विवि:असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट में रि-व्यू पिटीशन दाखिल
याचिकाकर्ता डॉ. दीपक गुप्ता ने केविएट दाखिल की

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि सागर ने वर्ष 2013 में भर्ती हुए शिक्षकों के संबंध में मप्र हाईकोर्ट के आदेश को लेकर पुर्नसमीक्षा (रि-व्यू) याचिका दाखिल कर दी है। यह पिटीशन उक्त आदेश पारित करने वाले न्यायमूर्ति विवेक जैन के कोर्ट में दाखिल की गई है। इधर एक जानकारी ये भी मिली है कि उपरोक्त मामले के याचिकाकर्ता एवं विवि के पूर्व संविदा शिक्षक डॉ. दीपक गुप्ता ने हाईकोर्ट में केविएट दाखिल की है। हालांकि उनका यह कदम रि-व्यू के मामले में निष्प्रभावी रहेगा। लेकिन विवि प्रशासन वर्ष 2013 की इस भर्ती के संबंध में डबल बैंच में अपील करता है तो फिर उच्च न्यायालय कोई भी कार्रवाई करने से पहले याचिकाकर्ता डॉ. गुप्ता का भी पक्ष सुना जाएगा। डॉ. गुप्ता ने यह याचिका वर्ष 2022 की ईसी में विवादित भर्ती के शिक्षकों के कनफर्मेशन के खिलाफ दाखिल की थी।
जब शपथ-पत्र पर स्वीकारी चूक, फिर रि-व्यू क्यों?
हाईकोर्ट के आदेश को लेकर रि-व्यू लेने की चर्चा सोमवार को विवि के गलियारों में गरमाई रही। सभी की जुबान पर एक ही सवाल था कि रि-व्यू आखिर किस बिंदु दाखिल किया गया है। वह भी ऐसे हालात में जब विवि प्रशासन स्वयं ही एक अन्य पिटीशन में शपथ-पत्र दाखिल कर यह स्वीकार कर चुका है कि, वर्ष 2013 की भर्ती में बगैर विज्ञापन, बगैर आवेदन, स्क्रूटिनी में रिजेक्ट अभ्यर्थियों की नियुक्तियां की गईं। इधर पिटीशनर डॉ. गुप्ता का कहना है कि विवि प्रशासन, अपने विधिक अधिकारों का उपयोग करने स्वतंत्र है। लेकिन इससे सच्चाई छिप नहीं पाएगी। यह सारी कवायद माननीय हाईकोर्ट द्वारा 90 दिन के भीतर दोबारा इंटरव्यू कराने की प्रक्रिया से बचने के लिए की जा रही है। लेकिन इस सब से होगा कुछ नहीं। विवि को कानूनी आदेशों का पालन करना ही होगा।
हाईकोर्ट ने पुन: साक्षात्कार कराने का आदेश पारित किया था
याचिकाकर्ता डॉ. गुप्ता ने विवि प्रशासन द्वारा वर्ष 2013 में कथित तौर पर अवैधानिक तरीके से 157 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के बाद 14 नवंबर 2022 की ईसी (कार्यपरिषद) की बैठक में उन्हें कन्फर्म करने के विरुद्ध दायर की थी। न्यायमूर्ति श्री जैन ने इस मामले में 12 अगस्त को पारित आदेश में विवि प्रशासन को 15 नवंबर तक केवल उन्हीं अभ्यर्थियों के पुन: साक्षात्कार लेने का आदेश दिया। जिनके पद के लिए विज्ञापन प्रकाशित हुए थे और उनके नाम अनंतिम रूप से साक्षात्कार के लिए चयनित किए गए थे। हाईकोर्ट ने इस मामले विवि की भूमिका की भी आलोचना की थी। न्यायमूर्ति श्री जैन ने सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति को कन्फर्म करने वाली ईसी के सदस्यों पर 5 लाख रु. का जुर्माना भी लगाया था। जिसमें से मप्र पुलिस कल्याण कोष को 2 लाख रु., राष्ट्रीय रक्षा कोष को 1 लाख रु., सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में 1 लाख रु., राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को 50 हजार रु. और उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन को 50 हजार रु. दिए जाने के निर्देश दिए गए थे। हाईकोर्ट ने कहा था कि उपरोक्त समस्त राशि विवि प्रशासन, 14 नवंबर 2022 की ईसी की अध्यक्षता करने वाली कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता एवं सदस्यों से वसूलने के लिए स्वतंत्र रहेगा।
01/09/2025



