इतिहास

विश्व रंगमंच दिवस: 70 साल पहले सांसद पृथ्वीराज कपूर ने मनोहर टॉकीज में खेले थे 15 दिन नाटक

sagarvani.com9425172417

सागर। दो दिन पहले विश्व रंगमंच दिवस गुजर गया। शहर दो- एक थियेटर गतिविधियां हुई। बावजूद वो बात नहीं हो सकी। जो हमारे  वैकुण्ठवासी, वयोवृद्धों ने करीब 70 साल पहले अगस्त 1955 में  गुजराती बाजार से भगवानगंज के बीच महसूस की होगी। जी होगी।  ये वो दौर था। जब भारतीय सिनेमा के चमकते सितारे पृथ्वीराज कपूर अपनी जंबो साइज नाटक मंडली ” पृथ्वी थियेटर्स” संग सागर आए थे। 1936 में बनी  मनोहर टॉकीज में उन्होंने 15 दिन तक “शकुंतला ” “दीवार” “पठान और पैसा” आदि नाटक खेले थे। पृथ्वीराज जब यहां आए थे तब वह तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पसंद के चलते राज्य सभा सांसद मनोनीत थे। वे पहले सिने व थियेटर कलाकार थे। जिन्हें संसद के उच्च सदन की मेम्बरशिप मिली थी। उनके बाद अभिनेत्री नर्गिस, गायिका लता मंगेशकर, अभिनेत्री जया भादुड़ी,  जयाप्रदा आदि- आदि की पूरी सीरीज है।

भगवानगंज में कभी मोटर तो कभी तांगे में दिखते 

मनोहर टॉकीज के संचालक परिवार के सदस्य भाजपा नेता पंकज मुखारया के अनुसार, जब पृथ्वी थियेटर सागर आया था तब मेरा जन्म भी नहीं हुआ था लेकिन पिताजी एवं ताऊजी से उनके इस विजिट के किस्से खूब सुने थे। कपूर परिवार से हमारे परिवार के बहुत अच्छे संबंध रहे। उसी की वजह से हम लोग सपरिवार 70 के दशक में आरके स्टुडियो में ” बॉबी” फिल्म की शूटिंग देखने गए थे। सागर में मनोहर और अलंकार के अलावा दमोह में मोहन टॉकीज का स्वामित्व हमारे परिवार के पास होना भी एक वजह हो सकती है। पिताजी बताते थे कि, पृथ्वीराज जी और उनके करीबी रिश्तेदार कलाकार, पूर्व मंत्री व सिने गीतकार स्व.विट्ठल भाई पटेल के बहनोई मणी भाई पटेल के निवास “कल्पना भवन” पर ठहरे थे। वे वहां से कभी कार से तो कभी तांगे से मनोहर टॉकीज तक आते थे। अपनी कला में निष्णात पृथ्वी जी हरेक नाटक में लीड रोल निभाते थे। उनके साथ उनके करीबी रिश्तेदार नंदकिशोर कपूर उमादेवी कपूर भी इस दौरे में शामिल थे। तांगे पर नगड़िया नुमा बाजे की आवाज पर नाटकों के कपड़े पर बने पोस्टरों से प्रचार होता था। पिता जी बताते थे कि उस समय बारिश का मौसम था। इसके बावजूद लोग बड़ी संख्या में पृथ्वी जी के नाटकों का लुत्फ उठाने आते थे।

नेहरू भी थे पृथ्वीराज के कायल

पृथ्वीराज कपूर ने अपने शानदार अभिनय और शालीन व्यवहार से जल्द ही फिल्म संसार में अपनी एक बड़ी और सम्मान जनक छवि बना ली थी। कुछ लोग कहते हैं कि पृथ्वीराज का नाम उनके बेटे राज कपूर के कारण बड़ा हुआ। लेकिन ऐसा नहीं है। पृथ्वीराज कपूर ने रंगमंच, सिनेमा और समाज के लिए किए गए अनुपम कार्यों के चलते, अपना कद इतना ऊंचा कर लिया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू उनके मुरीद हो गए थे। पृथ्वीराज कपूर और पंडित नेहरू का रिश्ता दोस्ती का था। पंडित नेहरू, पृथ्वीराज की कला, व्यवहार और सूझबूझ के कितने कायल थे उसकी मिसाल कई बातों से मिलती है। पहली तो यह कि जब 1951 में वियाना में विश्व शांति सम्मेलन’ का आयोजन हुआ तो पृथ्वीराज कपूर ने उसमें भारत का प्रतिनिधित्व किया। इतना ही नहीं पंडित नेहरू ने पृथ्वीराज कपूर को पहली 1952 में राज्यसभा का सदस्य मनोनीत कर, फिल्म दुनिया से राज्यसभा में लाने की परंपरा शुरू की। इसके बाद 1954 में एक बार फिर से पृथ्वीराज कपूर को राज्यसभा का सदस्य बनाया गया। जिससे वह 8 वर्ष तक राज्यसभा के सदस्य रहे। 1956 में उन्हें भारतीय फिल्म प्रतिनिधिमंडल का प्रमुख बनाकर चीन भी भेजा गया।

मरणोपरान्त मिला था सर्वोच्च पुरस्कार

अपनी बेमिसाल उपलब्धियों के लिए पृथ्वीराज को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के साथ पदम भूषण सम्मान भी मिला। वहाँ दादा साहब फाल्के सम्मान भी उन्हें प्रदान किया गया। लेकिन फाल्के सम्मान पाने से पहले ही 29 मई 1972 को उनका सिर्फ 65 बरस की उम्र में निधन हो गया।आज पृथ्वीराज कपूर को दुनिया से अलविदा हुए 52 बरस हो चले हैं। लेकिन उनकी बातों, उनकी यादों का यह सिलसिला चलता रहना चाहिए। अब तक जारी है।

29/03/2024

 

 

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!