अमिताभ बच्चन ने किया बुंदेला विद्रोह के नायक पर लिखी पुस्तक का विमोचन , शहीद मधुकरशाह के वंशज को भी मंच पर बुलाया
मुंबई। सन् 1842 में हुए बुंदेला विद्रोह के नायक,शहीद मधुकरशाह बुंदेला पर लिखी गई फिल्म अभिनेता गोविंद नामदेव की पुस्तक का विमोचन अमिताभ बच्चन सहित कई फिल्मी हस्तियों की मौजूदगी में संपन्न हुआ। मंच पर चाणक्य फेम चंद्रप्रकाश द्विवेदी, एनएसडी के पूर्व डायरेक्टर रामकुमार बजाज, अभिनेता सतीश कौशिक भी थे, फिल्म इंडस्ट्री और रंगमंच जगत से नामचीन हस्तियां मौजूद थीं। इस विमोचन कार्यक्रम में ललितपुर जिले के नारहट से मधुकरशाह बुंदेला के वंशज विक्रमशाह बुंदेला और सागर से डा. सुरेश आचार्य सहित वे कई लोग शामिल हुए जिन्होंने इस पुस्तक के आकार लेने में गोविंद नामदेव जी का सहयोग किया
विमोचन कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन ने कहा कि मुझे मुंबई में 40 साल में पहली बार किसी हिंदी पुस्तक के कार्यक्रम में बुलाया गया है। बच्चन साहब ने मनोयोग से दो घंटे तक सारे वक्ताओं से शहीद मधुकरशाह बुंदेला और बुंदेला विद्रोह के बारे में सुनते रहे। अपने भाषण में उनका कहना था कि मैं घर जाकर इस पुस्तक को शीघ्र पढ़ने वाला हूँ और फिर गोविंद नामदेव जी को चर्चा के लिए बुलाने वाला हूं। चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि पुस्तक फिल्म की स्क्रिप्ट की भांति ही लिखी गई है और इस विषय पर एक महान फिल्म बनाने के पूरे तत्व उसमें मौजूद हैं। सतीश कौशिक ने कहा कि हम सब सिर्फ 1857 की क्रांति तक ही जानकारी रखते थे आज पहली बार जान पा रहा हूं कि उसके भी पहले एक क्रांति अंग्रेजों के खिलाफ बुंदेलखंड में हो चुकी थी। …पूरे कार्यक्रम का सारतत्व यह रहा कि यह सिर्फ एक विमोचन कार्यक्रम नहीं था , स्पष्ट रूप से लगा कि यह मधुकरशाह बुंदेले पर भविष्य में बनने वाली किसी मेगा सटारर फिल्म की आधारशिला रखे जाने का कार्यक्रम है।
फिल्म अभिनेता गोविंद नामदेव ने पुस्तक परिचय के रूप में पुस्तक “मधुकर शाह- बुंदेला विद्रोह का नायक” से कुछ संवादों का सस्वर पाठ किया तो जुहू के इस्कान मंदिर आडिटोरियम में सबके रोंगटे खड़े हो गये। पुस्तक छापने वाले राजकमल प्रकाशन के मालिक अशोक माहेश्वरी ने अपने संबोधन में किताब की प्रशंसा में कहा कि हमने मधुकरशाह पर पुस्तक छाप कर अपनी गौरवशाली परंपरा को मजबूत किया है।…इस आयोजन का एक एक क्षण बुंदेलखंड, सागर और ललितपुर जिले के लिए गौरव का था। वह वीर क्रांतिकारी जो सागर के गोपालगंज और ललितपुर के नारहट कस्बे में अपनों के बीच उपेक्षितों स रहा उसकी यशगाथा आज पूरी फिल्म इंडस्ट्री जानने को व्याकुल थी।
. -(मुंबई से रजनीश जैन)



