अपराध और अपराधी

शहर के एक नोटरी वकील और ई-रजिस्ट्री सर्विस प्रोवाइडर पर इंदौर क्राइम ब्रांच की नजर

6.70 करोड़ रु. के क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड केस में जाली दस्तावेज प्रमाणित करने और गवाह बनने का संदेह

सागर। इंदौर की क्राइम ब्रांच शहर के एक नोटरी वकील और ई-रजिस्ट्री सर्विस प्रोवाइडर से पूछताछ करने की तैयारी में है। मामला इंदौर में अक्टूबर-नवंबर 2021 में हुए 6.70 करोड़ रुपए क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के गबन से जुड़ा है। आरोप है कि इन नोटरी वकील ने गबन के आरोपी संदीप गोस्वामी की जमानत संबंधी दस्तावेजों को प्रमाणित किया था। जो जांच में फेक यानी जाली पाए गए। जबकि सर्विस प्रोवाइडर ने इन दस्तावेजों के प्रमाणीकरण में गवाह के रूप में दस्तखत किए। इस तथाकथित गड़बड़ी में एक अन्य युवक भी शामिल है। जो क्राइम ब्रांच के राडार में आ चुका है। 

इधर क्राइम ब्रांच ने वकील और सर्विस प्रोवाइडर दोनों को इंदौर तलब है लेकिन वे हाजिर नहीं हुए। इस मामले में वकील का कहना है कि मैंने क्राइम ब्रांच को अपना लिखित जवाब भेज दिया है। अगर कोर्ट में मुझे तलब करता है तो मैं हाजिर हो जाऊंगा। बता दें कि जिन वकील पर क्राइम ब्रांच संदेह जता रही है, उन्हें करीब 4 साल पहले ही राज्य सरकार ने नोटरी का दर्जा दिया था। वहीं सर्विस प्रोवाइडर पुराने तहसील क्षेत्र में बतौर रजिस्ट्री सर्विस प्रोवाइडर काम करता है। इंदौर की साइबर सेल ने करीब डेढ़ साल पहले आरोपी संदीप को गिरफ्तार किया था। उसके परिवार सागर में रहता है। वहीं पिता पुलिस महकमे में एएसआई के पद पर कार्यरत हैं।  
यह था करोड़ों के बिटकॉइन के गबन का मामला
नवंबर 2021 में इंदौर के विजय नगर थाना क्षेत्र के नो बॉर्डर्स टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के पीयूष सिंह ने साइबर सेल में एक शिकायत की थी। उनका कहना था कि मेरी कंपनी के जापान के एक क्लाइंट रियोत केशी कुबो के लिए उन्होंने क्रिप्टो करेंसी एप बनाई थी। इस एप के जरिये  इंवेस्टमेंट के बाद कंपनी बोनस और रिवार्ड ई-वॉलेट में ट्रांसफर करती थी। आरोप है कि कंपनी के ही सॉफ्टवेयर डेवलेपर संदीप ने फर्जीवाडा कर अपनी मां- बहन व पत्नी के वॉलेट में क्लाइंट केशी के 6.70  करोड़ रुपए के बिटकॉइन ट्रांसफर कर लिए।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद मामला सुर्खियों में आया
पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह प्रकरण साइबर फ्रॉड के सबसे पेचीदा मामलों में से एक था। इसके चलते पुलिस ज्यादा कुछ नहीं कर पा रही थी। इस बीच जापानी क्लाइंट ने अपनी सरकार को इस पूरे घटनाक्रम से वाकिफ कराया। जिसके बाद दोनों देशों के उच्च पदस्थ अफसरों की इस मामले पर चर्चा हुई। आखिर में केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर पुलिस सक्रिय हुई और आरोपी की सरगर्मी से तलाश की गई। इधर गबन का आरोपी संदीप अंडर ग्राउंड हो चुका था। न तो वह अपने गृह जिला सागर में मिल रहा था और न ही उसके दूसरे ठिकानों का पता चल रहा था। आखिर में पुलिस ने उसके पिता पर विभागीय दबाव बनाया। तब कहीं यह आरोपी पुलिस के हाथ लगा। वर्तमान में आरोपी युवक संदीप इंदौर जेल में बंद है। वहीं फ्रॉड की शिकार कंपनी नो बॉडर्स टेक्नोलॉजी प्रालि का जापानी क्लाइंट रियोत केशी कुबो भारत आ चुका है और मामले में न्यायालयीन विचारण जारी है।

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