कोतवाली पुलिस थाना के सामने दिन- दहाड़े ठगी, दोना-पत्तल बेचने वाला बना शिकार
5 मिनट के भीतर बुजुर्ग से 60-70 हजार के जेवरात ठग कर भागे बदमाश

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सागर। महिला- बुजुर्गों से राह चलते जेवर व नकदी ठगने वाले गिरोह हौंसले कितने बुलंद हैं। इसका उदाहरण शहर के कोतवाली पुलिस थाने से चंद मीटर दूर हुई ठगी की वारदात है। जिसमें दो बदमाश एक बुजुर्ग दुकानदार से सोने का चेन-लॉकेट व अंगूठी ठग ले गए। इस मामले में पुलिस की हद दर्जे की अकर्मण्यता भी जाहिर हुई है। ठगी का शिकार बुजुर्ग और उसकी बेटी घटना के तुरंत बाद थाने पहुंचे और ठगों को पकड़ने कहा लेकिन पुलिस उन लोगों से आवेदन लिखवाने बैठ गई।
दोना- पत्तल वाले को 5 मिनट में ठगा
घटनाक्रम सोमवार का है। कोतवाली थाने के सामने वाली रोड पर दोना पत्तल बेचने वाले 75 वर्षीय लक्ष्मीनारायण सेन के पास एक अधेड़ व्यक्ति आया। वह गले में केसरिया रंग का गमछा डाले था। उसने लक्ष्मीनारायण से 100 पत्तल मांगी। बुजुर्ग ने उससे 300 रु. मांगे। इस अज्ञात ठग ने बुजुर्ग को 500 रु. का नोट दिया। बुजुर्ग उसे अपने बटुए में रखने लगे तो ये ठग बोला ये नोट अपने गल्ले यानी पेटी में रखो।
बुजुर्ग ने कहा, मैं तो बटुए में ही रखता हूं। तब यह आदमी बोला कि किसी भी खाली दराज में रख दो। लक्ष्मी नारायण यंत्रवत उसकी बात मान गए। फिर उसने बुजुर्ग का हाथ पकड़ा और अंगुली में पहनी सोने की अंगूठी उतरवा ली। इस बीच उसने कैंची से गले में डले सोने के ही चेन- लॉकेट भी उतरवा लिए। इस बीच इस बदमाश का एक और साथी आ पहुंचा। जो काली रंग की पल्सर गाड़ी लेकर आया था।
इस आदमी ने बुजुर्ग को फिर से एक 500 रु का और दिया। कहा कि, इन सब को दराज में रख दो। फिर उस आदमी ने बुजुर्ग लक्ष्मी नारायण को 200 रु दिए और कहा कि पत्तल गिनो। मैं आ रहा हूं और बाकी 100 रु. देकर ये पत्तल ले जाऊंगा। इतना बोलकर ये दोनों लोग तेजी से बाइक की तरफ बढ़ गए हालांकि बुजुर्ग लक्ष्मी नारायण सेन ने इन दोनों को एक बारगी दुकान से बाहर आकर टोका भी लेकिन वे उसे कुछ बोलकर तेजी से बाइक से निकल गए।
बदमाशों की धर-पकड़ के बजाए शिकायत लिखवाने बैठ गई पुलिस
बुजुर्ग की अचानक तंद्रा भंग हुई तो उन्होंने दराज चैक की। देखा कि उसमें से अगूंठी, लॉकेट- चेन और पहले से पड़े करीब 1500-2000 रु भी गायब हैं। लक्ष्मी नारायण ने तुरंत पत्नी व पुत्री खुशबू को आवाज लगाई। इन लोगों ने माजरा समझ आसपास के लोगों को जमा किया और चार कदम दूर कोतवाली थाने आ गए। मौके पर मौजूद सब-इंस्पेक्टर टीएस धुर्वे को पूरा वाकया बताया और कहा कि आप तुरंत पुलिस टीम भेज आरोपी को दबोच लें लेकिन एसआई धुर्वे इस सब से बेफिकर इन लोगों से आवेदन लिखवाने बैठ गए। बुजुर्ग ने कहा कि मैं लिख नहीं सकता तो एसआई धुर्वे ने इस “अति महत्वपूर्ण” काम के लिए एक सिपाही को लगा लिया। लेकिन सिपाही भी किसी दूसरे काम में व्यस्त हो गया तो फिर लक्ष्मीनारायण की पुत्री खुशबू ने आवेदन लिखकर दिया। इसके बाद एस आई धुर्वे को खुशबू ने अपने मोबाइल से इस ठगी की वीडियो क्लिप दी। जवाब में उन्होंने कहा अब आप लोग जाइए। पुलिस अपना काम करेगी। हालांकि ये बात और है कि एसआई धुर्वे ने मंगलवार को 24 घंटे गुजरने के बाद भी यह वीडियो क्लिप नहीं देखा था। इस घटनाक्रम को लेकर कोतवाली थाना प्रभारी मनीष सिंघल का कहना है कि पुलिस इस मामले की गहनता से जांच कर रही है। जब घटनाक्रम हुआ तब अधिकांश बल एक समाज विशेष के विवाद में शांति व्यवस्था बनाने में व्यस्त था।
एक्सपर्ट्स व्यू
इस तरह की घटनाओं के बाद लोग इसमें सम्मोहन या तंत्र-मंत्र की आशंका जताने लगते हैं। जो कतई सही नहीं है । सारा खेल व्यक्ति के आत्म विश्वास का होता है। ठग ऐसे ही लोगों को तलाशते हैं जो शारीरिक रूप से कुछ कमजोर हों और चेहरे से कम आत्म विश्वासी दिखते हों। क्योंकि ये लोग जल्द ही झूठी बात, डर, प्रकोप आदि पर भरोसा कर लेते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं। अगर आप सजग हैं। स्वयं व आसपास के लोगों पर भरोसा करें तो इस तरह की ठगी से न केवल बच सकते हैं बल्कि ठगों को पकड़वा भी सकते हैं।
– डॉ.केके गुप्ता, रिटा.डीआईजी (जेल) एवं अपराध विज्ञानी, सागर।



