विविधाशख्सियतसाहित्य और संस्कृति
Trending
नई पहल: अधेड़ हो चले जैन समाज के युवक-युवतियों का परिचय सम्मेलन

sagarvani.com 9425172417
सागर। बंडा से करीब 20 किमी दूर जैन समाज का सिद्ध क्षेत्र नैनागिर है। जहां समाज द्वारा वैवाहिकी संबंधों के लिए एक नई पहल की जा रही है। यहां विवाह योग्य उम्रदराज युवक-युवतियों परिचय सम्मेलन किया जा रहा है। जो शुक्रवार-शनिवार को होगा। सम्मेलन में इन युवक-युवतियों के अलावा विधुर-विधवा व तलाकशुदा भी शामिल होंगे। यह आयोजन अनूपपुर जिले के चेतना संगठन ने किया है। सम्मेलन के लिए युवकों की उम्र 34 वर्ष से अधिक और युवती की 32 वर्ष से अधिक होना आवश्यक है। दावा किया जा रहा है कि अखिल भारतीय जैन समाज में पहली बार उम्रदराज युवक-युवतियों के लिए इस तरह का परिचय सम्मेलन आयोजित हो रहा है। सम्मेलन में करीब 1500 युवक और 600 युवतियों के पंजीयन हो चुके हैं।
जेंडर रेशियो के साथ अब उच्च शिक्षा बनी समस्या
जैन समाज को यह आयोजन करने की आवश्यकता क्यों पड़ी। इसकी दो-एक वजह आम हो चुकी हैं। जिसमें मुख्य यह है कि इस समाज में जेंडर रेशियो बुरी तरह से बिगड़ा हुआ है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या889 है। जबकि राष्टï्रीय औसत 943 से कम है। सिखों के बाद जैन समुदाय ही है, जिसका जेंडर रेशियो इतना कम है। सिख समुदाय में यह रेशियो828 है। इसी मान से हिंदू
913 मुस्लिम 943, बौद्ध933 और ईसाई 958 हैं। बीते 15 साल से जनगणना नहीं हुई है। इसलिए नई जनगणना में परिणाम और भी खराब आ सकते हैं। ताजा स्थिति में जैन समाज के लड़का व लड़कियों के विवाह में देरी क्यों हो रही है। उसका मुख्य कारण ये बताया जा रहा है कि
समाज में लड़कियों की शिक्षा का स्तर काफी ऊंचा हो चुका है। साधारण स्नातक या पीजी के बजाए वे प्रोफेशनल और टेक्निकल कोर्सेस में बहुत आगे हैं। आयोजक चेतना संगठन की सदस्य ममता जैन ने बताया कि स्थिति ये है कि शादी लायक उम्र में लड़कियों के माता-पिता से संपर्क करो तो उनका जवाब होता है कि बिटिया अभी पढ़ रही है। हालांकि इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन उनकी पढ़ाई आखिर में उन्हें महानगरों तरफ ले जाती है। अब इसके बाद उनके लिए रिश्ते ढूंढने की तलाश शुरु होती है। तब पता चलता है कि उनके मैच का लड़का तो स्थानीय शहर या दूर-दराज तक मिलना मुश्किल है। इसके ठीक विपरीत लड़कों की स्थिति है। वे समय रहते शादी
करना चाहते हैं लेकिन पहले जेंडर रेशियो सामने आता है। जैसे-तैसे मन मुताबिक परिवार मिल भी जाए तो वही लाइन सामने आ जाती है कि ‘बिटिया अभी पढ़ रही है।Ó जैन समाज के एक अन्य मर्मज्ञ ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ उनका विवाह समय रहते नहीं कराना एक सही सोच नहीं है। इस निर्णय के बाद में परिणाम अंतरजातीय विवाह के रूप में सामने आते हैं। जिसे समुदाय के हित में कतई नहीं माना जा सकता।
तलाक और संबंध-विच्छेद के मामले भी बढ़े
इस सम्मेलन में तलाकशुदा या संबंध विच्छेद वाले युवक-युवतियों को भी बुलाया गया है। पंंजीयन कराने वालों में इनकी संख्या कितनी है। फिलहाल इसके बारे में कोई अधिकृत जानकारी नहीं है। लेकिन माना जा रहा है कि इस केटेगरी में भी बड़ी संख्या में लोग सामने आएंगे। वजह ये है कि इस समुदाय में कारोबारी सरोकारों के चलते संयुक्त परिवार वाली परंपरा को लड़के या लड़कियां एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं। नतीजतन वे परिवार से अलग होने की कोशिश करते हैं। कुछेक मामलों में इसका नतीजा तलाक या संबंध-विच्छेद के रूप में सामने आता है। एक दूसरी वजह लड़के-लड़कियों की शिक्षा-दीक्षा में काफी असमानता के साथ उनके अपने-अपने करियर को लेकर महत्वाकांक्षाएं भी हैं। एक सामान्य टेंडेन्सी यह बन चुकी है कि शहरों पल-बढ़ी लड़कियां व उनके परिजन कस्बाई या ग्रामीण क्षेत्र
के परिवार में ब्याह ही नहीं करना चाहते। जबकि समाज की बड़ी आबादी ग्रामीण-कस्बाई क्षेत्रों में ही रह रही है। अगर जैसे-तैसे विवाह हो भी जाए वह परिवार को शहर की तरफ ले जाना चाहतीं हैं। जबकि पति व ससुरालीजन कारोबारी वजहों से ऐसा करने पाने में सक्षम नहीं होते। नतीजतन परिणाम तलाक या संबंध-विच्छेद तक पहुंच जाते हैं।
