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जनहित में विट्ठलनगर के ट्रस्ट की जमीन का हो अधिग्रहण, अजा-जजा बाहुल्य क्षेत्र को मिलेगा स्कूल-मैदान

पटवारी की सफाई, मोहत्तमकार को सपोर्ट नहीं

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सागर। शहर के विट्ठलनगर वार्ड  स्थित श्री देव जानकी रमण बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट की 3 एकड़ जमीन की बिक्री की अनुमति का मामला अब एक नया मोड़ ले रहा है। शहर के लोग और मंदिर ट्रस्ट से जुड़े कुछ सदस्य यह मांग कर रहे हैं कि प्रशासन इस बेशकीमती जमीन को जनहित में अधिग्रहित कर ले। उनका सुझाव है कि सरकार इसे अपने अधिकार में लेकर इस पर स्कूल, खेल का मैदान, सामुदायिक भवन या स्वास्थ्य केंद्र जैसे निर्माण कराए। यह कदम क्षेत्र की सघन अनुसूचित जाति-जनजाति (अजा-जजा) बाहुल्य आबादी के लिए व्यापक हित में होगा। इसके बदले में, शासन शहर के बाहर कहीं पर भी खेतिहर भूमि का सरकारी रकबा मंदिर ट्रस्ट के नाम कर सकता है, जिससे मंदिर की आय भी सुनिश्चित हो जाएगी।

पटवारी की सफाई, मोहत्तमकार को सपोर्ट नहीं

इस मामले में, स्थानीय पटवारी शिवजीत कंग का प्रतिवेदन सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। पटवारी कंग ने उन सभी अफवाहों का खंडन किया है जिनमें कहा जा रहा है कि वह मोहत्तमकार (सुनील गोस्वामी, सारस गोस्वामी) को जमीन बेचने की अनुमति दिलाने में सपोर्ट कर रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि उनके प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से लिखा है कि “प्राथमिक तौर ऐसे कोई हालात प्रतीत नहीं हो रहे कि जमीन बेचना ही अंतिम विकल्प हो।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मोहत्तमकार की आयु 32 वर्ष है और वह खेती-बाड़ी करने में सक्षम हैं, इसलिए जमीन बेचना जरूरी नहीं है। पटवारी ने यह भी बताया कि उन्होंने जमीन को ‘सिंचित’ दर्ज किया है क्योंकि उसके बाजू से बारहमासी नाला बहता है, जबकि मोहत्तमकार इसे ‘असिंचित’ बता रहे थे। उन्होंने प्रतिवेदन में यह शर्त भी रखी है कि मोहत्तमकार को जमीन की सरकारी दर से प्राप्त पूरी राशि से बेचे गए रकबे से दोगुना यानी 6 एकड़ जमीन खरीदनी होगी।

पिछली बिक्री और खर्च का ब्योरा जाँचने की मांग

इस बीच, ट्रस्ट की जमीन की पिछली बिक्री (साल 2033) से मिली रकम को लेकर भी चर्चा गर्म है। मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि उस विक्रय से मंदिर को क्या लाभ मिला और उस पैसे का उपयोग कैसे हुआ। उनकी मांग है कि तहसीलदार और एसडीएम को मोहत्तमकार से खर्च का संपूर्ण ब्योरा लेना चाहिए और इसकी गहन जांच होनी चाहिए। लोगों का तर्क है कि जब मोहत्तमकार मंदिर और निवास के करीब स्थित इस जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं, तो कहीं दूर-दराज 6 एकड़ जमीन लेकर खेती करना और भी मुश्किल होगा। इसलिए, जनहित को सर्वोपरि मानते हुए सरकारी अधिग्रहण ही सबसे बेहतर विकल्प होगा।

25/10/2025

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