प्रभारी कुलपति प्रो. ठाकुर के आदेश को डीन प्रो. भागवत ने 24 घंटे बाद निरस्त किया
एमबीए विभाग के एचओडी के पद को लेकर प्रभारी वीसी और सीनियर प्रोफेसर आमने-सामने

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि सागर के प्रभारी कुलपति प्रो. वायएस ठाकुर अपनी नियुक्ति के चंद दिन बाद ही विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। मामला उनके गृह विभाग यानी एमबीए के अध्यक्ष का है। वीसी प्रो. ठाकुर ने स्वयं के बतौर कुलपति व्यस्तताओं के चलते एक दिन पहले ही बुधवार को विभाग के एक असिस्टेंट प्रोफेसर सुनीत वालिया को प्रभारी विभागाध्यक्ष का दायित्व सौंप दिया था। इधर विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर श्री भागवत को इसके बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने प्रभारी कुलपति प्रो. ठाकुर के समक्ष लिखित में आपत्ति दर्ज कराई।
आप नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, मैं यह जिम्मेदारी निभाने तैयार हूंं
प्रो. भागवत ने लिखा है कि यह नियुक्ति केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 की धारा 28(1)(ष) के तहत, और विश्वविद्यालय के संशोधित अध्यादेश-9 के प्रावधानों का उल्लंघन करती है। उक्त अधिनियम और अध्यादेश के अनुसार, विभाग/केंद्र के प्रमुख को प्रोफेसरों में से, या उनकी अनुपस्थिति में एसोसिएट प्रोफेसरों में से, रोटेशन द्वारा तीन वर्ष से अधिक न होने वाली अवधि के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में जहां विभाग में कोई प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर उपलब्ध नहीं है, कुलपति उसी स्कूल या किसी अन्य से उपयुक्त प्रोफेसर को यथोचित मानकर नियुक्त कर सकते हैं। इन विनियमों के तहत एक सहायक प्रोफेसर ऐसी जिम्मेदारी के लिए पात्र नहीं है। इसके अलावा, चूंकि आप विभाग के स्थायी प्रमुख हैं और वर्तमान में प्रभारी कुलपति के रूप में सेवा कर रहे हैं जबकि विश्वविद्यालय में मौजूद हैं (स्टेशन छुट्टी पर नहीं), कार्यकारी प्रमुख की कोई आवश्यकता नहीं है। हालांकि, यदि परिस्थितियां जिम्मेदारियों के अस्थायी प्रतिनिधित्व की आवश्यकता करती हैं, तो जिम्मेदारी विभाग के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर को वरिष्ठता के सिद्धांतों और विश्वविद्यालय के अध्यादेशों के अनुरूप सौंपी जानी चाहिए ताकि अनुपालन सुनिश्चित हो और प्रशासनिक अखंडता बनाए रखी जा सके। व्यवसाय प्रबंधन विभाग में सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर के रूप में, मैं आवश्यकता पड़ने पर ऐसी जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार हूं।
24 घंटे बाद डीन के अधिकारों का उपयोग कर आदेश निरस्त किया
प्रो. भागवत की इस आपत्ति पर जब प्रभारी कुलपति प्रो. ठाकुर ने कोई निर्णय नहीं लिया तो उन्होंने अपने लेटर हैड से एक पत्र जारी कर दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि मैं वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय का डीन हूं। इसलिए अपने पद में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए डॉ. सुनीत वालिया (सहायक प्राध्यापक) को व्यवसाय प्रबंधन विभाग के कार्यवाहक विभागाध्यक्ष के लिए जारी पत्र को तत्काल प्रभाव से निरस्त करता हूं। इस संबंध में उन्होंने स्पष्टïीकरण दिया कि यह निर्णय विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार, विशेष रूप से अध्यादेश-9 के अनुरूप लिया गया है, जिसमें यह प्रावधान है कि केवल प्राध्यापक अथवा उनकी अनुपस्थिति में सह-प्राध्यापक को ही विभागाध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, प्रो. वाई.एस. ठाकुर, जो विभाग के स्थायी विभागाध्यक्ष हैं, वर्तमान में विश्वविद्यालय में ही प्रभारी कुलपति के रूप में कार्यरत हैं और स्टेशन अवकाश पर नहीं हैं। अत: किसी अतिरिक्त कार्यवाहक विभागाध्यक्ष की आवश्यकता नहीं है।
टेेम्परेरी चार्ज दिया गया है, जल्द ही नई नियुक्ति कर दूंगा
मैंने डॉ. वालिया को केवल रुटीन कामकाज के लिए विभागाध्यक्ष का प्रभार दिया है। विभाग के नीतिगत व वित्त संबंधी निर्णय मेरे द्वारा ही लिए जाएंगे। रही बात प्रो. भागवत की तो उनकी कार्यप्रणालीी विवादित रही है। उनके खिलाफ रिसर्च स्कॉलर से लेकर अन्य सहकर्मियों द्वारा समय-समय पर शिकायत की गई है। इसके बाद भी यह व्यवस्था तात्कालिक तौर पर की गई है। चंद दिन बाद किसी अन्य शिक्षक को यह प्रभार दे दिया जाएगा। – प्रो. यशवंत सिंह ठाकुर, प्रभारी कुलपति, डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि, सागर



