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सागर। प्रदेश का पन्ना जिला देश-दुनिया में हीरा की खदानों के लिए जाना जाता है। उसी पन्ना से जिला पंचायत अध्यक्ष हीरासिंह राजपूत का बड़ा गहरा नाता है। केबिनेट मंत्री गोविंदसिंह राजपूत के अग्रज और जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गुलाबसिंह राजपूत के अनुज हीरासिंह के करियर की वास्तविक शुरुआत पन्ना से हुई। जहां उन्होंने हीरे की कठोरता छोड़ शेष उसके सारे गुण अपने भीतर समाहित कर लिए। पन्ना समेत बुंदेलखंड में हीरासिंह दाऊ जू, सागर में मंझले भैया और अब युवाओं में अंकल संबोधन से मशहूर हीरासिंह का आज जन्म दिन है, जिसकी पूर्व संध्या पर सागर वाणी ने उनसे विस्तार से चर्चा की। राजपूत ने अपने जीवन का सूत्र वाक्य जहां सुमति तहां संपत्ति नाना, जहां कुमति तहां विपत निधाना…. बताया। अर्थात अगर आप बड़े परिवार, संगठन, दल या समूह के सदस्य हैं तो वहां अपना स्थान बनाने के लिए कभी भी दूसरे की बात को महत्व नहीं देने, अनादर करने या उसे काटने जैसे कदम मत उठाइए।
अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके पास दुनिया के तमाम वैभव होंगे। इसके विपरीत आप परिवार या संगठन में अपनी-अपनी चलाने वाले बन जाते हैं तो वहां विद्रोह और असहमति के सुर उठने से कोई नहीं रोक सकता। मैंने इस फॉर्मूले को ईमानदारी से निभाया। इसलिए मैं चाहे सरकारी नौकरी में रहा या फिर जिला कांगे्रस कमेटी का अध्यक्ष, मुझे लंबे समय तक सभी का सहयोग मिला।
टीकमगढ़-पन्ना से हुई सार्वजनिक जीवन की शुरुआत
हीरासिंह राजपूत का जन्म 21 जून 1957 को हुआ। आरंभिक पढ़ाई नरयावली के स्कूलों में हुई। इसके बाद सिविल इंजीनियर की पढ़ाई खुरई के पॉलीटेक्निक कॉलेज से की। वहां उन्हें संगठन और राजनीति को समझने का पहला अवसर छात्रसंघ के चुनाव के रूप में मिला। अध्यक्ष चुने गए और छात्र साथियों के लिए खूब आवाज बुलंद की। राजपूत सागर विवि की राजनीति में भी सक्रिय रहे। 1979 में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग में जूनियर इंजीनियर बन गए। शुरुआत की कुछ साल टीकमगढ में रहे। इसके बाद पन्ना के गुन्नौर तबादला हुआ। इन दो जिलों में राजपूत ने अपनी छवि एक राजनीतिक और समाजसेवी सोच वाले सरकारी मुलाजिम के रूप में बनाई।
चंद वर्षों में स्थिति यह हो गई कि वहां के मंडी, जनपद, कर्मचारी संगठन से लेकर कई चुनाव राजपूत के मार्गदर्शन में होने लगे। पदाधिकारियों का चुनाव हीरासिंह की मुहर लगने के बाद होने लगा। सरकारी धन के उपयोग में जनहित को सबसे ऊपर रखने की सोच के चलते इस दौरान हीरासिंह राजपूत ने कई जगह सरकारी निधि से वे काम भी कराए जो सरकारी पॉलिसी में शामिल नहीं थे। जैसे नदी पर घाट बनवाना, स्कूलों में कक्षों का निर्माण कराना आदि। राजूपत बताते हैं कि अक्सर नाकारा लोग नियम कायदों का हवाला देकर काम टालते हैं, मैंने इसके ठीक विपरीत किया। अगर जनहित का मामला आया तो मैंने पहले काम किया, बाद में नियमों को देखा। मेरी इस कार्यशैली से तत्कालीन विभागीय अफसर और कलेक्टर भी वाकिफ हो चले थे। जिसका फायदा मुझे अपने साथ अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के रूप में मिलता रहा।
