदन की प्रकृति: क्या कलेक्टर/आयुक्त से सार्वजनिक नीलामी की शर्त के साथ अनुमति ली गई थी?
  2. दोगुना भूमि खरीद का औचित्य: यदि बेची गई 3 एकड़ जमीन का मूल्य लगभग ₹10 करोड़ है, और दोगुनी 6 एकड़ कृषि भूमि ₹1 करोड़ में आ जाएगी, तो शेष ₹9 करोड़ की राशि का उपयोग ट्रस्ट के हित में कैसे और कहाँ किया जाएगा?
  3. सार्वजनिक नीलामी: क्या ट्रस्ट ने संपत्ति बेचने के लिए कोई सार्वजनिक विज्ञापन या नीलामी आयोजित की? यदि नहीं, तो क्यों?
  4. पार्षद/पटवारी की भूमिका: पार्षद द्वारा ‘सिंचित-असिंचित’ होने के गलत प्रपत्र जारी करने और पटवारी की संदिग्ध भूमिका की जाँच होनी चाहिए।

23/10/2025

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