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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि की पूर्व कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के रिटायर होते-होते उनके खिलाफ माहौल बनने लगा था। यही कारण है कि उनकी विदाई बड़े ही सादा ढंग से हो गई। चर्चा है कि कुलपति के खिलाफ कतिपय शिक्षकों ने खुलकर भड़ास निकाली। उन्हीं में से कुछ के मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। इनमें से एक मैसेज फॉर्मेसी विभाग के पूर्व अतिथि शिक्षक का बताया जा रहा है। जिसने शिक्षक दिवस पर कुलपति प्रो. गुप्ता को संबोधित कर लिखा कि डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन, अतुलनीय व्यक्तित्व, वृहद विचार और विशाल हृदय के धनी व्यक्तित्व के अनुसार, शिक्षक वह नहीं जो जबरन छात्रों के दिमाग में तथ्यों को ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे। आप जैसी वयोवृद्ध, अनुभवी शिक्षिका ने जिस प्रकार अतिथि शिक्षकों से कार्य कराकर एवं उपरांत भी उन्हें मानदेय ना देकर, जो मानसिक और आर्थिक त्रास दिया है, इससे मुझे और मुझ जैसे कई अतिथि शिक्षकों को जीवन के वास्तविक, कटु सत्य का ज्ञान हुआ है, और विषम परिस्थित में जीवन-यापन का जो अनुभव प्राप्त हुआ, इस हेतु, आपका कोटिश:आभार…..! आप के जैसे उच्च पदासीन व्यक्ति से हमें, निकृष्ट प्रबंधन और निम्नस्तरीय व्यवहारिकता का जो ज्ञान और अनुभव मिला है, उस हेतु भी आपका सादर आभार……!
शिक्षक भर्ती से लेकर संवादहीनता तक की चर्चा
कुलपति प्रो. गुप्ता के कार्यकाल को लेकर विवि से जुड़े लोगों ने भी टीका-टिप्पणी की। उन्हीं में से किसी एक व्यक्ति का मैसेज वायरल हुआ है। जिसमें कुलपति प्रो. गुप्ता पर विश्वविद्यालय में क्षेत्र विशेष के अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति, स्थानीय योग्य आवेदको के चयन में पक्षपात करने के आरोप लगाए हैं। इसके अलावा विद्यार्थियों, कर्मचारियों समेत अन्य जिम्मेदार लोगों से संवादहीनता की बातें भी लिखी गई हैं। अतिथि शिक्षक, आउटसोर्स-सुरक्षाकर्मियों के वेतन को लंबित रखने, नए भवनों में जबरिया कर्मचारी भेजकर ठेकेदारों से कमीशन वसूली, स्वयं द्वारा शिक्षकों की वरिष्ठता व परिवीक्षावधि को दरकिनार कर उन्हें कार्य परिषद सदस्य/विद्या परिषद/अधिष्ठाता और विभाग का अध्यक्ष बनाने के भी आरोप लगाए हैं।
कार्य परिषद/बिल्डिंग बकर्स कमेटी/फाइनेंस कमेटी जिनमें महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं उनकी मीटिंग बाई सर्कुलेशन कर मनमाने निर्णयों को पारित कराना, विभाग, हॉस्टल, कार्यालयों में पेयजल, साफ-सफाई सुरक्षा आदि को दरकिनार रखना, सुरक्षा व आउटसोर्सकर्मियों का अपनी सुविधानुसार उपयोग करना, अयोग्य व्यक्ति को कुलसचिव जैसी महत्वपूर्ण जवाबदेही देना, जिन शिक्षकों की योग्यता व अकादमिक गतिविधियों पर लगातार सवाल उठते रहे हैं, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करना आदि आरोप लगाए गए हैं। 
07/09/2025



