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अपर कमिश्नर ने पहले एनआरआई की फर्जी वसीयत को मान्य किया फिर अचानक आदेश पलटा

फर्जी वसीयत के फेर में बीते साल सस्पेंड हुए थे नायब तहसीलदार और सीएमओ

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सागर। संभागीय अपर कमिश्नर पवन जैन के राजस्व न्यायालय ने एक NRI महिला के फर्जी मृत्य प्रमाण-पत्र के आधार पर बनी वसीयत को पहले तो मान्य कर दिया। लेकिन जब उन्हें प्रकरण के असल तथ्यों के बारे में पता चला तो उन्होंने चंद दिन के भीतर अपना फैसला पलट दिया। ये मकरोनिया के बीते साल का वही चर्चित प्रकरण है। जिसमें कतिपय भू-माफियाओं और राजस्व अमले की मिली-भगत से 3200 वर्गफीट में बने एक बेशकीमती मकान के नामांतरण के मामले में तत्कालीन कमिश्नर व कलेक्टर ने पटवारी, नायब तहसीलदार और नगर पालिका सीएमओ को सस्पेंड किया था।

 15 दिन में आदेश खारिज किया

पिछले महीनों में कमिश्नर कोर्ट में इस मामले की अपील हुई। जिसमें  अपर कमिश्नर जैन फर्जीवाड़े की संदेही नेहा जैन पति मुकेश जैन निवासी जबलपुर के पक्ष में 30 जून 2025 को आदेश पारित कर दिया। लेकिन चंद दिन बाद 14 जुलाई 2025 को अपर कमिश्नर जैन ने अपना ही आदेश पलटते हुए अधीनस्थ न्यायालय तहसीलदार सागर व एसडीएम सागर के आदेश को यथावत कर दिया। अपर कमिश्नर का कहना है कि, अपील की सुनवाई के दौरान अपीलार्थी नेहा जैन ने तहसीलदार कोर्ट के आदेश में उल्लेखित वसीयत के फर्जीवाड़ा संबंधी तथ्यों को छुपाया। यह न्यायालय के साथ कपट जैसा था, इसलिए पूर्व में जारी आदेश को निरस्त किया गया।

एसडीएम के आदेश में फर्जीवाड़ा संबंधी तथ्यों का उल्लेख नहीं था

महज 15 दिन में ही अपने आदेश को पलटने के इस मामले में अपर कमिश्नर जैन की भूमिका पर भी संदेह जताया जा रहा है। जवाब में उनका कहना है कि  कोर्ट में एसडीएम के आदेश विरुद्ध अपील की गई थी। इस आदेश में नामांतरण को लेकर वसीयत में किए गए फर्जीवाड़े का कोई उल्लेख नहीं था। अपीलार्थी नेहा जैन ने केवल इस आधार पर वाद दायर किया था कि एसडीएम ने उनका पक्ष नहीं सुना। जिसके आधार में यह प्रकरण विचारण के लिए लिया और इसी आधार पर उसके पक्ष में आदेश कर दिया। लेकिन जब मुझे किसी दूसरे स्रोत से वसीयत के फर्जीवाड़े के बारे में जानकारी मिली तो मैंने रिव्यू लेते हुए अपना आदेश निरस्त कर एसडीएम का आदेश प्रभावी कर दिया। अपर कमिश्नर पवन जैन का कहना है कि इस तरह के मामलों में अधीनस्थ न्यायालय यानी एसडीएम कोर्ट को स्पीकिंग ऑर्डर करना था। ताकि प्रकरण के सभी तथ्य स्पष्टï रूप से सामने आएं लेकिन एसडीएम अदिति यादव के आदेश में ऐसा नहीं था। जिसके चलते यह चूक हुई। अपर कमिश्नर के अनुसार, मामला चूंकि पहले से ही चर्चित था, इसलिए संबंधित पटवारी व तहसीलदार ने अपीलार्थी के पक्ष में नामांतरण को होल्ड कर लिया था। इसलिए अभी भी उक्त संपत्ति पर उसके वास्तविक मालिकान का ही नाम दर्ज है।

फर्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र और वसीयत से हड़प रहे थे करोड़ों रु. की प्रापर्टी

फर्जी वसीयत से जुड़ा यह मामला मार्च 2024 का है। मकरोनिया में बने एक बेशकीमती मकान की स्वामिनी वयोवृद्ध श्रीमती छाया पत्नी वेदप्रकाश जैन वर्तमान में अमेरिका में निवासरत हैं। उनकी अनुपस्थिति में कतिपय लोगों ने एक राय होकर इस मकान की एक फर्जी वसीयत बनाई। जिसमें बताया गया कि छाया जैन की मृत्यु हो चुकी है। मृत्यु के पहले छाया जैन ने अपने इस मकान की वसीयत नेहा जैन पति मुकेश जैन निवासी गढ़ा, जबलपुर के नाम कर दी है। इस दस्तावेज के आधार पर नेहा ने तत्कालीन नायब तहसीलदार दुर्गेश तिवारी के कोर्ट में आवेदन कर इस मकान को अपने नाम पर दर्ज करा लिया। इधर स्थानीय पटवारी विनोद साहू को जानकारी मिली कि छाया जैन जिंदा हैं और वे अमेरिका में हैं। उनके एक भाई भोपाल में रहते हैं। नेहा जैन व अन्य ने तथ्यों को छिपाते हुए फर्जी वसीयत बनवाकर नामांतरण करा लिया है। इस बारे में साहू ने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराते हुए छाया जैन के भाई को उनके समक्ष पेश कर दिया। इसी आधार पर तत्कालीन कलेक्टर दीपक आर्य ने छाया जैन से वीडियो कॉल पर बात की। छाया ने बताया कि मैं जिंदा हूं और यह वसीयत फर्जी है। और  मैं किसी नेहा जैन, मुकेश जैन को नहीं पहचानती। कलेक्टर के संज्ञान लेते ही नायब तहसीलदार तिवारी ने रिव्यू लेकर उक्त नामांतरण आदेश को खारिज कर दिया। वहीं प्रशासन ने इस मामले में नायब तहसीलदार तिवारी, स्थानीय पटवारी विनोद साहू एवं फर्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने के आरोप में तत्कालीन सीएमओ रीता कैलासिया को निलंबित किया गया था।

15/07/2025

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