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सागर के मेडिकल स्टोर संचालक से 6.50 करोड़ करोड़ रु. की नशीली दवाएं खरीद चुके हैं रीवा के नशा तस्कर, सागर के कटरबाजों का इलाज भी हो गया !

रोजाना 5-6 लाख रु. का नशीला सीरप अवैध रूप से रीवा के तस्करों को करते थे सप्लाई

 

रीवा पुलिस की गिरफ्त में पिता-पुत्र

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सागर। रीवा पुलिस ने बीते सप्ताह शहर के मोतीनगर थाना क्षेत्र में आनंद मेडिकल स्टोर चलाने वाले पिता-पुत्र, अरविंद जैन और सिटीजन उर्फ सिट्टू को गिरफ्तार किया था। 4 दिन की पुलिस  रिमांड के बाद ये बाप-बेटे रीवा जेल में बंद हैं। इधर रीवा पुलिस की इस कार्रवाई से शहरवासियों ने चैन की सांस ली है। दरअसल ये पिता-पुत्र वही हैं जो

सिटीजन उर्फ सिट्टू जैन

शहर के दर्जन भर से अधिक खतरनाक कटरबाजों को टेन की गोलियां बेचने के संदेही रहे हैं। बाप-बेटे बंद हैं तो इन नशेलचियों को टेन समेत अन्य फार्मूला की दवाएं मिलने का सोर्स लगभग खत्म माना जा रहा है। उम्मीद है कि इससे  त्योहारी सीजन में कटरबाजों के सतरना ढीले रहेंगे। रीवा पुलिस के मुताबिक अरविंद और सिटीजन

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बीते कई महीनों से रीवा के तस्कर बुच्ची साहू व अन्य को रोजाना 5 -6 लाख रु. के नशीले सिरप बेच रहे थे। रीवा पुलिस के टीआई श्रृंगेश राजपूत के अनुसार इन पिता-पुत्र के खाते से 6.50 का लेन-देन मिला है। जबकि 600 पेटी सीरप सागर स्थित गोडाउन से जब्त हुआ है। जिसकी मार्केट वैल्यु 1.20 करोड़ रु. आंकी जा रही है।

नारकोटिक्स एक्ट की पेचीदगियों से बचती है पुलिस

सवा तीन सौ किमी दूर रीवा से आकर वहां की पुलिस ने इन पिता-पुत्र के काले कारोबार का पर्दाफाश कर दिया। दूसरी ओर सागर की पुलिस है जो अब तक इस कारोबार की रीढ़ पर वार नहीं कर पाई। कारण ये है कि यहां की पुलिस नारकोटिक्स (NDPS) एक्ट के तहत कार्रवाई करने से बचती है। इसकी मुख्य वजह ये है कि इस एक्ट के तहत पंचनामा की कार्रवाई कुछ ज्यादा लंबी होती है। उदाहरण के लिए अगर NDPS एक्ट के तहत तय मात्रा से अधिक गांजा, कोकीन, अफीम आदि की जब्ती की जाए तो पुलिस को 20 से अधिक पंचनामा बनाना पड़ते हैं। नशीली दवा (सीरप) के मामले में यह संख्या कुछ कम हो जाती है। लेकिन स्थानीय पुलिस ये लोड भी लेने से बचती है। नतीजतन अरविंद जैन, सिटीजन जैन जैसे लोग आराम से अपना कारोबार करते रहते हैं। रीवा में प्रतिबंधित हैं नशीले सीरप                                  नशीले सीरप और गोलियों के र्दुव्यापार को रोकने में पुलिस के अलावा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के अधीन ड्रग इंस्पेक्टर(डीआई) और जिला औषधि विक्रेता संघ की महती भूमिका होती है। रीवा के औषधि विक्रेता संघ ने इस मामले में एक बड़ा निर्णय लिया। उन्होंने अपने जिले में

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इस तरह के सीरप व गोलियों की बिक्री को प्रतिबंधित कर रखा है। सागर में भी ऐसा ही कुछ किया जा सकता है लेकिन यहां के संघ ने अरविंद और सिटीजन सरीखे लोगों से कारोबारी ताल्लुकात भर सीमित किए। कभी उन पर इन खतरनाक दवाओं की अवैध खरीद-बिक्री बंद करने दबाव नहीं बनाया। वहीं ड्रग इंस्पेक्टर प्रीत कमल के हाल ये हैं कि दूसरे जिलों के प्रभार की आड़ में दवा दुकानों पर केवल औपचारिकता के लिए विजिट करते हैं। जो दोनों के लिए ही “सुविधाजनक” है।

10/08/2024

 

 

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