विवि ने प्रोफेसर से मांगी दूसरे कथित विवाह की जानकारी
चर्चाओं के अनुसार सफाई के पीछे प्रभारी कुलपति और MBA के प्रोफेसर में मची खींचतान

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि के एक प्रोफेसर से कुलसचिव ने उनकी वैवाहिक स्थिति के बारे में जानकारी मांगी है। ये बात और है कि प्रोफेसर के विवाह से जुड़ा मामला पूर्व से ही यूपी के गोरखपुर के जिला न्यायालय में विचारधीन है। माना जा रहा है विवाह व पत्नी के बारे में मांगी गई इस जानकारी का कनेक्शन प्रोफेसर व उनके विभाग में मची एचओडी पद की खींचतान से जुड़ा है। पुष्ट जानकारी के अनुसार हाल ही में एमबीए विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं कॉमर्स डीन प्रो. श्री भागवत को कुलसचिव डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय ने एक पत्र भेजा है। जिसमें उनसे विवि में लागू सीसीएस नियम 1964 के नियम 21 के अध्यादेश 41 के कथित उल्लंघन को लेकर सफाई मांगी गई है। पत्र में लिखा है कि विवि के संज्ञान में आया है किआपने (प्रो. भागवत) कु. अंजलि मौर्य से दूसरा विवाह किया है। जबकि आपकी पूर्व से पहली पत्नी ऊषा नाम की कोई महिला हैं। जिसको आप अतिरिक्त परिवार न्यायाधीश गोरखपुर के आदेश पर गुजारा भत्ता भी दे रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि यह मामला दो विवाह का है। जो विवि के केंद्रीय सिविल सेवा नियमों के तहत निषिद्ध है। इस संबंध में आप एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण दें।
अधिकार व वर्चस्व की लड़ाई अब पत्नी-परिवार तक पहुंची!
विवि के गलियारों में चर्चा है कि प्रो. भागवत की दूसरी पत्नी वाला मुद्दा ऐसा नहीं है जो विवि प्रशासन के संज्ञान में नहीं हो। कुछ वर्ष पूर्व भी यह मामला प्रकाश में आया था। तब तत्कालीन कुलपति एवं प्रभारी रजिस्ट्रार के निर्देश पर पहली पत्नी बताने वाली महिला को न्यायालय के निर्देश पर प्रो. भागवत के वेतन से 10 हजार रु. प्रति माह ट्रांसफर करने का आदेश जारी हुआ था। हाल ही में यह मामला इसलिए उठाया गया क्योंकि प्रो. भागवत और प्रभारी कुलपति प्रो. वायएस ठाकुर के बीच एमबीए विभाग की हेडशिप को लेकर खींचतान मची हुई है।
प्रो. भागवत, प्रभारी कुलपति के निर्णय का पालन करने तैयार नहीं हैं। बता दें कि कुछ दिन पहले ही प्रो. ठाकुर ने एमबीए की जूनियर शिक्षक को एचओडी बनाने का आदेश जारी किया था। जिसको प्रो. भागवत ने बतौर डीन खारिज कर दिया था। इसके बाद प्रो. ठाकुर ने यही आदेश, कुलसचिव डॉ. उपाध्याय के माध्यम से जारी कराया। इसके बाद भी प्रो. भागवत ने अपने विरोधी तेवर खत्म नहीं किए। स्वयं के विवाह संबंधी ताजा मामले को लेकर प्रो. भागवत का कहना है कि मैं इस मामले पर कुछ नहीं बोलना चाहता। मैंने विवि प्रशासन से 15 दिन का समय मांगा है। उन्हें मेरे विवाह के संबंध में विधिक स्थिति से अवगत करा दिया जाएगा।
29/09/2025



