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विवि: टिक-टॉक… टिक-टॉक शुरु, आज शिक्षक भर्ती गड़बड़ी मामले में हाईकोर्ट में अहम सुनवाई

- मप्र हाईकोर्ट ने दो महीने पहले 90 दिन के भीतर दोबारा इंटरव्यू कराने के आदेश दिए थे

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शिक्षक भर्ती घोटाले में डॉ. हरीसिंह गौर विवि प्रशासन घेरे में: हाईकोर्ट के आदेश के पालन में हीलाहवाली, नियमित कुलपति न होने की आड़ में टालने की कोशिश?

सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय (विवि) में वर्ष 2013 की सहायक प्राध्यापक भर्ती में हुई कथित अनियमितताओं को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए विवि प्रशासन के पास अब एक महीने से भी कम समय बचा है। हाईकोर्ट के दो महीने पहले के अहम फैसले के बावजूद विवि की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है, क्योंकि आदेश के अनुपालन की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

क्या है हाईकोर्ट का फैसला?

​जस्टिस विवेक जैन ने अपने विस्तृत आदेश में 2013 में 157 पदों पर हुई सहायक प्राध्यापकों की भर्ती को अवैध ठहराया था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि विवि प्रशासन 15 नवंबर 2025 के बाद उन शिक्षकों को सेवा में न रखे, जिनकी भर्ती के लिए विधिवत विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया गया था। वहीं, जिन 79 पदों के लिए विज्ञापन प्रकाशित हुआ था, उनके इंटरव्यू के लिए बुलाए गए सभी अभ्यर्थियों को पुनः साक्षात्कार के लिए आमंत्रित करने का निर्देश दिया गया था।

आदेश टालने की कोशिश? 90 में से 60 दिन गुजरे, मगर कार्रवाई शून्य

​हाईकोर्ट ने अपने आदेश के पालन के लिए विवि प्रशासन को कुल 90 दिन का समय दिया था। चौंकाने वाली बात यह है कि बीते 60 दिनों में विवि प्रशासन ने आदेश के अनुपालन में कोई निर्णय नहीं लिया है। उल्टे, इस भर्ती को सही ठहराने के लिए पहले रिव्यू-पिटीशन और फिर जस्टिस जैन के आदेश के खिलाफ चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा की युगल पीठ के समक्ष अपील दाखिल करने में समय व्यतीत किया जा रहा है। विवि प्रशासन की यह निष्क्रियता और कानूनी दांवपेंच पर जोर, यह दिखाता है कि वह आदेश के पालन से बचने की जुगत में है।

15/10/2025

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