सागर। बंडा से करीब 20 किमी दूर जैन समाज का सिद्ध क्षेत्र नैनागिर है। जहां समाज द्वारा वैवाहिकी संबंधों के लिए एक नई पहल की जा रही है। यहां विवाह योग्य उम्रदराज युवक-युवतियों परिचय सम्मेलन किया जा रहा है। जो शुक्रवार-शनिवार को होगा। सम्मेलन में इन युवक-युवतियों के अलावा विधुर-विधवा व तलाकशुदा भी शामिल होंगे। यह आयोजन अनूपपुर जिले के चेतना संगठन ने किया है। सम्मेलन के लिए युवकों की उम्र 34 वर्ष से अधिक और युवती की 32 वर्ष से अधिक होना आवश्यक है। दावा किया जा रहा है कि अखिल भारतीय जैन समाज में पहली बार उम्रदराज युवक-युवतियों के लिए इस तरह का परिचय सम्मेलन आयोजित हो रहा है। सम्मेलन में करीब 1500 युवक और 600 युवतियों के पंजीयन हो चुके हैं।

जेंडर रेशियो के साथ अब उच्च शिक्षा बनी समस्या
जैन समाज को यह आयोजन करने की आवश्यकता क्यों पड़ी। इसकी दो-एक वजह आम हो चुकी हैं। जिसमें मुख्य यह है कि इस समाज में जेंडर रेशियो बुरी तरह से बिगड़ा हुआ है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या889 है। जबकि राष्टï्रीय औसत 943 से कम है। सिखों के बाद जैन समुदाय ही है, जिसका जेंडर रेशियो इतना कम है। सिख समुदाय में यह रेशियो828 है। इसी मान से हिंदू
913 मुस्लिम 943, बौद्ध933 और ईसाई 958 हैं। बीते 15 साल से जनगणना नहीं हुई है। इसलिए नई जनगणना में परिणाम और भी खराब आ सकते हैं। ताजा स्थिति में जैन समाज के लड़का व लड़कियों के विवाह में देरी क्यों हो रही है। उसका मुख्य कारण ये बताया जा रहा है कि
समाज में लड़कियों की शिक्षा का स्तर काफी ऊंचा हो चुका है। साधारण स्नातक या पीजी के बजाए वे प्रोफेशनल और टेक्निकल कोर्सेस में बहुत आगे हैं। आयोजक चेतना संगठन की सदस्य ममता जैन ने बताया कि स्थिति ये है कि शादी लायक उम्र में लड़कियों के माता-पिता से संपर्क करो तो उनका जवाब होता है कि बिटिया अभी पढ़ रही है। हालांकि इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन उनकी पढ़ाई आखिर में उन्हें महानगरों तरफ ले जाती है। अब इसके बाद उनके लिए रिश्ते ढूंढने की तलाश शुरु होती है। तब पता चलता है कि उनके मैच का लड़का तो स्थानीय शहर या दूर-दराज तक मिलना मुश्किल है। इसके ठीक विपरीत लड़कों की स्थिति है। वे समय रहते शादी
करना चाहते हैं लेकिन पहले जेंडर रेशियो सामने आता है। जैसे-तैसे मन मुताबिक परिवार मिल भी जाए तो वही लाइन सामने आ जाती है कि ‘बिटिया अभी पढ़ रही है।Ó जैन समाज के एक अन्य मर्मज्ञ ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ उनका विवाह समय रहते नहीं कराना एक सही सोच नहीं है। इस निर्णय के बाद में परिणाम अंतरजातीय विवाह के रूप में सामने आते हैं। जिसे समुदाय के हित में कतई नहीं माना जा सकता।तलाक और संबंध-विच्छेद के मामले भी बढ़े
इस सम्मेलन में तलाकशुदा या संबंध विच्छेद वाले युवक-युवतियों को भी बुलाया गया है। पंंजीयन कराने वालों में इनकी संख्या कितनी है। फिलहाल इसके बारे में कोई अधिकृत जानकारी नहीं है। लेकिन माना जा रहा है कि इस केटेगरी में भी बड़ी संख्या में लोग सामने आएंगे। वजह ये है कि इस समुदाय में कारोबारी सरोकारों के चलते संयुक्त परिवार वाली परंपरा को लड़के या लड़कियां एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं। नतीजतन वे परिवार से अलग होने की कोशिश करते हैं। कुछेक मामलों में इसका नतीजा तलाक या संबंध-विच्छेद के रूप में सामने आता है। एक दूसरी वजह लड़के-लड़कियों की शिक्षा-दीक्षा में काफी असमानता के साथ उनके अपने-अपने करियर को लेकर महत्वाकांक्षाएं भी हैं। एक सामान्य टेंडेन्सी यह बन चुकी है कि शहरों पल-बढ़ी लड़कियां व उनके परिजन कस्बाई या ग्रामीण क्षेत्र
के परिवार में ब्याह ही नहीं करना चाहते। जबकि समाज की बड़ी आबादी ग्रामीण-कस्बाई क्षेत्रों में ही रह रही है। अगर जैसे-तैसे विवाह हो भी जाए वह परिवार को शहर की तरफ ले जाना चाहतीं हैं। जबकि पति व ससुरालीजन कारोबारी वजहों से ऐसा करने पाने में सक्षम नहीं होते। नतीजतन परिणाम तलाक या संबंध-विच्छेद तक पहुंच जाते हैं।
28/03/2025
|
ReplyForward |



