विश्व धरोहर सप्ताह का समापन, दांगी राजा के परकोटा के किले को बताया मराठा निर्माण! .

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सागर। जिला पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित विश्व धरोहर सप्ताह का रविवार को समापन हो गया। परकोटा के किले में स्थित जेएनपीए के सभागार में मुख्य आयोजन हुआ। जहां एक लीफनुमा पंपलेट बांटा गया। जिसमें बताया गया कि परकोटा के किले का निर्माण मराठा शासक पंडित गोविंदराव पंत खेर ने कराया था।
जबकि ऐतिहासिक और पुष्टï तथ्यों के मुताबिक इस किले का निर्माण दांगी राजा निहालशाह के पुत्र ऊदनशाह दांगी ने सन् 1660 में कराया था। हालांकि बाद के वर्षों में जब सन् 1735 में यह किला पेशवाओं के आधिपत्य में आया तो उनके एक महत्वपूर्ण बुंदेला ओहदेदार पंडित गोविंद पंत खेर ने इस किले के भीतर व बाहरी तरफ बस्तियों का निर्माण कराया।
जानकारों का कहना है कि बावजूद इसके यह कतई नहीं माना जा सकता कि परकोटा के किले का निर्माण मराठा शासकों द्वारा किया गया था। इधर इस मामले में जिला पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद के नोडल अधिकारी एवं अपर कलेक्टर रूपेश उपाध्याय ने लीफ में दी गई जानकारी को मानवीय चूक बताया है। उन्होंने कहा कि, किले का निर्माण दांगी राजा ऊदनशाह ने ही कराया था।
डॉ. सुभेदार ने बताया सागर के विकास में मराठाओं का योगदान
आयोजन के एक प्रमुख वक्ता डॉ. अनिरुद्ध सुभेदार ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने मराठाकालीन बुंदेलखंड के संदर्भ में कहा कि, गोविंदराव पंत ने सागर का नगरीय विकास किया। उन्होंने सागर को एक प्रशासनिक इकाई के रूप में तैयार किया। हालांकि उन्होंने शुरुआत रानगिर के किले से की लेकिन वहां कुरवाई के नबाव का कब्जा होने के कारण परकोटा के किले को अपना प्रशासनिक मुख्यालय बनाया। जो १९वीं शताब्दी के शुरुआत वर्ष १८१८ में अंग्रेजों के कब्जे में चला गया।
डॉ. सुभेदार, गोविंदराव पंत के वंश चांदोलकर से थे। इसलिए उनके वक्तव्य में अधिकांशत: पं. गोविंदराव पंत के अवदान की ही बात होती रही। जबकि सागर को पहली प्रशासनिक व सामरिक इमारत यानी परकोटा का किला बनवाने वाले दांगी राजा ऊदनशाह पर वह विशेष नहीं बोले। यहां बता दें कि लाखा बंजारा ने इन्हीं दांगी राजा से अनुमति लेकर किले के किनारे झील खुदवाई थी। जिसके बाद शहर की बसाहट में तेजी आई।
जब नजरबाग गिर रहा था, तब मराठा परिवारों को आगे आना था
आयोजन के एक अन्य वक्ता डॉ. बीके श्रीवास्तव, एचओडी, इतिहास विभाग, केंद्रीय विवि सागर, ने बुंदेलखंड के इतिहास का सिलसिलेवार ब्योरा पेश किया। उन्होंने राजा ऊदनशाह से लेकर ब्रिट्रिश शासनकाल तक के बारे में जानकारी रखी।
उन्होंने इतिहास से जुड़ी कुछ बुंदेली कविताएं भी बतौर तथ्य के रूप में बताईं। वरिष्ठ पत्रकार एवं बुंदेलखंड के इतिहास मर्मज्ञ डॉ. रजनीश जैन ने कहा कि, इसमें कोई शक नहीं कि सागर के विकास में मराठा शासन का अहम योगदान है। लेकिन चंद साल पहले जब परकोटा के किला परिसर में स्थित ऐतिहासिक महत्व की इमारत नजरबाग को जमींदोज किया जा रहा था। तब आप लोग सामने नहीं आए। फिर भी ये अच्छी बात है कि मराठा अपने इतिहास को खोज रहे हैं। आयोजन में मौजूद रहीं सांसद लता वानखेड़े ने भी इस आयोजन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने शहर के मराठी परिवारों से अपील की कि वह, अपने सोशल मीडिया स्टेटस पर गोविंदराव पंत खेर के चित्र को अपलोड करें।
24/11/2024



