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टोल प्लाजा पर दो बार वसूले 25 रु., आयोग ने ठोका 7 हजार रु. का हर्जाना

जिला उपभोक्ता आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में सुनाया फैसला, आयोग ने कहा 6 प्रतिशत की सालाना ब्याज दर से 25  रु. भी वापस करो,साढ़े तीन महीने पहले जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से वसूला था दोहरा टैक्स

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सागर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग सागर ने टोल प्लाजा पर की जा रही अवैध वसूली के एक मामले में महज साढ़े तीन महीने में प्रभावी फैसला सुनाया है। आयोग के अध्यक्ष राजेशकुमार कोष्टा ने प्लाजा प्रबंधन द्वारा न केवल दोहरे टैक्स के रूप में वसूले गए 25 रु. मय ब्याज के वापस करने वरन् उपभोक्ता को मानसिक व शारीरिक परेशानी की एवज में 5 हजार रु. व अदालती खर्च के लिए 2 हजार रु. भी देने का आदेश पारित किया है। उपभोक्ता मामलों के जानकार वकील पवन नन्होरिया ने बताया कि मेरे मुवक्किल एड. जितेंद्रसिंह राजपूत जो जिला अधिवक्ता संघ सागर के अध्यक्ष भी हैं। वे 31 दिसंबर 2024 को निजी कार से दमोह रवाना हुए थे। उनका वाहन मप्र रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन के चनाटोरिया स्थित टोल प्लाजा पर रुका। एड. राजपूत की कार में फास्ट टैग की सुविधा थी और उसमें पर्याप्त बैलेंस था। इसके बावजूद प्लाजाकर्मी ने कहा कि कैमरे काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए आपको 25 रु. का नकद भुगतान करना होगा। मेरे मुवक्किल ने कहा कि वह ये राशि नकद नहीं देकर ऑनलाइन देंगे। कर्मचारी तैयार नहीं हुआ। बमुश्किल वह नकद लेकर रसीद देने राजी हो गया। एड. राजपूत ने भुगतान के बाद राशि ली और एक मिनट बाद उनके मोबाइल पर मैसेज आया कि फास्ट टैग के एकाउंट से 25 रु. कट गए हैं।

25 रु. वापस मांगे तो नहीं दिए शिकायत पुस्तिका भी नहीं दी

एड. राजपूत ने राशि कटने पर तुरंत टोलकर्मी को अवगत कराया और नकद लिए गए 25 रु. वापस मांगे। जो टोलकर्मी ने वापस नहीं किए। उसका कहना था कि उक्त राशि का ऑनलाइन बिल बन चुका है। इसलिए इसे वापस नहीं किया जा सकता। आप चाहें तो इसकी शिकायत कर सकते हैं। एड. राजपूत ने संपूर्ण घटनाक्रम का ब्योरा दर्ज करने टोलकर्मी से शिकायत पुस्तिका मांगी तो उसने वह भी उपलब्ध नहीं कराई। इस सब से आहत होकर उन्होंने जिला उपभोक्ता प्रतितोषण आयेाग की शरण ली।

टोल प्लाजा का जवाब, आयोग के समक्ष चलने योग्य नहीं है केस, 25 रु. देने पर राजी

एड. नन्होरिया ने बताया कि मैंने इस मामले में टोल मैनेजर के अलावा एमपीआरडीसी के एमडी को भी पक्षकार बनाया था। इनमें से टोल प्लाजा की ओर से पैरवी उन्हीं के मैनेजर गोपाल सोनी ने की। जबकि एमपीआरडीसी की तरफ से कोई वकील पेश नहीं हुआ। आयोग के समक्ष हाजिर मैनेजर सोनी ने कहा कि यह उपभोक्ता अधिकार का मामला नहीं है, इसलिए इसे आयोग के समक्ष नहीं चलाया जा सकता। इसके अलावा जो अतिरिक्त 25 रु. लिए गए हैं। वह उस दिन सर्वर बंद होने के कारण काटे गए। प्लाजा मैनेजमेंट यह राशि एड. राजपूत को वापस करने तैयार था लेकिन उन्होंने नहीं ली।

आयोग ने माना 25 रु. वापस करने की नीयत होती तो फास्ट टैग से कर देते

आयोग के अध्यक्ष श्री कोष्टा व सदस्या अनुभा वर्मा ने इस प्रकरण पर विचारण किया। उन्होंने पाया कि टोल मैनेजमेंट, उपभोक्ता जितेंद्रसिंह राजपूत को अतिरिक्त 25 रु. से वापस करने की बात तो कर रहा है। लेकिन उन्होंने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उदाहरण के लिए वह चाहते तो यह राशि, उपभोक्ता के बैंक एकाउंट नंबर में वापस कर सकते थे। फास्टटैग के जरिए उनके पास यह सुविधा उपलब्ध थी। बीते तीन-साढ़े तीन महीनों में उन्होंने उपभोक्ता को यह राशि वापस करने के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की। चूंकि टोल प्लाजा मैनेजर ने यह तथ्य स्वीकार किया है कि सर्वर डाउन होने के कारण उनके कर्मचारी ने अतिरिक्त रूप से 25 रु. लिए है। इसलिए उन्हें यह राशि उपभोक्ता को मय ब्याज के लौटाना होंगे। साथ ही मानसिक-शारीरिक कष्ट और वाद खर्च के मद में कुल 7 हजार रु. का अतिरिक्त भुगतान करना होगा। यह संपूर्ण राशियां टोल प्रबंधन और एमपीआरडीसी संयुक्त रूप से या अलग-अलग भुगत सकते हैं।

22/04/2025

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