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जेल को शिफ्ट होना है, इसके बावजूद शासन बनवा रहा है 1.50 करोड़ की नई बैरिकें
विभाग का तर्क, नई बिल्डिंग बनने में 5 साल लगेंगे। तब तक बंदियों को कहां रखें।

विभाग का तर्क, नई बिल्डिंग बनने में 5 साल लगेंगे। तब तक बंदियों को कहां रखें।
सागर वाणी डेस्क l 9425172417
सागर। केंद्रीय जेल सागर को चितौरा के पास राज्य शासन ने करीब 200 एकड़ भूमि चिहिन्त की है। शासन स्तर पर इस जमीन का आवंटन होना शेष है। इसके बावजूद जेल विभाग मप्र, केंद्रीय जेल के एक्सटेंशन के तहत करीब 1.50 करोड़ रुपए खर्च कर वेयर हाउस तरफ वाली साइड पर नई बिल्डिंग का निर्माण करा रहा है। पीआईयू पीडब्ल्यूडी के माध्यम से इन नई बैरिकों का निर्माण जारी है। जेल प्रशासन के अनुसार दो मंजिला बैरिकों में 80 बंदियों को रखा जाएगा। इधर इस निर्माण से शासकीय धन के बरबाद होने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि अगर जेल शिफ्टिंग की परियोजना को समय रहते पूरा कर लिया जाता तो शायद इस नई एक्सटेंशन बिल्डिंग में राशि खर्च करने की नौबत नहीं आती।

नए परिसर में जेल की डिजाइन रहेगी, इसलिए दूसरा उपयोग संभव नहीं
जेल के लिए बनने वाले भवनों की एक विशेष डिजाइन होती है। जैसे हरेक बैरक में दीवार पर काफी ऊपर वेंटिलेशन के लिए खिड़की होती है। उसके दरवाजे लोहे के सरिया के बनाए जाते हैं। बैरिक की बनावट कुछ यूं होती है कि उसका उपयोग स्टोर रूम के अलावा किसी अन्य काम के लिए नहीं किया जा सकता। देर-सबेर जब वर्तमान जेल गोपालगंज से शिफ्ट होकर चितौरा जाएगी। तब यह नवनिर्मित बिल्डिंग एक तरह से अनुपयोगी ही साबित होगी। जेल प्रशासन द्वारा इस नई बैरिक बिल्डिंग के अलावा सुरक्षा दीवार का भी पुनिर्माण व एक्सटेंशन किया जा रहा है। वह भी शिफ्टिंग के बाद रिमूव कर दी जाएगी। बता दें कि जेल के शिफ्ट होने के बाद इस रिक्त स्थान पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ने मार्केटिंग हब के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया है।
898 की क्षमता है 1800 – 2000 आरोपी-अपराधी रहते हैं निरुद्ध
केंद्रीय जेल सागर का निर्माण ब्रिटिश काल में वर्ष 1843 में हुआ था। अगले 100 वर्ष की आबादी और अपराध की दर को भांपते हुए इस जेल की क्षमता करीब 1000 बंदियों की रखी गई। लेकिन अब 175 साल से अधिक गुजर चुके हैं और अपराध की दर भी अनुमान से कहीं अधिक हो चुकी है। इसके चलते जेल में कभी भी 1800-2000 से कम बंदी नहीं रहते हैं।
इसी के चलते राज्य सरकार ने केंद्रीय जेल सागर की क्षमता बढ़ाते हुए उसे अन्यत्र शिफ्ट करने का प्लान तैयार किया। जिसके तहत जेल विभाग के विशेषज्ञों ने चितौरा के पास 80 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की। पिछले महीने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई साधिकार समिति की बैठक में इस प्रोजेक्ट को अनुमोदन मिल चुका है। इसके उपरांत अब जमीन के आवंटन व निर्माण के लिए प्रशासकीय अनुुमति मिलना शेष है। नई बिल्डिंग की लागत करीब 250 करोड़ रुपए आएगी और इसमें करीब 5000 लोग निरुद्ध किए जा सकेंगे।
इसी के चलते राज्य सरकार ने केंद्रीय जेल सागर की क्षमता बढ़ाते हुए उसे अन्यत्र शिफ्ट करने का प्लान तैयार किया। जिसके तहत जेल विभाग के विशेषज्ञों ने चितौरा के पास 80 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की। पिछले महीने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई साधिकार समिति की बैठक में इस प्रोजेक्ट को अनुमोदन मिल चुका है। इसके उपरांत अब जमीन के आवंटन व निर्माण के लिए प्रशासकीय अनुुमति मिलना शेष है। नई बिल्डिंग की लागत करीब 250 करोड़ रुपए आएगी और इसमें करीब 5000 लोग निरुद्ध किए जा सकेंगे। 5 साल में तैयार होगी नई बिल्डिंग तब तक बंदियों को कहां रखें
जेल की नई इमारत का निर्माण अगले महीने से भी शुरु कर दिया जाए तब भी उसे पूरा होने में औसतन 5 वर्ष लगेंगे। इधर जेल में क्षमता से दोगुना से अधिक बंदी हैं। जो एक बड़ी समस्या है। इस बावत विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी विचार-विमर्श कर चुके हैं। इसके बाद ही नए एक्सटेंशन के निर्माण को मंजूरी दी गई। नई बिल्डिंग बनने से कम से कम 80 बंदियों को रखने की क्षमता वृद्धि हो जाएगी।
– दिनेश नरगावे, सुपरिटेन्डेंट, केंद्रीय जेल, सागर मप्र



