घनी आबादी के बीच बारूद का जखीरा! ‘रमेश ताले वाले’ का पटाखा गोडाउन सील, प्रशासन की कार्रवाई पर उठे सवाल

सागर। घनी आबादी के बीच नियमों को ताक पर रखकर विस्फोटक सामग्री (पटाखों) का बड़ा स्टॉक करने वाले ‘रमेश ताले वाले’ (विनित जैन व अन्य) पर प्रशासन ने कार्रवाई की है। खुरई रोड स्थित आईटीआई के सामने संचालित इस थोक व फुटकर विक्रय केंद्र पर रिटेल काउंटर की आड़ में पटाखों का अवैध गोडाउन संचालित किया जा रहा था। कलेक्टर संदीप जीआर के निर्देश पर ग्रामीण तहसीलदार राहुलसिंह गौड़ के नेतृत्व में टीम ने मौके पर पहुँचकर बड़ी मात्रा में अवैध स्टॉक को सील किया, लेकिन यह कार्रवाई ‘आधी-अधूरी’ बताई जा रही है, जो प्रशासन और व्यवसायी की सांठगांठ की ओर इशारा करती है।

जिला प्रशासन को जानकारी मिली थी कि ‘रमेश ताले वाले’ के नाम से चल रहे इस केंद्र पर रिटेल काउंटर की अनुमति की आड़ में भारी मात्रा में पटाखों का भंडारण किया गया है। जाँच के दौरान टीम को काउंटर के बाजू से बने एक भवन में 500 किलोग्राम पटाखों का अवैध भंडारण मिला। तहसीलदार गौड़ के अनुसार, विक्रेता को इस स्थान पर मात्र 100 किलोग्राम पटाखों के भंडारण और रिटेल बिक्री की अनुमति है। नियमों का उल्लंघन करते हुए 500 किलोग्राम स्टॉक पाए जाने पर गोडाउन को सील कर दिया गया।
पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत ? जान-माल का खतरा
कार्रवाई के बावजूद, सबसे गंभीर बात यह सामने आई कि यह कार्रवाई दिखावटी और अधूरी थी। प्रत्यक्षदर्शियों और सूत्रों के अनुसार, जिला प्रशासन की टीम ने जिस गोडाउन को सील किया, उससे कहीं अधिक पटाखों का जखीरा दुकान के रिटेल काउंटर के ऊपर वाले फ्लोर में मौजूद था। यह गंभीर लापरवाही और नियमों की अनदेखी पुलिस-प्रशासन की कथित मिलीभगत को दर्शाती है। यदि यह सच है, तो घनी आबादी के बीच बारूद का इतना बड़ा भंडारण कर स्थानीय निवासियों के जान-माल को सीधे खतरे में डाला जा रहा है। प्रशासन की कार्रवाई के बावजूद, व्यवसायी देर रात तक उसी काउंटर से ‘धड़ल्ले से’ पटाखे बेचता रहा, जो इस बात को बल देता है कि केवल एक गोडाउन सील करना एक खानापूर्ति थी, और बड़े स्टॉक को जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया गया।
घनी आबादी में लाइसेंस यथावत, बड़ा सवाल
‘रमेश ताले वाले’ के पास रिटेल काउंटर के लिए आईटीआई के पास वाले स्थान का लाइसेंस वर्ष 2015 में जारी किया गया था। तब यह स्थान शायद घनी आबादी से दूर था, लेकिन अगले कुछ वर्षों में यहां तेजी से बसाहट हो गई। नियमतः, लोगों की सुरक्षा के लिए यह लाइसेंस तुरंत प्रभाव से आबादी से दूर सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट होना चाहिए था, लेकिन कलेक्टोरेट स्थित शस्त्र शाखा समेत संबंधित नोडल अधिकारियों की ‘मेहरबानी’ के चलते ऐसा नहीं किया गया।
करोड़ों का कारोबार और क्विंटलो बारूद का स्टॉक !
सूत्रों का कहना है कि इस लाइसेंसी का दीवाली सीजन में करोड़ों रुपए का कारोबार होता है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रिटेल काउंटर पर कितनी बड़ी मात्रा में पटाखों का अवैध संग्रहण किया जाता होगा। चर्चा यह भी है कि भैंसा गांव में आधिकारिक मुख्य गोडाउन होने के बावजूद, अधिकांश स्टॉक इसी रिटेल काउंटर और बाजू के अवैध गोडाउन में रखा जाता है। जबकि काउंटर पर पटाखा भंडारण की अनुमति केवल एक क्विंटल है लेकिन यहां कहीं ज्यादा स्टॉक जमा कर बिक्री की जाती है।
तहसीलदार का आश्वासन, लेकिन सवाल तो उठे
कार्रवाई की ‘अधूरेपन’ को लेकर जब तहसीलदार गौड़ से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मौके पर उन्हें यही गोडाउन मिला, जिसे सील कर दिया गया। उन्होंने स्वीकार किया कि अगर रिटेल काउंटर के ऊपर लाइसेंसी क्षमता से अधिक स्टॉक रखा है, तो यह नियम विरुद्ध है, और वे पुन: मौके पर जाकर जांच करेंगे व आवश्यक कार्रवाई करेंगे। हालांकि, प्रशासन के इस आश्वासन पर सवाल खड़े होते हैं, कि जब टीम मौके पर मौजूद थी, तो वे पूरी तरह जांच क्यों नहीं कर पाई? क्या यह जानबूझकर बड़ी कार्रवाई से बचने का प्रयास था? यह कार्रवाई स्पष्ट संकेत देती है कि स्थानीय प्रशासन की अनदेखी और कथित सांठगांठ के चलते एक बड़ा पटाखा व्यवसायी घनी आबादी के बीच लगातार नियमों का उल्लंघन कर रहा था, और लोगों की जान को खतरे में डाल रहा था।
19/10/2025



