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50 वर्ष में आपने कितनी मूर्तियां लगवाई, समाज के लिए क्या किया ? ये भी बताएं: लखनसिंह बामोरा

महाराणा प्रताप की प्रतिमा का श्रेय भूपेन्द्रसिंह को ना मिले इसलिये कुछ लोग षड्यंत्र कर रहे हैं

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सागर। ज्यों-ज्यों शूरवीर महाराणा प्रताप की जयंती (29 मई )करीब आ रही है। उनके नाम और मूर्ति स्थापना पर राजनीति तेज हो गई है। जिसमें फिलहाल केवल और केवल क्षत्रिय समाज शामिल है। ये बात सार्वजनिक हो चुकी है कि यह समाज राजनीतिक क्षत्रपों की छाया में दो धड़ों बंट चुकी हैं। एक धड़ा जिला पंचायत अध्यक्ष हीरासिंह राजपूत की अगुवाई में आईजी बंगले के सामने महाराणा की प्रतिमा लगवाना चाहता है तो दूसरा  क्षत्रिय महासभा सागर के अध्यक्ष लखनसिंह बामोरा की लीडरशिप में इसे अब नगर निगम स्टेडियम के बाहर स्थापित कराना चाहती है। साथ ही स्टेडियम का नाम भी शूरवीर महाराणा प्रताप के नाम पर कराना चाहता है। पूर्व में इस मूर्ति के लिए खेल परिसर के बाहर चिन्हित था। लेकिन दोनों ही धड़ों को यह स्थान जम नहीं रहा है। शुक्रवार को इस मामले में लखनसिंह बामोरा ने एक पत्रकार वार्ता की जिसमें उन्होंने बगैर किसी का नाम लिए कहा कि कुछ लोग जो कांग्रेस में 50 वर्षों तक सत्ता में रहे, विभिन्न पदों पर रहे, आज तक कभी महाराणा प्रताप की प्रतिमा के लिए कुछ नहीं किया और न ही क्षत्रिय समाज के लिए कुछ किया। जबकि मेरे चाचा जी भूपेंद्र सिंह ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा के लिए 1 करोड़, बामोरा में महाराणा प्रताप सामुदायिक भवन के लिए शासकीय जमीन भवन निर्माण के लिए बामोरा परिवार की ओर से 51 लाख की राशि, खुरई में 45 लाख से महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगाई गई, खुरई में क्षत्रिय समाज का 1 करोड़ का भवन, अमझिरा में क्षत्रिय समाज की धर्मशाला, गढ़पहरा मे सांसद निधि से 30 लाख के निर्माण, खुरई किला में राजा खेमचंद दांगी की प्रतिमा लगाई गई। जो क्षत्रिय समाज के नाम पर राजनीति कर रहे है उन्होंने क्या किया बताये ?

कुछ जनप्रतिनिधि यह भी नहीं चाहते कि सागर में महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगे, मूर्ति कही भी लगती पर पूछना चाहते है कि जब ग्वालियर में एक साल से मूर्ति तैयार है तो भुगतान क्यों नहीं किया गया, यह मूर्ति न लगने देने का षड्यंत्र है। हम सभी जानते है कि भूपेन्द्र सिंह ने नगरीय प्रशासन मंत्री रहते सागर में अटल जी एवं महाराणा प्रताप की प्रतिमा के लिये एक-एक करोड़ की राशि स्वीकृत की थी। जो कि किसी प्रतिमा के लिये म.प्र. में अभी तक सर्वाधिक हैं। जैसा की हम सभी जानते है कि चौराहों पर प्रतिमा लगाने पर शासन एवं स्थानीय शासन द्वारा रोक है। इसलिए अटल जी की प्रतिमा अटल पार्क में लगाई गई इसी रोक के कारण सिविल लाइन चौराहे से डॉ. गौर जी की प्रतिमा हटाई गई, इसी रोक के चलते अमर शहीद कालीचरण तिवारी जी की प्रतिमा सिविल लाइन के कालीचरण चौराहे से हटाई गई।

मैं तो कहता हूं समाज तय करे कहां लगे महाराणा की प्रतिमा: हीरासिंह राजपूत

 

भविष्य में रोड चौराहे चौड़े होते हैं मूर्तिया हटाई जाती है। इसलिए भोपाल में चौराहे पर से अर्जुन सिंह की प्रतिमा हटाई गई इसलिए हमारा निवेदन हैं, कि जो सागर स्टेडियम है- सागर स्टेडियम का नाम भी महाराणा प्रताप के नाम से हो एवं स्टेडियम के सामने पार्क में महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगाई जाए। आगे बामौरा ने कहा कि क्षत्रिय समाज कल महापौर सागर से मिलकर सागर स्टेडियम का नाम महाराणा प्रताप के नाम से करने की मांग करेगा। जिन जनप्रतिनिधियों के द्वारा महाराणा प्रताप की प्रतिमा न लगने देने का षड्यंत्र किया जा रहा है। क्षत्रिय समाज उनकी निंदा करता हैं। समाज में कुछ लोग जो कांग्रेसी मानसिकता के है वह समाज को बांटना चाहते हैं। क्योकि कांग्रेस का इतिहास हमेशा रहा है कि समाज को बांटो और राज करो।

11/04/2025

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