अपराध और अपराधी

कूल-कूल जिप्सी गर्ल के नाम पर बनी “जिगाना पिस्टल” गरम नहीं होती

-टर्किश ''जिगाना पिस्टल" से उड़ाया गया था माफिया डॉन अतीक का सिर

सागर। यूपी के प्रयागराज में माफिया ब्रदर्स अतीक अहमद-अशरफ अहमद हत्याकांड से जुड़ी कई खबरें अभी भी गरम हैं। माना जा रहा है कि ये कुछ दिन और गरम रहेंगी। लेकिन जिस सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल जिगाना से अतीक का सिर उड़ाया गया। वह कभी गरम नहीं होती। यह दावा इस पिस्टल की निर्माता कंपनी टिसास ट्रैबजेन आर्म्स इंडस्ट्री कॉर्प. तुर्की का है। असल में पुलिस और माफिया वर्ल्ड में आग्नेय अस्त्र पिस्टल – रिवाल्वर का गरम होना या नहीं होना। होने वाले शूट-आउट के परिणाम को तय करता है।
उदाहरण के लिए इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्टरी से बनी पिस्टल, जिसमें एक साथ 9 बुलेट आ सकती हैं। वह दो-तीन फायर के बाद ही गरम होने लगती है। 5-7 फायर के बाद तो यह करीब-करीब जाम ही हो जाती है। सोचिए ये युवक अगर इंडिया मेड हथियार लेकर गए होते तब ? अब आप समझ गए होंगे कि शूटर्स सनीसिंह, अरुण मौर्य और लवलेश तिवारी ने विदेशी हथियार का इस्तेमाल क्यों किया। अब बात कर लें जिगाना नाम के बारे में। कंपनी के अनुसार इस पिस्टल का नाम हंगरी देश के घुमंतु (जिप्सी) समुदाय की उन लड़कियों के नाम पर रखा गया है। जिन्हें हंगेरियन भाषा में जिगाना कहा जाता है। जिप्सियों की जीवन शैली नृत्य संगीत, नशा, हथियारों की तस्करी से लेकर बड़े-बड़े अपराध अंजाम देना रहा है। इतिहास के पन्ने खंगालेंगे तो जिप्सियों का मूल स्थान मध्यकालीन भारत ही निकलेगा। इस पर फिर कभी चर्चा करेंगे। 
भारत के अपराध जगत पर राज कर रही जिगाना
अंडर वर्ल्ड, गैंगस्टर्स, माफिया वगैरह-वगैरह के बीच पिस्टल जिगाना काफी पहले से आ चुकी है। पंजाब के ख्यात रैपर सिद्धू मूसेवाला की हत्या में भी इसी हथियार से की गई थी। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार माफिया वर्ल्ड से जुड़े लोग सटीक फायरिंग क्षमता के कारण जिगाना सरीखे विदेशी हथियारों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार जिगाना को पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों से ड्रोन के जरिए भारत में उतारा जा रहा है। चर्चा तो ये भी है कि भारत में पहुंच रहीं जिगाना पिस्टल्स असली नहीं होकर उसकी कॉपी हैं। जो पाकिस्तान के किसी इलाके में बन रही हैं। वहां से इन्हें पंजाब के गैंगस्टर्स को भेजा जाता है। फिर ये देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंच जाती है। 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जिगाना पिस्टल की ग्रे मार्केट में औसतन कीमत 7 लाख रुपए तक है। इधर पुलिस ने इस हत्याकांड के आरोपियों से तीन पिस्टल जब्त की है। जिनमें दो सेमी ऑटोमेटिक और एक ऑटोमेटिक है। ऑटोमेटिक पिस्टल, वह होती है। जिसमें एक बार ट्रिगर दबाओ तो उससे लगातार 15 फायर तक हो सकते हैं। एके-47 या एके–56 की तरह। सेमी ऑटोमेटिक में प्रत्येक फायर के लिए ट्रिगर दबाना पड़ता है। हत्यारों से जब्त बाकी दो हथियार के ब्रांड-मेक वगैरह का पता नहीं चला है। लेकिन जो जिगाना पिस्टल मिली है। उसकी मैग्जीन में अधिकतम 15 बुलेट्स लोड की जा सकती हैं। 
तुर्की समेत कुछ अन्य देश में पापुलर है जिगाना 
जिगाना का उसके जन्म स्थान तुर्की में ही सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसके अलावा यह मिडिल ईस्ट के देश अजरबैजान और मलेशिया की सेना, फिलीपींस पुलिस और अमेरिकी कोस्टल गार्ड द्वारा भी किया जाता है। भारत में आम नागरिकों के लिए 9 एमएम निषिद्ध बोर में शामिल है।यानी इस बोर के हथियार केवल सेना और पुलिस समेत अन्य बल कर सकते हैं। आम नागरिकों के 32 बोर है। इस लिहाज से भी जिगाना पिस्टल को आम भारतीय अपने पास नहीं रख सकते। जिगाना का सबसे पहले निर्माण वर्ष 2001 में किया गया। बीते 20-22साल में इसके 16 वर्जन आ चुके हैं।

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