सीएम ऑफिस ने जिंदा व्यक्ति को मृत बताकर नहीं दी आर्थिक सहायता, आखिरकार उपचार के अभाव में मौत
आयुष्मान कार्ड भी नहीं चला, मेडिकल कॉलेज में नहीं मिला बेड, पैसे के अभाव में घर ले गए

सागर। देवरी के गांव पटना निवासी एक व्यक्ति जो पेड़ से गिरने के कारण भाग्योदय तीर्थ अस्पताल में भर्ती था। परिजन ने उसके इलाज के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष से मदद मांगी। लेकिन यह क्या?

सीएम ऑफिस ने बगैर पड़ताल किए ही इस मरीज को मृत मान लिया और परिजन को एसएमएस से जवाब दिया कि मरीज की मृत्यु हो गई इसलिए उसे आर्थिक मदद नहीं दी जा सकती। इस पर से गजब ये हुआ कि सीएम ऑफिस के इस मैसेज के 20 दिन बाद तक यह व्यक्ति जिंदा रहा और मंगलवार को उसने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया।
मरने वाले इस अभागे व्यक्ति का नाम मुन्नालाल पटेल उम्र करीब 55 साल है। उनके बेटे भोगराज ने बताया कि मेरे पिता एक महीने पहले पेड़ से गिर गए थे। उन्हें सिर में गंभीर चोट आई थी। हम लोग उनका इलाज कराने नागपुर के सिम्स अस्पताल ले गए। वहां बड़ी राशि खर्च करने के बाद उन्हें भाग्योदय अस्पताल ले आए। जहां स्थानीय स्टाफ ने पिताजी के उपचार के लिए हम लोगों का 3 लाख रु. मुख्यमंत्री सहायता कोष से आर्थिक मदद का आवेदन तैयार करा दिया। हम लोग जैसे-तैसे इस आवेदन को भोपाल में सीएम ऑफिस में जमा कर आए।
इसके बाद 15 अक्टूबर को अचानक मैसेज आया कि आपके मरीज की मौत हो गई है, इसलिए आर्थिक सहायता नहीं दी जा सकती।
चूंकि हम लोग नागपुर और भाग्योदय अस्पताल में करीब 4-5 लाख रु. खर्च होने से हमारे पास पैसे नहीं बचे थे। इसलिए उसी दिन पिता मुन्नालाल की छुट्टी कराकर उन्हें बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज ले गए। लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी। अस्पताल प्रबंधन ने जवाब दिया कि यहां बेड खाली नहीं है। चाहो तो भोपाल रिफर कर सकते हैं। चूंकि हम लोगों के पास उपचार के लिए और पैसे नहीं थे। इसलिए घायल और बीमार पिता को अपने गांव ले गए।
जहां उन्होंने करीब 20 दिन बाद आज मंगलवार को दम तोड़ दिया। भोगराज पटेल ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री ऑफिस मेरे पिता को समय से पहले ही मृत नहीं मानता तो उन्हें उपचार के लिए आर्थिक मदद मिल जाती और वे आज जिंदा होते। भोगराज ने बताया कि पिता के नाम से आयुष्मान कार्ड भी बना था। लेकिन उससे उपचार में कोई मदद नहीं मिली।
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05/11/2024



