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समाज के ठेकेदारों में उथल-पुथल क्योंकि, निर्यापक मुनिश्री सुधासागर जी मिलने लोग कर्रापुर पहुंच रहे हैं!

संभावित चार्तुमास को लेकर मुनिश्री सुधासागर जी के शहर भर में स्वागत पोस्टर लगे

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सागर। जिले का दिगंबर जैन समाज इस वक्त अपने ऐतिहासिक दौर से गुजर रहा है। संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस समुदाय के दो सर्वोच्च, श्रेष्ठतम मुनिश्री में से एक शहर के 20 किमी के दायरे में आकर विराजमान हैं। वहीं दूसरे बुंदेलखंंड में मौजूद हैं। पूरे समाज की आंखें अब चार्तुमास करने वाले संत श्री के नाम पर टिक गई हैं। बता दें कि नवाचार्य 108 समयसागर जी महाराज तीर्थ क्षेत्र कुंडलपुरजी (दमोह) में हैं। वहीं जगत पूज्य निर्यापक श्रमण श्री 108  सुधासागर जी महाराज कर्रापुर में हैं। जैन समुदाय के मुताबिक चार्तुमास प्रारंभ होने की तिथि 10 जुलाई को अब ज्यादा दिन नहीं रह गए हैं। इसलिए बहुत जल्द ये तय हो जाएगा कि कौन से मुनिश्री, अगले चार महीने यहां अपने आशीर्वाद रूपी अमृत की वर्षा करेंगे। दूसरी ओर निर्यापक मुनि श्री 108 सुधा सागर जी के दर्शन करने कर्रापुर में बढ़ती भीड़ से समाज के कतिपय ठेकेदारों में उथल-पुथल मच गई है। 

शहर में सुधासागर जी के स्वागत के पोस्टर लगे

शहर की सीमा के करीब पहुंचते ही समुदाय में निर्यापक मुनिश्री सुधासागर जी की चर्चा बढ़ गई है। लोग उनके दर्शन करने कर्रापुर आ जा रहे हैं। स्थिति यह है कि जैन बाहुल्य इलाकों से लेकर तीन बत्ती, कटरा बाजार, गुजराती बाजार में उनके स्वागत के फ्लैक्स पोस्टर लग गए हैं। इन पोस्टरों में समाधिष्ट 108 श्री विद्यासागरजी महाराज और मुनिश्री 108  समयसागरजी महाराज को भी उच्च स्थान दिया गया है। जैन समुदाय के अनुसार उनके आगमन को लेकर युवाओं, महिलाओं और बुजुर्ग में भारी उत्साह है। कई लोगों तो दावा करना शुरु कर दिया है कि सुधासागर जी का आना तय है। बस औपचारिक घोषणा बाकी है। रविवार को पुरानी सब्जी मंडी स्थित वर्णीजी भवन में सुधा सागर जी के आगमन को लेकर एक बैठक भी देररात तक जारी रही।

सबसे बड़े ट्रस्ट ने चुप्पी साधी, युवा बोले पदाधिकारी कोमा में हैं!  

एक मुनिश्री के शहर की सीमा के पास पहुंचने और दूसरे के बुंदेलखंंड अंचल में होने बावजूद यहां के जैन समाज के सबसे बड़े ट्रस्ट में सन्नाटे का माहौल है। तीन दिन पहले तक लगातार बैठकें करने वाले ट्रस्ट के पदाधिकारी अचानक लापता हो गए हैं। उनकी तरफ से इन दोनों ही संत श्रेष्ठों को लेकर न तो कोई बैठक हो रही है और न ही बयान जारी किया जा रहा है। समाज के युवा इस स्थिति को, ट्रस्ट पदाधिकारियों के कोमा में जाने की स्थिति बता रहे हैं। चर्चा है कि ट्रस्ट के कतिपय पदाधिकारी, कुंडलपुरजी की तरफ भागदौड़ में व्यस्त हैं।बता दें कि निर्यापक मुनिश्री सुधासागर जी, मंदिर व ट्रस्टों के लेखा-जोखा को दुरुस्त व पारदर्शी कराने के लिए जाने जाते हैं। इसलिए देश भर के दिगंबर जैन समाज में उनकी एक अलग छवि है।

समाधिष्ट आचार्य श्री पर आरोप लगाने वालों के खिलाफ भाग्योदय तीर्थ में जमा जैन समुदाय आपस में भिड़ा

सागर आए तो पूरे देश में अधिमान्यता मिल जाएगी

बुंदेलखंड के सागर जिले की जैन समाज की एक अलग पहचान है। समाज के मूर्धन्य व्यक्तियों का कहना है कि यहां संत के हिसाब से नहीं, समाज के हिसाब से संत चलते हैं। सरल शब्दों में कहें तो यहां की समाज जैन संतों के लिए गढ़ी गए नियम-धर्म, शुचिताओं का पालन कराने में अग्रणी हैं। इसलिए यहां जिस संत को समाज द्वारा उचित स्थान दे दिया जाता है। उसके बाद वह देश भर के दिगंबर जैन समुदाय में एक तरह से अधिमान्य हो जाता है। इसलिए सर्वोच्च पर धारित करने के बाद प्रत्येक मुनिश्री सागर आने का अवश्य प्रयत्न करते हैं। 

30/06/2024

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