अपराध और अपराधी

सागर के सट्टे के मगरमच्छ दिल्ली में तैर रहे, पुलिस यहां छोटी मछलियों में फंसी

आईपीएल क्रिकेट का सट्टा चरम पर है। पुलिस गाहे-बगाहे कार्रवाई कर रही है। लेकिन ये सारी कवायद सटोरिया जमात की छोटी मछलियों को फांसने तक है।

सागर वाणी डेस्क। 9425172417
सागर। आईपीएल क्रिकेट का सट्टा चरम पर है। पुलिस गाहे-बगाहे कार्रवाई कर रही है। लेकिन ये सारी कवायद सटोरिया जमात की छोटी मछलियों को फांसने तक है। 

जबकि इस खेल के मगरमच्छ, दिल्ली सरीखे महानगरों में डेरा डाले बैठे हैं। ये वही सटोरिया हैं। जिन्हें पुलिस पिछले आईपीएल सीजनों में दबोच चुकी हैं। सट्टा जगत के सूत्रों के अनुसार कीर्ति स्तंभ पर रहने वाला सटोरिया राजीव जन, सिंधी कैम्प का कैलाश छाबड़, मोहित लालवान, वैशाली नगर का मयंक सेठी आईपीएल शुरु होने के चंद दिन पहले से गायब हैं।  सूत्रों के अनुसार ये सभी राजधानी दिल्ली के किसी बड़े होटल के स्वीमिंग पूल में तैरते हुए तो कभी किसी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के टैरिस गार्डन में बुकिंग यहां-वहां कर रहे हैं। 
दिल्ली पुलिस के अधिकारी के फ्लेट से पकड़े गए थे
सागर में क्रिकेट सटोरियों की विकरालता व पहुंच को इतने से ही समझा जा सकता है कि कुछ साल पहले के आईपीएल सीजन में सागर पुलिस इन सटोरियों दिल्ली से गिरफ्ताकर लाई थी। ऊपर लिखे नामों में से कुछ लोग इस गिरफ्तारी में शामिल थे। बताया जाता है कि ये लोग वहां किसी तथाकथित पुलिस अधिकारी के फ्लेट में डेरा डाल सट्टा खिला रहे थे।

 एक अनुमान के अनुसार ये सटोरिए प्रत्येक मैच के लिए सागर से कम से कम ५-८ करोड़ रुपए की बुकिंग उठा रहे हैं। बीत सालों में दबोचे जाने के बाद इन सटोरियों ने अपना काम व मोबाइल नंबर, सट्टा कारोबार से अलग कर साथ के लड़कों के हवाले कर दिया है। उन्हीं के जरिए पहले आईडी बांटी गईं। अब सट्टे पर लगी रकम को अपने खातों में ट्रांसफर किया जा रहा है। 
वर्णी कॉलोनी में नोट का नंबर से  हवाले का काम
इन सटोरियों द्वारा नकद व ऑनलाइन के जरिए जमा को कैश में बदलकर हवाले के माध्यम से नागपुर, मुंबई, दिल्ली के सटोरियों को भेजा जा रहा है। इसके लिए सटोरियों ने आपसी से सहमति से वर्णी कॉलोनी के एक सिंधी व्यवसायी गिरीश पोपट को हवाला कारोबारी की भूमिका दी है। गिरीश नोट के नंबर समेत अन्य कोड-पासवर्ड के जरिए मोटी-मोटी रकमें यहां-वहां कर रहा है। सूत्रों के अनुसार सटोरियों में से मोहित मूलत: नागपुर का रहने वाला है। वहीं कैलाश की सिंधी कैम्प में देखने-दिखाने को एक होटल है। मयंक की निगम मार्केट में जनरल स्टोर, ऑनलाइन मार्केटिंग नेटवर्क और प्रापर्टी का कारोबार है। वहीं राजीव सोने-चांदी के अलावा प्रॉपर्टी का काम भी करता है। 
छोटे खिलाड़ी यहीं और बॉस टूर के नाम पर गायब 
इन बड़े-बड़े सटोरियों के बीच मंझोले साइज के सटोरिया भी हैं। जो बड़ों की तर्ज पर काम कर रहे हैं। अंतर बस इतना है कि बड़े सटोरिया जहां मायानगरी मुंबई, दिल्ली, नागपुर, बंगलुरु को ठिकाना बनाए हैं। वहीं ये मंझोले सटोरिया मप्र-उप्र के ही टूरिंग स्पॉट पर घूम-घूमकर सट्टे को कमांड कर रहे हैं। ऐसे ही एक सटोरिया के गुर्गे सोनू-मोनू ज्वेलरी व्यवसाय की आड़ में जमकर सट्टे की आइडी बांट रहे हैं। लोगों सीधे खिला भी रहे हैं। चर्चाओं के अनुसार इन सटोरियों का बॉस भी पिछले सालों में पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है। 

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