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वो लड़का बोला, इन्हें मेरी मां के नाम से भर्ती कर लीजिए, अज्ञात महिला के शरीर में पड़ गए थे कीड़े

शहर के जाने-माने गो सेवक पारंग शुक्ला ने मानव सेवा को नई ऊंचाई दी

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सागर। मानव सेवा को सर्वोच्च शिखर पर ले जाता ये घटनाक्रम शहर के नया बाजार निवासी युवा गो सेवक पारंग शुक्ला (23 वर्ष) का है… और बस उन्हीं का है। जिसका टर्निंग प्वाइंट ये था ” जब भाग्योदय अस्पताल प्रबंधन ने एक अज्ञात महिला को भर्ती करने में असहजता दिखाई तो पारंग का जवाब था। ये लीजिए मेरी मां श्रीमती सपना शुक्ला का और मेरा आधार कार्ड। आप इन्हें मेरी मां के नाम पर भर्ती कर लीजिए…..!

कहानी शुरु होती है। इसी महीने की 26 तारीख से। पारंग शुक्ला को उनके पन्ना के पवई निवासी दोस्त अंकित पाठक ने वीडियो कॉल कर एक 40 – 45 वर्षीय महिला के बारे में बताया। अंकित का कहना था कि ये महिला मेरे घर के आसपास घूम रही है। उसके सिर में कीड़े पड़ गए हैं। क्या उसका कुछ इलाज हो सकता है ? पारंग ने कहा कि उसे अस्पताल में भर्ती कराना होगा। तब तक हम उसके सिर के जख्म व कीड़ों की सफाई कर सकते हैं। कीड़े खत्म करने वाले कुछ कॉमन लिक्विड होते हैं। जिनका उपयोग मानव व जानवर दोनों में होता है। पारंग ने अंकित से कहा किसी कम्पाउंडर से सफाई कराओ। तब तक मैं आगे की सोचता हूं। इसके बाद पारंग ने अपने पिता गुंजन शुक्ला से चर्चा की और बगैर जवाब लिए सीधे अंकित को कॉल किया। कहा, तुम उसे किसी वाहन से सागर भेज दो। जो भाड़ा लगेगा, मैं दे दूंगा। अंकित ने अपने खर्च पर इस महिला को बोलेरो जीप से उसी दिन सागर भेज दिया।

पारंग का कहना था कि महिला को BMC ले जा सकता था। लेकिन जवाब पता था। सो उसे हाल-फिलहाल के लिए अपंग, मानसिक कमजोर, बीमारों की देखरेख करने वालीं प्रीति यादव के घरोंदा आश्रम ले गया। प्रीति ने पूरा सहयोग किया। लेकिन इलाज का मामला अभी भी अटका था।

महिला के कीड़े साफ करते पारंग व उनके साथी

निर्णय लिया कि भाग्योदय तीर्थ ले जाएंगे। जहां पहुंचने पर ऊपर वाला ( मां का आधार)  एपिसोड सामने आया। अस्पताल प्रबंधन से जुड़े नीरज जैन व अन्य पारंग की बात व सेवाभाव देख हतप्रभ रह गए। तुरंत बात अस्पताल के ट्रस्टियों तक पहुंचाई गई। वहां से जो जवाब आया। वह भी हतप्रभ करने वाला था।

नीरज जैन ने कहा, इस महिला का इलाज यहीं होगा। वह भी बिल्कुल फ्री। उसे ” अज्ञात महिला ” का टाइटल देकर भर्ती किया जा रहा है। इतना ही नहीं, उन्होंने तुरंत ही एक पत्र पारंग को दिया। जिसमें अस्पताल की पैथ- लैब व मेडिकल स्टोर्स को निर्देश थे कि उपचार संबंधी सभी जांचें और दवाओं का कोई भी चार्ज नहीं लिया जाए। पारंग ने बताया कि अपनी सुध-बुध खो बैठी ये महिला कई दिन से भूखी थी। इसलिए शरीर भी काफी कमजोर हो गया था। लेकिन मेरे साथ गए प्राइवेट कम्पाउंडर राजेश पटेल जो फ्री में ये सेवा कर रहे थे,  व अस्पताल के स्टाफ ने जैसे तैसे उसे इलेक्ट्रो लाइट्स चढ़ाए और फिर कीड़े निकालने का क्रम शुरु किया।

 

पारंग के अनुसार यहां पदस्थ डॉक्टर्स की देखदेख में उसके सिर व प्राइवेट पार्ट्स से सैकड़ों की संख्या में कीड़े चिमटी से खींच – खींच कर निकाले जा चुके हैं। बीते 3-4 दिन के इलाज में महिला के स्वास्थ्य में करीब 70 फीसदी सुधार आया है। पहले दिन वह ठीक से न बोल और न खा पा रही थी। अब वह स्वयं दलिया- खिचड़ी ले रही है। थोड़ी – थोड़ी बात भी कर रही है।पारंग ने बताया कि अस्पताल की नर्सेस व आया का इसमें बड़ा सहयोग रहा। अमूमन इस तरह के केस में वह पीछे हट जाते हैं। इस केस में भी पहले – दूसरे दिन कुछ नर्सेस को उल्टियां तक हुई। लेकिन कुछ ने इसे केस स्टडी मान उपचार- ड्रेसिंग की। अब सभी उसका इलाज करने तत्पर हैं। पारंग का कहना हैं। मुझे उस समय असीमित आनंद व संतोष की अनुभूति हुई। जब इस महिला ने एक अस्पताल स्टाफ को कृतज्ञता के भाव से गले लगा लिया। इस महिला की चर्चा वार्ड के अन्य मरीज के परिजन तक भी पहुंची है। वे भी उसकी बढ़-चढ़कर देख-रेख कर रहे हैं। पारंग के अनुसार महिला, धार्मिक स्वभाव की है। वह भोजन करने के पहले ईश्वर के नाम का हिस्सा अपनी थाली से बड़े विशिष्ट तरीके निकालती है। जो उसके जन्म स्थान की तरफ इशारा करता है। बातचीत की टोन में कभी बिहारी तो कभी उड़िया झलक मिलती है।

” गुरुवर ने इन्हीं के लिए अस्पताल बनवाया था ” भाग्योदय तीर्थ अस्पताल के पूर्व ट्रस्टी महेश बिलहरा का कहना है कि मुझे व पूरे प्रबंधन के लिए आत्मिक संतोष है कि हम उसकी सेवा कर पाए। पूज्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज ने इन्ही लोगों के लिए यह अस्पताल बनवाया था। वैसे यह मामला पहला नहीं है। प्रबंधन व ट्रस्ट हर वर्ष  करीब 10-12 करोड़ रु. का उपचार, जांच, दवाएं बतौर चैरिटी करता है। और यह सिलसिला अनवरत जारी रहेगा।

01/12/2024

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