लोगों को भरोसा नहीं होगा कि उस समय मैं तन-मन से कांग्रेसी था, इसके बावजूद पन्ना की सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल का मैं संरक्षक था। यह स्कूल प्रबंधन समेत वहां के विद्वत जनों का मेरे प्रति प्रेम व विश्वास था कि मेरे वैचारिक दल के अलग होने के बावजूद मुझे यह सम्मान दिया था। उस समय मेरे पास एक निजी जीप थी। जो संपूर्ण गुन्नौर ब्लॉक मेंं इकलौती थी। जब कभी किसी साधनहीन परिवार में स्वास्थ्यगत इमरजेंसी आती तो वे मेरी गाड़ी ले जाते। मैंने हमेशा पीड़ित मानव की सेवा को सबसे ऊपर रखा। मेरी कार्यशैली को ऐसे भी समझा जा सकता है कि टीकमगढ़-पन्ना में तैनाती के दौरान मुझे उत्कृष्टï कामों के लिए 15 अगस्त, 26 जनवरी पर कई बार पुरस्कृत किया गया।
2003 में फुल टाइम पॉलीटीशियन बन गए
करीब 25 साल तक सरकारी सेवाएं देेने के बाद राजपूत ने 2003 में सरकारी सेवाओं से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सक्रिय रूप से अपने छोटे भाई गोविंदसिंह राजपूत के साथ राजनीति में शामिल हो गए। इसी दौरान वह जिला कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष बने और इस पद पर करीब 11 साल रहेे। वर्ष 2020 में श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के आव्हान पर केबिनेट मंत्री भाई के साथ कांग्रेस छोड़ दी। भाजपा में आए तो यहां भी अपनी वाकपटुता, विषयों पर गहरी समझ, राजनीति की पकड़ के बल पर सभी को अपना मुरीद बना लिया। फलत: वर्ष 2022 में जिले के सभी आला भाजपा नेताओं की सहमति से हीरासिंह जिला पंचायत सदस्य का निर्विरोध चुनाव जीते और अध्यक्ष भी बन गए। चंद महीने बाद वह आम सहमति से जिला पंचायत अध्यक्ष संघ के प्रदेशाध्यक्ष भी मनोनीत हो गए।
संतुष्टि यही कि….जो सपना देखा वह साकार हो रहा है
बुंदेलखंड की लोक कलाओं के खासे प्रेमी हीरासिंह राजपूत को पर्यटन का भी बहुत शौक है। जब मौका मिलता है, वह देश-विदेश घूम आते हैं। स्थानीय स्तर पर उन्हें जंगल सफारी बहुत पसंद है। वहीं पुरानी फिल्मों का उन्हें बड़ा शौक है। अगर घर से बाहर नहीं हुए तो रोजाना रात को 1970-80 के दौर की एक फिल्म जरूर देखते हैं। इससे पहले राजपूत ने बताया कि किशोरावस्था में मैंने कई राजनीतिज्ञों को पास से देखा। उनकी एक बात मुझे बहुत प्रभावित करती थी कि वह जहां कहीं से भी एक टेलीफोन किसी अफसर को लगा दें। सामने वाले का काम हो जाता था। मैंने भी इस स्तर पर पहुंचने का सपना देखना शुरु कर दिया। जनता-जर्नादन के आशीर्वाद से अनुज गोविंदसिंह राजूपत के केबिनेट मंत्री बने।
मैं जिला पंचायत अध्यक्ष हूं और आज इस स्तर पर पहुंच गया हूं कि मैं, किसी पीड़ित, परेशान, साधनहीन की मदद फोन पर भी कर सकता हूं। यही कारण है कि रोज कम से कम 200 फोन, लोगों के लिए कामों, इलाज, पुलिस संबंधी मामले आदि के लिए नहीं लगा लूं तब तक मैं अपने अपने दिन को सफल नहीं मानता। आखिर में हीरा सिंह बोले कि इस बार के जन्म दिन से मैं एक बड़ी मुहिम नेत्र शिविर के रूप में शुरु कर रहा हूं। ये शिविर पूरे साल समय- समय पर होंगे। जिनमें मोतियाबिंद ऑपरेशन से लेकर नजर संबंधी दोष का उपचार किया जाएगा। नंबर के चश्में जाएंगे। ( इम्पैक्ट फीचर)
20/06/2025



