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14 वीं वर्षगांठ: बाबरी मस्जिद विध्वंस और बीना रिफायनरी कनेक्शन

सागर। बीना रिफायनरी की 14 वीं वर्षगांठ नजदीक है। 20 मई 2011को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने बीना के आगासौद ब्लॉक में स्थित तत्कालीन भारत-ओमान रिफायनरी लिमिटेड(पुराना नाम)का लोकार्पण किया था। इस रिफायनरी की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व सांसद डॉ. आनंद अहिरवार(1991-96) ने sagarvani.com से इस रिफायनरी को लेकर एक बड़ा गजब किस्सा शेयर किया। जो बताता है कि यह चर्चित विध्वंस जहां देश में राजनीतिक-धार्मिक विवाद, मुंबई बमकांड की वजह बना। वहीं ये मामला बुंदेलखंड के विकास के लिए एक बड़ा अवसर बन गया। डॉ. आनंद बताते हैं कि रिफायनरी का मूल कॉन्सेप्ट वर्ष 1989 में तत्कालीन राजीवगांधी सरकार के समय अस्तित्व में आया। तत्कालीन योजना आयोग ने फैसला लिया कि मप्र में दो स्थान पर पेट्रोलियम और रक्षा विभाग क्रमश: तेल शोधक कारखाना और आयुध निर्माणी फैक्टरी लगाएंगे। वर्ष1989-90 में मप्र में जगह-जगह सर्वे हुआ। जिसमें बीना के देश के मध्य में स्थित होने समेेत अन्य मूलभूत आवश्यकताओं के मद्देनजर रिफायनरी लगाने के लिए यह स्थान उपयुक्त माना गया। जिले की किस्मत बुलंद थी, इसलिए आयुध निर्माणी के लिए भी पथरिया-तालचीरी-बम्हौरी वाला डिफेन्स एरिया चिन्हित कर लिया गया। हालांकि बाद के वर्षों में देश की अन्य आयुध निर्माणी में प्रोडक्शन बढ़ाने के निर्णय के कारण यह आयुध निर्माणी परियोजनो ड्रॉप हो गई।

लेकिन…. सीएम पटवा के होशंगाबाद मोह ने सब काम बिगाड़ दिया

रिफायनरी के लिए भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने सर्वे किया था। जिसमें मेरिट के अनुसार बीना को सबसे ऊपर रखा गया था। इसके बाद दूसरा नाम होशंगाबाद का खिरकिया गांव था। चूूंकि बीना में रिफायनरी स्थापित करने में कोई समस्या नहीं थी। इसलिए ये तय था कि भूमिपूजन यहीं होगा। पूर्व सांसद आनंद के मुताबिक, उस समय परंपरा थी कि मप्र के मुख्यमंत्री, दिल्ली स्थित मप्र भवन में हर महीने एक बैठक लिया करते थे। जिसमें मप्र के सभी दलों के सांसद, यहां से बने केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद समेत भाजपा-कांग्रेस के दिग्गज नेता शामिल होते थे। अध्यक्षता, मुख्यमंत्री करते थे। इस बैठक का उद्देश्य होता था कि राज्य के लिए केंद्र की विभिन्न योजनाएं, प्रोजेक्ट्स आदि पर चर्चा हो। पूर्व से चल रहे पुराने प्रोजेक्ट या योजनाओं का सांसद व केंद्रीय मंत्री फॉलोअप लें और सीएम को अवगत कराएं। 28 अगस्त 1991 को इसी तरह की एक बैठक तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने ली। जिसमें मप्र से तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अर्जुनसिंह, कमलनाथ, माधवराव सिंधिया,विद्याचरण शुक्ल, अरविंद नेताम, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष दिग्विजयसिंह, अजीत जोगी आदि शामिल हुए। मुख्यमंत्री पटवा ने राज्य के लिए केंद्र से मंजूर व प्रस्तावित योजनाओं व संकल्पों की एक बुकलेट बांटी। डॉ. आनंद ने बताया कि मैंने जैसे ही इस बुकलेट के पेज पलटे तो उसमें देखा कि पटवा सरकार ने रिफायनरी के लिए खिरकिया, होशंगाबाद को चिन्हित कर केंद्र से मंजूरी दिलाने का निर्णय लिया है। मैंने तुरंत इस पर आपत्ति ली। सीएम को अवगत कराया कि सर्वे में बीना (आगासौद) टॉप पर है, फिर आप कैसे खिरकिया का नाम आगे बढ़ा सकते हैं। जवाब में पटवा बोले कि, इसमें सभी की सहमति है। रही बात सागर की तो वहां कोई और दूसरा प्रोजेक्ट ले आएंगे। इस तरह से मुख्यमंत्री पटवा ने हठ करते हुए केंद्र सरकार के समक्ष खिरकिया होशंगाबाद प्रस्तावित करने तैयारी शुरु कर दी। डॉ. अहिरवार के अनुसार, खिरकिया के लिए पटवा जी इसलिए जिद कर रहे थे, क्योंकि उनका विस क्षेत्र भोजपुर, होशंगाबाद-रायसेन संसदीय क्षेत्र में था।

हरेक मीटिंग में आपत्ति ली, लेकिन सीएम टाल जाते

डॉ. आनंद अहिरवार के अनुसार, मप्र भवन की अगली कुछ बैठकों व सीएम पटवा से व्यक्तिगत मिलकर मैंने रिफायनरी के स्थान परिवर्तन पर आपत्ति ली। लेकिन पटवा हर बार यहां-वहां का जवाब देकर टाल जाते। मैंने उनसे निवेदन किया कि आप खिरकिया के साथ बीना को भी केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के समक्ष प्रस्तावित करें। इनमें से जो बेहतर होगा, उस स्थान को मंत्रालय मंजूर कर लेगा। लेकिन बात नहीं बनी। इस तरह से करीब एक साल और गुजर गया। चूंकि केंद्र के किसी भी प्रोजेक्ट के लिए स्थान तय करने का विशेषाधिकार राज्य सरकार का होता है। इसलिए केंद्र की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार भी मेरी कोई मदद नहीं कर सकती थी।

बाबरीकांड में सरकार की बर्खास्तगी बनी अवसर

डॉ. आनंद के अनुसार रिफायनरी के लिए खिरकिया, लगभग तय हो चुका था। लेकिन तभी एक बड़ा घटनाक्रम हुआ। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया। इस घटनाक्रम से सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक हालात बिगड़ने लगे। नतीजतन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव की सिफारिश पर मप्र, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और उत्तरप्रदेश की सरकार बर्खास्त कर दी गई। इन चारों राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। जिसके बाद अब सत्ता के केंद्र बिंदु इन प्रांतों के राज्यपाल हो गए। बस यही अवसर सागर के लिए वरदान साबित हुआ। मैं, आनन-फानन में राजभवन पहुंचा और तत्कालीन राज्यपाल कुंवर मेहमूद अली खां को रिफायनरी वाला मैटर समझाया। उन्होंने तुरंत, चीफ सेके्रटरी को तलब किया और आगासौद में रिफायनरी लगाने के निर्णय पर अपनी मुहर लगाते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय भेज दिया। कुछ समय बाद इस स्थान के लिए मंजूरी भी आ गई। बाद के वर्षों में भू-अर्जन, सड़क मार्ग, बिजली-पानी जैसी बेसिक सुविधाएं जुटाने के बाद 16 दिसंबर 1995 को प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव ने बीना-ओमान रिफायनरी लिमिटेड की आधारशिला रखी। जिसका लोकार्पण 17 साल बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने किया।

11/05/2025

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