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टाईगर रिजर्व से विस्थापन के 15 लाख दिलाने यू-ट्यूब देख बनाया नकली जन्म प्रमाण-पत्र, एफआईआर दर्ज

वीरांगना रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व की मुहली रेंज के देवलपानी गांव के युवक ने बनवाया था प्रमाण-पत्र - मार्कशीट और जन्म प्रमाण-पत्र की तारीखों में अंतर मिलने हुआ जिला स्तरीय समिति को हुआ था संदेह

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सागर। वीरांगना रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व से विस्थापन का मुआवजा के लिए यू-ट्यूब के जरिए दस्तावेजी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इस मामले में कलेक्टर संदीप जीआर के निर्देश पर रहली पुलिस ने एक प्राइवेट कम्प्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। मामला रिजर्व की मुहली रेंज का है। यहां के देवलपानी गांव में रहने वाले एक आदिवासी युवक यशवंत गौड़ ने पिछले दिनों वन विभाग के समक्ष 15 लाख रु. का मुआवजा पाने के लिए जन्म प्रमाण-पत्र पेश किया था। नियमानुसार इस प्रमाण-पत्र को जिला स्तरीय समिति के समक्ष छानबीन के लिए भेज दिया गया। वहां जानकारी मिली कि यशवंत के परिजन ने पूर्व से ही उसके शैक्षणिक दस्तावेज जमा किए हुए हैं। जिनके अनुसार उसकी उम्र कट-ऑफ डेट जो बीते साल निकल चुकी है, उसके हिसाब से वह 18 साल की आयु पूर्ण नहीं कर रहा है जबकि जन्म प्रमाण-पत्र के हिसाब से वह बालिग दिख रहा था। संदेह के आधार पर समिति ने यह पूरा प्रकरण तहसीलदार रहली के समक्ष भेजा। इस मामले में नायब तहसीलदार अनिल अहिरवार ने जांच की तो पाया कि यशवंत द्वारा पेश किया गया जन्म प्रमाण-पत्र फर्जी है।
रहली के एक कम्प्यूटर ऑपरेटर ने कुछ सौ रुपए के लालच में बना दिया
नायब तहसीलदार ने जांच में पाया कि यशवंत ने यह जन्म प्रमाण-पत्र, रहली के एक प्राइवेट कम्प्यूटर ऑपरेटर देवेंद्रसिंह ठाकुर निवासी गांव बरखेड़ा बगरोन से बनवाया है। जिसकी एवज में ठाकुर उससे कुछ सौ रुपए लिए थे। पूछताछ में कम्प्यूटर ऑपरेटर ठाकुर ने कुबूला कि मैंने यह प्रमाण-पत्र यू-ट्यूब पर देखकर बनाया था। ठाकुर के मुताबिक यशवंत का ओरिजनल प्रमाण-पत्र गुम गया था। जिसकी उसे अर्जेन्ट आवश्यकता है। इसलिए मैंने बना दिया। जांच पूरी करने के बाद नायब तहसीलदार अहिरवार ने पूरे मामले का प्रतिवेदन रहली थाना प्रभारी अनिल तिवारी को भेजा। जिसके बाद उन्होंने देवेंद्रसिंह ठाकुर के खिलाफ धोखाधड़ी व कूट-रचित दस्तावेज तैयार करने का प्रकरण दर्ज कर लिया।
मुआवजे के लालच में गलत कदम नहीं उठाएं ग्रामीण
इस मामले में वीरांगना रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी का कहना है कि पिछले दिनों यह मामला संज्ञान में आया था। जिसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी गई थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक पात्र व्यक्ति या परिवार को पर्याप्त मुआवजा राशि दे रही है। लेकिन किसी लोभ-लालच में आकर संबंधित रेंज के गांव के निवासी किसी तरह की दस्तावेजी धोखाधड़ी नहीं करें। ऐसे में वह मुआवजा राशि की पात्रता से वंचित हो सकते हैं। उनके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज होगा। डॉ. अंसारी ने बताया कि रिजर्व के भीतर के गांव में रहने वाले न्यूनतम 18 साल के अविवाहित युवक-युवती, किसी भी उम्र के विकलांग को 15-15 लाख रु. का मुआवजा दिया जाना है। चूंकि यह राशि बड़ी है, इसलिए प्रत्येक दावेदार की गहन छानबीन की जा रही है। इसी तारतम्य में यह धोखाधड़ी का प्रकरण सामने आया।

07/05/2025

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