कांग्रेस विजयपुर में जीती, राजनीति बीना में गरमाई
बीना साइड के सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर कमेन्ट्स और मीम्स बढ़े

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सागर। शनिवार को महाराष्ट्र, झारखंड के अलावा मप्र के दो विस क्षेत्र विजयपुर और बुधनी के चुनाव परिणाम आए। इनमें से एक सीट पर कांग्रेस से मुकेश मल्होत्रा ने पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल निवर्तमान मंत्री रामनिवास रावत को 7 हजार से अधिक मतों से पराजित किया।
दूसरी सीट बुधनी थी, जिस पर भाजपा के रमाकांत भार्गव ने चुनाव लड़ा और कांग्रेसी प्रत्याशी राजकुमार पटेल को 13 हजार से अधिक मत से हरा दिया।
पूरे प्रदेश के राजनीतिक हलकों में इन दोनों ही परिणामों को लेकर चर्चाएं हैं। सागर में इन परिणामों को बीना विस क्षेत्र की वर्तमान राजनीतिक स्थिति से जोड़ा जा रहा है। कांग्रेसी और भाजपाई अपने-अपने चश्में से इन परिणामों को देख रहे हैं। कांग्रेसी खेमे का मानना है कि दल-बदल करने वालों का यही परिणाम होता है। चाहे फिर वह सरकार में ही शामिल क्यों ना हो। वे यह बात वह निवर्तमान मंत्री रावत के संदर्भ में बोल रहे हैं।
दूसरी ओर भाजपाई हैं। जो खुलकर सामने नहीं आ रहे। लेकिन वे इस परिणाम में कांग्रेस से भाजपा में आकर तत्काल पद पाने वालों के बारे में खुसर-पुसर कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि जब-जब पार्टी के पुराने कार्यकर्ता-पदाधिकारियों को हाशिए पर रखकर दूसरे दलों से आने वालों को पद व सम्मान दिया जाएगा। परिणाम इसी तरह के आएंगे। उनका कहना है कि अब वह समय नहीं रह गया कि आलाकमान मनमाने ढंग दूसरे दलों से आने वाले लोगों को हमारे ऊपर बैठाता जाएगा और हम लोग जवाब नहीं देंगे। विजयपुर सीट का परिणाम इसी का नतीजा है। भले ही कांग्रेस इसे आदिवासी वोट बैंक का परिणाम माने।
लेकिन सच्चाई यही है कि भाजपा के जमीनी कैडर ने इस चुनाव में सच्चे मन से काम नहीं किया। बुधनी में भले भाजपा जीत गई। लेकिन यह वही चुनाव क्षेत्र है। जहां करीब साल भर पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, 1 लाख से अधिक मतों से जीते थे। यहां भी चौहान को पुन: सीएम नहीं बनाए जाने की खुन्नस स्थानीय मतदाताओं से लेकर कार्यकर्ताओं ने निकाली।
वरना जिस सीट पर इतनी प्रचंड जीत मिली हो। वहां उसकी पार्टी के प्रत्याशी को महज 13 हजार से अधिक मतों की जीत को क्या माना जाना चाहिए। इन परिणामों को लेकर बीना के कांग्रेसियों के सोशल मीडिया एकाउंट पर घुमा फिराकर तंज कसे जा रहे हैं। बता दें कि बीना की विधायक निर्मला सप्रे लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक भाजपा के मंचों पर दिख रहीं हैं। जबकि उन्होंने आधिकारिक रूप से कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया है और न ही भाजपा ज्वाइन की है।
उनकी विधानसभा सदस्यता का मामला मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्रसिंह तोमर के पास विचाराधीन है। कांग्रेस के प्रदेश आलाकमान से लेकर स्थानीय कांग्रेसी निर्मला को गैर मान चुके हैं। जबकि बीना के मूल भाजपाई उन्हें अपनाने तैयार नहीं हैं।
इन हालात को लेकर बीना में चर्चा है कि उक्त दो चुनाव परिणाम में खासकर विजयपुर को बीना का आइना मानना चाहिए। देर-सबेर ही सही यहां अगर उप-चुनाव की नौबत आई और भाजपा के टिकट का आवंटन विजयपुर फॉर्मूले पर हुआ तो परिणाम भी वैसा ही आ सकता है।
24/11/2024



