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डेयरी विस्थापन की अंतर्कथा: कॉलोनी सा बेहतरीन ले-आउट और सुंदर लोकेशन देख बन गए फर्जी “पशुपति” !

सागर। नगर निगम के डेयरी विस्थापन के तहत केवल 5-10 हजार वर्गफीट के प्लाट आवंटन में गड़बड़ी नहीं हुई है। नगर निगम के सूत्रों के अनुसार 5 हजार वर्गफीट से कम के प्लाट की साइज लेने वालों में भी कई लोग ऐसे हैं। जो रातों-रात फर्जी ” पशुपति” बन गए। जानकारी के अनुसार अभी तक 222 डेयरी संचालकों ने प्लाट आवंटित कराने के लिए आवेदन दिए हैं। उनमें से करीब  50  तो वे हैं, जिन्होंने 5-10 हजार वर्गफीट के प्लाट आवंटित कराए हैं। जिनमें से 25 फीसदी नए-नए यानी फर्जी पशुपति हैं। बाकी 175 डेयरी संचालकों में 60-70 ऐसे हैं। जिनके पास मवेशी की मौजूदगी भी संदेह के घेरे में हैं। सूत्रों का कहना है कि इन लोगों के पास गाय-भैंस तो ठीक कुत्ते-बिल्ली  तक नहीं है। इन लोगों ने 2 हजार से 4  हजार वर्गफीट के प्लाट लिए हैं। इन फर्जी पशुपतियों ने ननि की पहले आओ-पहले पाओ घोषणा का बेजा फायदा उठाते हुए साइट की
मुख्य सड़क से लगे हुए आगे के प्लाट झपट लिए हैं।
 बेहतरीन ले-आउट और मूलभूत सुविधाओं के चलते जागा लालच
नगर निगम ने हफसिली गांव में जिस साइट पर डेयरियों को विस्थापित किया है। वह  अपने आप में एक बेहतरीन साइट है। चौड़ी सड़कें, स्ट्रीट लाइट्स, पाथ-वे, ड्रेनेज, पेयजल के लिए तीन-तीन बोर। बिजली की सुचारू सप्लाई के लिए अलग से ट्रांसफार्मर व पशु अस्पताल। सुरम्य पहाड़ीऔर एक तरफ से जंगल से घिरा सैकड़ों एकड़ का भू-भाग। ये कुछ ऐसे कारण हैं, जिसके चलते भी फर्जी ”पशुपति” यहां जगह लेने के लिए टूट पड़े। हालांकि पशुपालन नहीं करने वालों को एक फीट भी जमीन नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन नगर निगम और पार्षदों की मिली भगत के चलते ये लोग प्लाट पाने में कामयाब रहे। 
आज शिफ्ट होगी पहली डेयरी, छोटी-मंझोली डेयरियों के अस्तित्व पर संकट
बुधवार को यहां पहली डेयरी शिफ्ट हो रही है। राजीवनगर के विनोद घोषी ने बताया कि मंगलवार को कथा-भंडारा हो गया है। आज यहां सारे मवेशी आ जाएंगे। कुछ अन्य बड़े डेयरी संचालकों के भी शेड तैयार हो गए हैं। मुमकिन है कि वे सप्ताह भर के भीतन अपने मवेशी यहां शिफ्ट कर लें। इस बीच पशुपालकों के खेमे से एक जानकारी सामने आई है। उनका कहना है कि यह साइट बड़ी डेयरियों के लिए बहुत अच्छी है। लेकिन जिन लोगों के पास औसतन दुधारू पशु हैं। उनका यहां सर्वाइव करना बहुत कठिन है। महज 5-7 मवेशियों के लिए शहर से दोनों समय 10 किमी की आवाजाही दुग्ध व्यवसाय के लिहाज से महंगा सौदा है। उस पर से छोटी डेयरियों में परिवार की महिलाओं की भी सहभागिता रहती है। इस स्थिति में बच्चों-बुजुर्गों को घर छोड़कर कोई भी महिला पशुपालक परिजन का हाथ बंटाने यहां तक नहीं आएगी। ऐसे में बहुत मुमकिन है कि इस साइट पर 10 से कम मवेशी वाले पशुपालक चंद दिनों बाद ही अपअपनी डेयरियां बंद कर दें।

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