अपराध और अपराधी

भ्रष्टाचारियों को पकड़वाओ, पुलिस, कोर्ट में नहीं फंसेंगे फरियादी के रंगे नोट

विचारण के दौरान ही शिकायतकर्ता को नोट वापस कर रहा है विशेष न्यायालय कोर्ट ने कहा, लंबे समय तक नोट जब्ती बनाए रखना बेमतलब, सिस्टम के लिए भी हानिकारक

सागर। रिश्वत देने फरियादी द्वारा आरोपी को पकड़ाए रंगे नोट जिला न्यायालय ने वापस करना शुरु कर दिए हैं। हाल ही में दो-तीन मामलों में विशेष न्यायालय लोकायुक्त प्रथम एडीजे आलोक मिश्रा ने बड़ी सारगर्भित टिप्पणी कर कोर्ट मेें जमा नोट संबंधित शिकायकर्ता को लौटाने के आदेश दिए।
उन्होंने कहा कि कोर्ट के खजाने में लंबे समय तक नोट जमा रखना बेमतलब है। यह न केवल सिस्टम के लिए बल्कि शिकायतकर्ता के लिए भी दुखदाई है। विशेष न्यायालय श्री मिश्रा ने हाल ही में पिपरमेंट व्यापारी सुरेश यादव निवासी छतरपुर को 3 लाख रुपए और मेडिकल कॉलेज के बाबू की शिकायत करने वाले व्यक्ति को 10  हजार रुपए लौटाने के आदेश दिए हैं। बता दें कि इसके पूर्व तक विशेष न्याायलय भ्रष्टाचार निवारण द्वारा केवल आरोपी के बरी होने की स्थिति में नोट वापस किए जाते थे। आरोपी को सजा हो जाती थी, तब हाईकोर्ट में अपील के कारण शिकायकर्ता के नोट जमा ही रखे जाते थे। इधर लोकायुक्त पुलिस की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कोर्ट के इस कदम को बहुत ही आवश्यक और सराहनीय बताया है। उनके अनुसार, ऐसा महसूस होता है कि कम आय वर्ग के किसान, मजदूर व अन्य 2-5 हजार रुपए की रिश्वत के लिए अपनी गाढ़ी कमाई के 1-2  हजार रुपए कई साल तक नहीं फंसाना चाहते। वे शिकायत के बजाए रिश्वत देना ठीक समझते हैं। लेकिन माननीय न्यायालय द्वारा नोट वापस करने के निर्णय से कम आय वर्ग के शिकायतकर्ताओं की हिम्मत बंधेगी। वह खुलकर भ्रष्टाचारियों को पकड़वाने में अपनी राशि का इस्तेमाल करेंगे।
पुराने नोट बदलने RBI को पत्र लिखेंगे
पिपरमेंट के व्यापारी द्वारा रिश्वत दिए जाने का यह मामला वाणिज्यिक कर विभाग के दो बड़े अफसरों से जुड़ा है। वर्ष 2015 में इस व्यापारी सुरेश यादव ने वाणिज्यिक के दोनों अफसरों को रिश्वत के रूप में 3 लाख रु. बतौर रिश्वत दिए थे। अगले साल नोटबंदी हो गई। ज्ञात-अज्ञात कारणों से लोकायुक्त पुलिस इन नोटों को नए नोट से नहीं बदलवा पाई। ताजा आदेश में न्यायालय, आवेदक की मांग पर एक और आदेश आरबीआई के लिए जारी करेगा। जिसमें कहा जाएगा कि आवेदक के पुराने नोट बदलकर उसे नए दिए जाएं। वहीं दूसरा मामला मेडिकल कॉलेज के बाबू को रिश्वत देने का है। यह नोटबंदी के बाद का है। इसमें दी गई रिश्वत की राशि जस की तस कोर्ट में जमा है। इसलिए आवेदक को औपचारिक कार्रवाई के बाद ये राशि मिल जाएगी।
नोटो की फोटोकॉपी, बनवाई थीं एफडी 
नोटबंदी के समय सागर न्यायालयीन क्षेत्र के करीब 25 प्रकरण विचाराधीन थे। इन मामलों में कुल मिलाकर चंद लाख रुपए रिश्वत के रूप में लिए-दिए गए थे। कोर्ट ने नोटबंदी के बाद की परिस्थितियों को समझते हुए लोकायुक्त संगठन से इन नोटों को बैंकों में जमाकर उनकी फोटोकॉपी लगाने के निर्देेश दिए थे। 

जानकारी के अनुसार कई चालान में अभी भी उन पुराने नोट की कॉपियां लगी हैं। जबकि उस राशि की एफडी संबधित शिकायतकर्ता के नाम बनवा दी गई हैं। 
फिलहाल विचाराधीन मामलों में वापसी
लोकायुक्त कार्यालय के अनुसार कोर्ट अभी केवल उन्हीं प्रकरणों में नोट वापसी पर सहमति दे रहा है। जो उनके कोर्ट में विचाराधीन हैं। लेकिन जो मामले निर्णीत हो गए हैं यानी आरोपी को सजा हो गई है। उनमें नोट वापस नहीं किए जा रहे। इसके पीछे मुख्य वजह ये है कि इन मामलों में आरोपी हाईकोर्ट की शरण लेता है। जहां उक्त नोट समेत अन्य साक्ष्य पेश करने की नौबत आ सकती है। इसलिए ऐसे मामलों में नोट वापस नहीं किए जा रहे। वहीं जिन मामलों में लोकायुक्त पुलिस ने अब तक चालान पेश नहीं किया है। उनमें भी नोट वापस नहीं किए जा रहे। 

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