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इंडिया टुडे के सालाना सर्वे में डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि लापता!

इंडिया टुडे-एमडीआरए बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे- 2025 में विवि नहीं बना सका स्थान....सुधार, पेटेंट, सर्वाधिक पीजी कोर्स, पीएचडी, पेटेंट प्रकाशन आदि मानक में नहीं बना पाया स्थान

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सागर। राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित समाचार मैग्जीन इंडिया टुडे ने हाल ही में देश भर के सरकारी-प्राइवेट उच्च शिक्षण संस्थानों का सर्वे कराया है। जिसमें किसी जमाने में देश भर में प्रतिष्ठित रहा मप्र का सबसे पुराना विवि, डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि कहीं पर भी स्थान नहीं बना पाया है। एक तरह से यह विवि, पूरे सर्वे में लापता था। इसके उलट यहां से कहीं कम संसाधन वाले देश के अन्य विवि ने इस सर्वे में स्थान हासिल किए हैं। जिनमें मुख्य रूप से बुंदेलखंड के दूसरे छोर पर स्थित झांसी विवि का नाम शामिल है। जानकारी के अनुसार इंडिया टुडे ग्रुप यह सर्वे बीते 16 साल से करा रहा है। सर्वे का उद्देश्य देश भर के विद्यार्थियों को करियर के लिहाज से सर्वेश्रेष्ठ संस्थान के चयन के साथ-साथ अभिभावक, पूर्व छात्र, नीति निर्माताओं और आम लोगों को भी विश्वविद्यालयीन शिक्षा की स्थिति पर अपने नजरिए को व्यापक बनाने में मदद करना है।

करोड़ों रुपए का बजट, बिल्डिंग, हर साल शिक्षकों की भर्ती, फिर भी नतीजा जीरो

डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि के मामले यह सर्वे, विवि प्रशासन के उन दावों की पोल खोलता है। जिसमें विवि की अकादमिक गुणवत्ता को विश्वस्तरीय बताने का दम भरा जाता है। हालात ये है कि करोड़ों रुपए के बजट वाले इस विवि में जहां एक ओर लगातार बिल्डिंगों पर बिल्डिंग बन रहीं हैं। शिक्षकों की लगातार भर्ती हो रही है। देश-विदेश के विद्यार्थियों के एडमिशन के दावे किए जाते हैं, लेकिन एक प्राइवेट सर्वे में यह विवि किसी भी स्तर पर अपनी छाप छोड़ने में नाकामयाब रहता है। हालांकि यह सब दो-एक साल में नहीें, दशक भर से चल रहा है। करोड़ों रुपए के बजट से बिल्डिंग तो बन रही हैं लेकिन उनमें अध्ययन के लिए विद्यार्थी नहीं हैं। शिक्षकों की भर्ती होती है तो उनमें अयोग्य लोगों को मौका दे दिया जाता है। हाईकोर्ट के दखल के बाद उन्हें हटा दिया जाता है।

माहौल, पेटेंट, पीएचडी, नवाचार सब में फिसड्डी

इंडिया टुडे के अनुसार यह सर्वे देश के सभी 57 केंद्रीय विवि, 503 राजकीय विवि, 145 डीम्ड यूनिवर्सिटीज और 512 प्राइवेट विवि में किया गया। शोध में शुरुआती बिंदु, सुधार रखा गया। इसमें यह देखा गया कि कौन-कौने से विवि ने बीते वर्ष की अपेक्षा अपने इंफ्रास्ट्रक्चर और एकेडमिक माहौल में सुधार किया है। इसके अलावा, पेटेंट, पीएचडी, नवाचार, कोर्सेस की संख्या आदि को भी शामिल किया गया। लेकिन बदकिस्मती से डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि इन सभी केटेगरी में फिसड्डी निकला। सुधार वाली केटेगरी में लखनऊ विवि को पहला स्थान मिला है। वहीं सबसे ज्यादा पेटेंट के आवेदन और प्रकाशन में उस्मानिया विवि हैदराबाद प्रथम रहा। सबसे ज्यादा पीजी कोर्स में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ को स्थान मिला। बीते तीन साल में सबसे ज्यादा पीएचडी अवार्ड करने में दिल्ली विवि अव्वल नंबर पर रहा। सबसे ज्यादा पेटेंट हासिल करने में नगालैंड यूनिवर्सिटी लुमामी का पहला स्थान रहा। छात्र और शिक्षकों की उपलब्धता के अनुपात में दक्षिण भारत का श्री कोंडा लक्ष्मण तेलंगाना स्टेट हार्टीकल्चर यूनिवर्सिटी, सिद्धीपेट पहले स्थान पर है।

प्राइवेट यूनिसर्विटीज के भी हालात बदतर

इंडिया टुडे-एमडीआरए बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे- 2025 में केंद्रीय विवि सागर के अलावा यहां संचालित अन्य प्राइवेट विवि भी स्थान नहीं पा सके। उपरोक्त सभी केटेगरी में दक्षिण भारत, दिल्ली-नोएडा और पंजाब तरफ के विवि सबसे ऊपर हैं। सर्वे में टॉप-५ विवि में सागर का एक भी प्राइवेट विवि शामिल नहीं है।

विवि के यह हालात और कुलपति कर रहीं पदम अवार्ड की दावेदारी!

इंडिया टुडे-एमडीआरए बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे-2025 ठीक उस समय आया है। जब डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि की सितंबर में रिटायर हो रही कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता, बड़े जोर-शोर से खुद के लिए राष्टï्रीय पद्म सम्मान के लिए कोशिशें कर रहीं हैं। चर्चा है कि उन्होंने देश के अन्य विवि के कार्यकाल के अलावा, सागर विवि के कार्यकाल की कथित उपलब्धियों के आधार पर यह दावेदारी की है। जानकारों का कहना है कि कुलपति को एक दफा देश के विवि के बीच सागर विवि की स्थिति को देख लेना चाहिए। मुमकिन है कि अवार्ड मिलने की संभावना को लेकर उनकी मन:स्थिति में फर्क आ जाए। 

10/08/2025

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