आदेश: बीमा कंपनी नहीं, बैंक को देना होगी फसल बीमा की रकम
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने किसान के पक्ष में सुनाया फैसला, विचारण के दौरान बैंक प्रबंधन, बीमा कंपनी को प्रीमियम राशि भेजना साबित नहीं कर पाया

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सागर। फसल बीमा के एक मामले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने बीमा कंपनी के बजाए प्रीमियम राशि काटने वाले बैंक प्रबंधन को क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। यह प्रकरण आयोग के अध्यक्ष राजेशकुमार कोष्टा सदस्य अनुभा वर्मा और राजेशकुमार ताम्रकार के समक्ष पेश किया गया था। मामले में पैरवी करने वाले वकील संतोषकुमार सोनी ने बताया कि मेरे परिवादी गोविंद कुर्मी निवासी गांव जमनापुर परासिया तहसील देवरी, जिला सागर की 5 एकड़ भूमि पर बोयी सोयाबीन की फसल वर्ष 2017 में बरबाद हो गई थी। लेकिन बीमा कंपनी ने उसेे क्लेम नहीं दिया। जिसके बाद उसने आयोग के समक्ष क्लेम दायर किया। लेकिन गलत बीमा कंपनी को पार्टी बनाने के कारण उसने अपना परिवाद वापस ले लिया था। इसके बाद उसने दोबारा यह क्लेम दायर किया। जिसमें उसने एचडीएफसी एग्रो एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के प्रबंधक और शाखा प्रबंधक, मध्यांचल ग्रामीण बैंक, शाखा चांदपुर तहसील रहली जिला सागर को पक्षकार बनाया। विचारण के दौरान यह तथ्य सामने आया कि मध्यांचल बैंकने परिवादी किसान गोविंद कुर्मी केसीसी खाते से प्रीमियम की राशि 1194 रु. काट ली थी। लेकिन उसने यह राशि संबंधित बीमा कंपनी को नहीं भेजी। चूंकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानों के अनुसार बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि योजना संबंधित शाखा, पैक्स, गलतियों, चूकों, त्रुटियों के कारण उपभोक्ता को किसी भी लाभ से वंचित नहीं करेंगे। इसके बावजूद त्रुटि होती है तो उसकी भरपाई संबंधित बैंक को करना होगी। इस मामले में किसान की फसल के बीमा की राशि संबंधित बीमा कंपनी को नहीं पहुंची। इसलिए बैंक इस भरपाई के लिए उत्तरदायी है। अतएव मध्यांचल ग्रामीण बैंक, शाखा चांदपुर तहसील रहली जिला सागर को किसान गोविंद कुर्मी के लिए सोयाबीन फसल के हर्जाने के लिए 54,446रु. सितंबर 2019 से 6 प्रतिशत सालाना ब्याज दर और सेवा में कमी व वाद व्यय के लिए क्रमश: 5 हजार व 2 हजार रु. का भुगतान करना होगा।
29/02/2024



