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स्कूल टीचर भान्जी का चेक बाउंस, आरोपी प्यून मामा को तीन महीने की जेल

एक ही स्कूल में कार्यरत मामा-भान्जी के बीच पांच साल पहले हुआ था 5 लाख रु. लेन-देन, कोर्ट ने आदेश दिया, आरोपी मामा, भान्जी को ब्याज और कोर्ट खर्च समेत 6.80 लाख रु. का करे भुगतान

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सागर। जिला न्यायालय के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित शर्मा ने चेक बाउंस के एक मामले में आरोपी को तीन महीने की सजा और चेक बाउंस की एवज में मय ब्याज व कोर्ट खर्च के राशि अदा करने का फैसला सुनाया है। मामला शहर के मोतीनगर तिराहा के पास स्थित पं. रविशंकर शुक्ल गवर्मेंट गर्ल्स हायर सेकेंडरी में कार्यरत एक शिक्षिका व यही पदस्थ उसके प्यून मामा के बीच का है। परिवादी शिक्षिका का नाम राखी गौड़ और आरोपी का नाम भरतलाल गौड़ है। परिवादी की ओर पैरवी करने वाले एड. पवन नन्होरिया ने बताया कि राखी गौड़ ने करीब 6 साल पहले वर्ष 2019 में अपने मामा भरतलाल को 5 लाख रु. व्यक्तिगत रूप से उधार दिए थे। राखी ने यह रकम एसबीआई स्थित अपने खाते से पर्सनल लोन के रूप में निकाली थी। भरतलाल ने राखी को यह राशि दो-तीन महीने में वापस करने का आश्वासन दिया था। लेकिन बाद में वह टाल-मटोल करने लगा। इसी दौरान लॉक डाउन शुरु हो गया। तब भरतलाल ने उसे 5 लाख रु. का एक चेक एसबीआई की बड़ा बाजार शाखा का दिया। राखी ने यह चेक अपने एकाउंट के जरिए कैश कराना चाहा तो बैंक से जवाब आया कि भरतलाल के खाते में पर्याप्त राशि नहीं है। नतीजतन चेक बाउंस हो गया। उक्त घटनाक्रम से आहत होकर पीड़िता राखी गौड़ ने न्यायालय के समक्ष उक्त राशि की वसूली के लिए लिए वर्ष 2020 केस दर्ज कराया। न्यायालय के समक्ष आरोपी भरतलाल ने कथन दिया कि यह चेक उसने राखी को जरूर दिया था लेकिन यह किसी पुराने लेन-देन की एवज में दिया गया था। जिसका दुरुपयोग राखी ने अपने लेन-देन के संदर्भ में कर लिया। इसके अलावा उसने एक तर्क ये भी दिया कि राखी ने अगर मुझे 5 लाख रु. उधार दिए थे तो वह उसका कोई दस्तावेजी सुबूत पेश करे। न्यायालय ने आरोपी के जवाबों पर विचारण किया और कहा कि आरोपी और पीड़िता करीबी रिश्तेदार हैं। इसलिए उनके मध्य लेन-देन का कोई दस्तावेजी सुबूत हो, यह आवश्यक नहीं है। इसके अलावा आरोपी यह भी साबित नहीं कर पाया है कि उसने कौन से पुराने लेन-देन में राखी यह  चेक दिया था। तमाम बिंदुओं पर निर्णय उपरांत न्यायालय ने फैसला सुनाया कि आरोपी भरतलाल चेक बाउंस के उक्त मामले में दोषी है। अतएव उसे परिवादी राखी गौड़ को उक्त 5 लाख रु. की एवज में चेक की जारी दिनांक से 9 प्रतिशत की सालाना दर व न्यायालय शुल्क, सूचना व परिवाद व्यय की एवज में कुल 6.80 लाख रु. का भुगतान करना होगा। उक्त राशि अदा नहीं करने पर 1 महीने का साधारण कारावास भुगतना होगा।

22/04/2025

 

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