पेन ड्राइव से डाटा गायब, पिता-पुत्री के हत्या-आत्महत्या कांड के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
6 साल पुराने इस सनसनीखेज मामले में आज आना था फैसला,कोर्ट में जमा पेन ड्राइव से मृतक ब्रजेश चौरसिया और आरोपियों की कॉल रिकॉर्डिंग्स का डाटा गायब होने पर भाई ने लगाई थी याचिका

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सागर। 6 साल पुराने पिता-पुत्री की हत्या और आत्महत्याकांड के सनसनीखेज मामले के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली ने रोक लगा दी है। वर्तमान में यह मामला जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रशांत सक्सेना के कोर्ट में चल रहा है। जानकारी के अनुसार इस केस में आज सोमवार को फैसला आना था। जानकारी के अनुसार, फैसले पर रोक लगाने का कारण इस हत्याकांड से जुड़ी एक पेन ड्राइव से डाटा गायब होना है। जिसको लेकर मृतक ब्रजेश चौरसिया के भाई राजेश चौरसिया ने इसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। राजेश के मुताबिक इस डाटा में मुख्य रूप से मृतक और आरोपियों की बीच हुई कॉल रिकॉर्ड का ब्योरा था। जिसे कोर्ट में ट्रांसक्रिप्शन के रूप में पेश किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी संदीपकुमार सेन और मयंक प्रजापति ने की। 
आरटीआई से पता चला पेन ड्राइव में कुछ भी नहीं है
याचिकाकर्ता राजेश चौरसिया ने बताया कि, मैं जानना चाहता था कि मेरे भाई की मौत के पहले उसकी, आरोपियों से क्या बातचीत होती थी। इसके लिए मैंने इस केस की सुनवाई कर रहे तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश अब्दुल्ला अहमद के कोर्ट को जून 2024 में आवेदन देकर कॉल रिकॉर्डिंग वाली पेन ड्राइव की कॉपी चाही थी। वहां से जानकारी मिली कि डाटा करप्ट यानी उसमें कोई भी रिकॉर्डिंग्स नहीं है। इसके बाद मैंने न्यायालय में सीआरपीसी की धारा 91 के तहत आवेदन देकर पुलिस से पुन: उक्त पेन ड्राइव मय रिकॉर्ड के जमा करवाने की मांग रखी। जुलाई 2024 में न्यायालय ने मेरा यह आवेदन खारिज कर दिया। इसके बाद मैंने सिविल लाइंस पुलिस के समक्ष आवेदन दिया और उक्त पेन ड्राइव की कॉपी मांगी। अगस्त 2024 में जवाब मिला कि उक्त पेन ड्राइव में कोई भी डाटा नहीं है। राजेश के अनुसार इस पेन ड्राइव में करीब 16 हजार कॉल रिकॉर्डिंग्स थी। जिनमें से कई रिकॉर्डिंग्स आरोपियों और मेरे भाई की बातचीत से जुड़ी थीं। जब यह आधिकारिक रूप से पुख्ता हो गया कि न्यायालय में जमा की गई पेन ड्राइव में कोई डाटा नहीं है। तब मैंने पहले हाईकोर्ट और उसके बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की कि पुलिस दोबारा पेन ड्राइव, मय डाटा के कोर्ट में जमा करे। सुप्रीम कोर्ट ने मेरी इस मांग के बाद जिला न्यायालय के फैसले पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। वहीं मप्र पुलिस को उचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
कार में मृत मिले थे पिता-पुत्री, पत्नी थी बेहोश
रहस्यमय हालात में युवक ब्रजेश चौरसिया, उनकी किशोरवय पुत्री महिमा की मौत और पत्नी राधा चौरसिया के बेहोश मिलने का यह सनसनीखेज मामला 16-17 जुलाई 2019 की दरमियानी रात का है। पुलिस को खबर मिली थी कि न्यु आरटीओ रोड पर एक कार लावारिस हालात में खड़ी है। जिसकी पिछली सीट पर एक किशोरवय लड़की मृत व उसके बाजू में एक महिला बेहोशी की हालत में है। आगे की सीट पर एक युवक, जिसकी कनपटी के नीचे गोली लगने का निशान है, वह मरणासन्न स्थिति में है। पुलिस मौके पर पहुंची तो मरणासन्न युवक ब्रजेश और उसकी पत्नी को अस्पताल पहुंचाया गया। जहां डॉक्टरों ने ब्रजेश को मृत घोषित कर दिया। बाद में मिले सुबूतों और हालात के बाद पुलिस ने इस मामले में पाया कि ब्रजेश ने दुर्गापुर कोलकाता के रंजन राय से दो पिस्टल खरीदी थीं। घटना दिनांक को ब्रजेश, पत्नी-बेटी को बाहर भोजन कराने के लिए कार से रवाना हुआ। रास्ते में उसने एक कोल्ड ड्रिंक खरीदी। बाद में जांच में साबित हुआ कि इसमें नींद की गोलियां थीं। इसके बाद इन लोगों की गाड़ी आरटीओ के पास खड़ी मिली। जांच में यह साबित हुआ कि घटनाक्रम के समय रंजन आसपास ही था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया, जो फिलहाल जेल में है। रंजन के बयानों के अनुसार जब वह मौके पर पहुंचा तो महिमा मर चुकी थी। ब्रजेश ने उससे दूसरी वाली पिस्टल मांगी। इसके बाद रंजन वहां से चला गया। इस तरह से यह रहस्यमय ही रहा कि महिमा की हत्या किसने की थी। क्या ब्रजेश ने वास्तव में आत्महत्या की थी ? जांच के दौरान यह भी सामने आया कि ब्रजेश को मनोज यादव, सोहन केशरवानी, अनिल शुक्ला, श्याम सुंदर सोनी, सुरेंद्र साहू, राजेश मिश्रा, गौरव भारद्वाज उधारी की रकम के लिए प्रताड़ित कर रहे थे। पुलिस इन सभी को भी इस मामले मे आरोपी बनाया। फिलहाल ये सभी जमानत पर हैं। 
20/07/25



