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महिला बाल विकास विभाग का बाबू और प्राइवेट बैंकों का ”सीएसआर” फंड !

 सागर। 9425172417

जिला महिला एवं बाल विकास विभाग में एक बाबू हैं। वे सागर में ही विभागीय सेवाएं देने के लिए बार-बार कोर्ट पहुंच जाते हैं। बाहर से देखने पर लोगों को लगता होगा कि वह परिवार से दूर नहीं जाना चाहते।परिवार में दवाई-बीमारी का मसला होगा। नहीं तो फिर बुंदेलखंड से विशेष प्रेम होगा। लेकिन सच्चाई ये नहीं है।
दरअसल वे शहर के दो प्राइवेट बैंकों के मोहपाश में बंधे हुए हैं। समझ नहीं आया। चलिए खुलकर बता देते हैं। जिला महिला एवं बाल विकास में सहायक वर्ग-3 के पद पर अशोक मिश्रा नामक एक बाबू हैं। जो हाल ही में जबलपुर हाईकोर्ट से अपना ट्रांसफर आदेश निरस्त करा लाए हैं। इसके पीछे की कहानी क्या है। इस पर बाद में चर्चा करेंगे। फिलहाल प्राइवेट बैंक और इनके बीच की मोहब्बत, मोहपाश वगैरह-वगैरह पर बात कर लें। जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के एक्सिस बैंक सिविल लाइंस और एचडीएफसी बैंक परकोटा पर दो एकाउंट हैं। जिनमें कुल 10.30 करोड़ रुपए जमा हैं। चर्चा है कि इन दोनों बैंक और बाबूजी के बीच बड़े प्रेमिल संबंध हैं! इस तथ्य की पुष्टिï इस बात से हो रही है कि अशोक बाबू को विभागीय अधिकारी पचासों बार इन प्राइवेट बैंकों से खाते बंद करने का बोल चुके हैं। क्योंकि विभाग का एक अधिकृत खाता सरकारी बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में पहले से है। लेकिन अशोक बाबू के कान पर जूं नहीं रेंगी। पिछले दिनों विभाग प्रमुख ने अपने स्तर पर लिखित में इन बैंकों से खाते बंद करने कहा। लेकिन इस दफा बैंक ढीठता पर उतर आए।10  दिन से ज्यादा गुजरने के बावजूद उन्होंने न खाते बंद किए न राशि ट्रांसफर की। वैसे यह दोनों बैंक जमा राशि पर कम से कम१ परसेंट राशि सालाना सीएसआर के रूप में उस ग्राहक या उसके बताए सेट-अप पर खर्च करते हैं। महिला और बाल विकास को इन बैंकों से कभी सीएसआर फंड नहीं मिला। विभाग अब इस बारे में पड़ताल करने की तैयारी में है।
हिसाब दे नहीं रहे, दबाव बनाने सीनियर मंत्री का नाम लेते हैं
अब अशोक बाबू की बात कर लें। ये कई साल से ऑफिस में पदस्थ हैं। मलाईदार शाखाएं जैसे भवन, आईसीडीएस, स्टोर, वाहन आदि पर काबिज रहे। बीच में आंगनवाड़ी की मंजूरी, विभागीय लेखा-जोखा नहीं देने के मामले उठे तो इनकी वर्किंग नजर में आ गई। खोजबीन की गई तो मालूम हुआ कि वर्ष 2019 में ट्रांसफर हुआ था। रिलीव नहीं हुए। शासन ने दोबारा आदेश जारी कर दिया। मिश्रा जी, ठहरे सागर में ही सेवा करने के जिद्दी सो महीने भर तो उन्होंने चार्ज नहीं दिया। जैसे-तैसे एकतरफा रिलीव होने के बाद वे अपनी नई पदस्थापना श्योपुर जाने के बजाए हाईकोर्ट पहुंच गए। वहां तर्क-वितर्क देकर कोर्ट से अपना ट्रांसफर निरस्त करा लाए। अब दोबारा कार्यालय पहुंचे तो फिर हिसाब देने तैयार नहीं। कार्यालय प्रमुख ने इनके चाल-चरित्र को देखते हुए इन्हें किशोर न्याय बोर्ड इकाई में पदस्थ कर दिया। लेकिन ये वहां भी चार्ज लेने को तैयार नहीं। इधर अपना चार्ज तो दे ही नहीं रहे। बताते हैं कि जब कभी बाबू की गड़बड़ी पकड़ लो तो वह अपना रहली कनेक्शन बताने लगते हैं। जबकि सीनियर मंत्री इस बारे में साफ कह चुके हैं। इस तरह के व्यक्तियों से मेरा कोई सरोकार नहीं है। शासकीय नियमानुसार संबंधित पर कार्रवाई करने में कतई कोताही नहीं बरती जाए।

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