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पद्मश्री के लिए लॉबिंग……विजय माल्या से दोस्ती और राजनीतिक मंसूबे! : पार्ट-1

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सागर। पिछले महीने पद्मश्री का तमगा पाने के लिए शहर में होड़ लगी रही। आवेदन जमा करने से पहले सहमति, अनुशंसाओं का दौर चला। ओवरआल आधा दर्जन लोगों ने अपने आवेदन गृह मंत्रालय, भारत सरकार के समक्ष पेश किए । साधारण चश्मे से देखें तो यह कवायद, आवेदन जमा होने के बाद खत्म हो गई। लेकिन ऐसा नहीं है। इनमें से एक महिला आवेदक की आड़ में उनकी रिश्तेदार पहले सामाजिक और बाद में राजनीतिक जमीन तैयार करती दिख रहीं हैं। इनमें आवेदक ताई के नाम से मशहूर श्रीमती मीना पिंपलापुरे हैं और रिश्तेदार उनकी अप्रवासी भारतीय बिटिया नीता खन्ना (हालांकि चर्चा है कि नीता ने पिछले दिनों कनाडाई नागरिकता छोड़ दी) हैं। सूत्र बताते हैं कि एक समय कट्टर भाजपा और संघ विरोधी रहे पवन वर्मा, सुनीत सूर्या कोहली की घनिष्ठ साथी नीता खन्ना ने सागर में अपनी जड़ें सुनियोजित रूप से जमाना शुरू कर दिया है। नामचीन उद्यमी महाराष्ट्रीयन पिंपलापुरे परिवार की नीता ने दिल्ली के मोना पंजाबी अर्जुन खन्ना से अंतरजातीय विवाह किया है। बाद में वे कनाडाई नागरिक भी हो गईं। लेकिन वे अब अपने मुलुक यानी देश लौट आईं हैं और ससुराल दिल्ली के बजाए मायके यानी सागर में सक्रिय हैं। अपनी मां, श्रीमती मीना (ताई) को पद्मश्री दिलाने की लाबिंग की आड़ में नीता खन्ना ने पिछले दो महीनों में एक दर्जन से अधिक सत्ता पक्ष यानि भाजपा की सरकारों के केंद्रीय व प्रदेश के मंत्रियों, सांसदों व विधायकों से घनी-घनी मुलाकातें की हैं। इस दौरान वे कई ब्यूरोक्रेट्स से भी मिलीं। 

सागर की राजनीति में नए दावेदार के रूप में क्यों नहीं देखें?

 

मोदी विरोधी नेताओं-वक्ताओं को मंच उपलब्ध कराती रहीं

बहरहाल जो लोग नीता खन्ना को ज्यादा नहीं जानते। उनके लिए खन्ना के सोशल मीडिया एकाउंट्स को खड़़बड़ाना चाहिए। जहां वे दिल्ली की पेज थ्री सोसायटी का चर्चित चेहरा हैं। भाजपा, संघ और मोदी की नीतियों का सक्रिय विरोध करने वाली लेफ्ट ब्रिगेड से उनकी करीबी दिखती है। सोशल मीडिया एकाउंट्स से इतर देखें तो नीता खन्ना, मैदानी दुनिया में मौजूदा सरकार की नीतियों का सक्रिय विरोध करने वाले वक्ताओं को मंच देती हैं। जिसके लिए उन्होंने शास्त्रार्थ इवेंट्स नाम की संस्था खड़ी की है। जिसमें मोदी विरोधी सोच के नेताओं को मंच दिया गया। इस मंच से अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिंहा और राजबब्बर खुल कर मोदी सरकार की आलोचना करते देखे-सुने गए। हालांकि यह आजकल में नहीं हुआ। यह तो बरसों से चल रहा था। सागर में ही अपने पिता स्व. बाबूराव पिंपलापुरे की स्मृति में होने वाली सालाना व्याख्यानमाला में कांग्रेस और लेफ्ट का एजेंडा पोषित करने वाले वक्ताओं को मंच दिया जाता रहा है। इनमें पवन वर्मा,अशोक वाजपेयी जैसे भाजपा-संघ विरोधियों के नाम बरबस ही जुबान पर आ जाते हैं। इन लोगों के बयानों-भाषणों को बाद में नीता खन्ना और उनके सहयोगियों ने किताब रूप का दिया। जो पाठकों को कांग्रेसी चश्मे से तथाकथित भगवा आतंकवाद की मौजूदगी दिखाने की कोशिश करती है।

क्रमशः

24/09/2025

 

 

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